तुष्टिकरण की हद
पाकिस्तान में इन दिनों सरकार और फौज के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ तो उसे अफगानिस्तान के तालिबानी शासन से मिल रही तहरीके तालिबान पाकिस्तान के आतंकियों को सहयोग के कारण पाक फौजियों पर आफत आईं हुईं है तो दूसरी तरफ भारत के खिलाफ सव्रिय आतंकियों की मौत से परेशानी बढ़ गईं है। पाकिस्तान में इन दोनों के लिए वहां की सरकार और सेना को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है जबकि भारत में चुनावी लाभ के लिए अखिलेश यादव जैसे राजनेता जिन्हें पाक पोषित आतंकियों की पृष्ठभूमि का भी कोईं अता-पता नहीं, वह उनके लिए आंसू बहा रहे हैं।
हैरानी होती है कि पाकिस्तान के जो आतंकी भारत में कईं बड़े अपराधों के लिए सीधे जिम्मेदार हैं, उन्हें पाकिस्तान की सेना न सिर्प सुरक्षा देती है बल्कि शीर्ष अदालतों के पैसले तक बदलावा देती है उन्हें भारतीय एजेंसियों का शिकार बताकर अखिलेश को कितना मुस्लिम वोट ज्यादा मिल जाएगा इसका तो पता नहीं कितु इतना जरूर लगता है कि पाकिस्तानी आतंकियों की मौत के लिए भारतीय एजेंसियों पर आरोप लगाकर उन्होंने घोर अपराध किया है। उनके इस बयान के लिए भले ही सरकार की तरफ से गाजीपुर की जिलाधिकारी प्राथमिकी न दर्ज कराएं लेकिन अखिलेश की छवि ऐसी जरूर पुष्ट हुईं है कि उन्हें हर आतंकी में मुस्लिम दिखता है। भारत के मुसलमान भी अखिलेश से ज्यादा समझदार हैं जो भारत भूमि पर मारे जाने वाले आतंकियों को दफनाने का विरोध करते हैं।