मुख्तार अंसारी की जिदंगी का आखिरी दिन
—अनिल नरेन्द्र
गुरुवार रात उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी बांदा के मेडिकल कालेज में बेहोशी की हालत में पहुंचे और उसके लगभग एक घंटे बाद ही उनकी मौत हो गईं। लेकिन पिछले वुछ दिनों से बांदा जेल और अस्पताल से मुख्तार अंसारी और उनकी बिगड़ती तबीयत के संकेत आ रहे थे और उनका परिवार भी यह आरोप लगा रहा था कि उन्हें धीरे-धीरे असर करने वाला जहर देकर मारने की कोशिश की जा रही है। अब उत्तर प्रादेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस मामले में मजिस्ट्रेट जांच बिठाईं है और एक महीने में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। बांदा में मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उनका चेहरा देखकर अस्पताल से बाहर आए उनके छोटे बेटे उमर अंसारी कहते हैं— पापा ने हमें खुद बताया है कि उन्हें स्लो पाइजन दिया जा रहा है लेकिन कहां सुनवाईं हुईं? अब मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उनके बेटे उमर के साथ जेल से बातचीत का एक ऑडियो वायरल हुआ है। जिसमें मुख्तार की आवाज काफी कमजोर लग रही है।
वह अपने बेटे उमर से कहते हैं, 18 (मार्च) तारीख के बाद रोजा नहीं हुआ है। उमर उनसे कहता है कि उन्होंने मीडिया की रिपोर्ट में मुख्तार को अस्पताल जाते देखा। जिसमें मुख्तार काफी कमजोर नजर आ रहे थे। मुख्तार को हिम्मत देते हुए उमर कहते हैं कि वो अदालतों से उनसे मिलने की इजाजत लेने की कोशिश में लगे हैं। अपनी कमजोरी बताते हुए मुख्तार अंसारी कहते हैं कि वो बैठ नहीं पा रहे हैं। जवाब में उमर कहते हैं हम देख रहे हैं पापा, जहर का सब असर है। मुख्तार आगे कहते हैं अल्लाह को अगर जिदा रखना होगा तो रूह रहेगी। लेकिन बॉडी चली जा रही है।
अभी वह व्हीलचेयर पर आए हैं और खड़े भी नहीं हो सकते हैं। 26 मार्च को यानि मंगलवार की सुबह उमर अंसारी ने स्थानीय मीडिया को पुलिस से मिला एक रेडियो संदेश भेजा जिसमें लिखा था कि मुख्तार अंसारी की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें बांदा मेडिकल कालेज के आईंसीयू में भता कराया गया है। मुख्तार के भाईं अफजल अंसारी जब उनसे बांदा मेडिकल के आईंसीयू से मिलकर बाहर निकले तो उन्होंने बाहर मौजूद मीडिया से कहा कि उन्हें मुख्तार से 5 मिनट मिलने का मौका मिला और वो होश में थे। उन्होंने कहा कि मेरे भाईं (मुख्तार) का मानना और कहना है कि उन्हें खाने में कोईं जहरीला पदार्थ खिलाया गया है। 40 दिन पहले भी यह हो चुका है। उधर मुख्तार अंसारी की ऑटोप्सी रिपोर्ट में मौत की वजह हार्ट अटैक बताईं गईं है। इस खबर को हिन्दुस्तान टाइम्स ने प्रामुखता से छापा है।
अखबार का कहना है कि ऑटोप्सी रिपोर्ट में जहर देने जैसी कोईं बात सामने नहीं आईं है। अखबार के मुताबिक रानी दुर्गावती मेडिकल कालेज में डाक्टरों के एक पैनल ने ऑटोप्सी की है। यह वही अस्पताल है जहां मुख्तार ने अंतिम सांसे ली थी। मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में जितना ही खूंखार था। कईं लोगों की नजरों में वह अपनी छवि मसीहा वाली गढ़ने की कोशिश करता था। साल 1996 में जब वह पहली बार विधायक बना तो एक मुस्लिम परिवार उसके पास बेटी की शादी की मदद मांगने पहुंचा। मुख्तार ने भरोसा दिया। अगले दिन ही लड़के वाले बिना दहेज की शादी के लिए राजी हो गए। इतना ही नहीं शादी के एक दिन पहले सामान लेकर मुख्तार खुद लड़की वालों के घर पहुंचे। इसी तरह मुंबईं में मऊ के एक युवक की गिरफ्तारी हुईं। परिवार ने गुहार लगाईं तो मुख्तार उसे छुड़वाकर लाया। मुख्तार अंसारी राजनीति फिल्मी स्टाइल में करता था।
एक ठेकेदार से विवाद हुआ, गोली चली। एक मजदूर मारा गया। मुख्तार मजदूर परिवार का हितैषी बन गया। कईं सालों तक बीएसपी सुप्रीमो मायावती मो. मुख्तार अंसारी को गरीबों का मसीहा मानती थी। मायावती ने मुख्तार की आपराधिक छवि पर पर्दा डालते हुए कहा था कि उनका परिवार स्वतंत्रता सेनानी है और मुख्तार गरीबों के मसीहा हैं।