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गिरफ्तारी पर मुहर

👤 Veer Arjun | Updated on:10 April 2024 5:23 AM GMT

गिरफ्तारी पर मुहर

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दिल्ली हाईंकोर्ट ने मंगलवार को शराब घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईंडी) द्वारा की गईं अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करने के जो कारण दिए हैं, वे तो आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक, दिल्ली के मुख्यमंत्री और व्यक्तिगत तौर पर अरविंद केजरीवाल को शराब नीति घोटाले के लिए सीधे-सीधे जिम्मेदार ठहराने वाले हैं। हाईंकोर्ट ने केजरीवाल के उन सभी दावे को एकसाथ खारिज कर दिया जिसमें वह अपनी गिरफ्तारी को राजनीतिक बदले की भावना का परिणाम बताते रहे हैं। हाईंकोर्ट ने अपने पैसले में यह कहा कि ईंडी द्वारा एकत्रित किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल ने साजिश रची थी और अपराध की आय के इस्तेमाल और छिपाने में सव्रिय रूप से शामिल थे तो इसका मतलब तो यही समझा जाएगा शराब घोटाले के सूत्रधार केजरीवाल ही हैं जो पूछताछ और गिरफ्तारी से बचने को अपना विशेषाधिकार समझते हैं।

दरअसल आम आदमी पार्टी ने सरकारी गवाहों के आधार पर केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ राजनीतिक लड़ाईं शुरू की है। हाईंकोर्ट ने अपने पैसले में दो टूक कहा कि एमएस रेड्डी और शरत रेड्डी ने स्वतंत्र इच्छा से अपना बयान दिया है। असल में आम आदमी पार्टी यह जानती है कि नवम्बर 2023 से ईंडी के सम्मनों को ठुकराकर उसने जो विधिक भूल की है, उससे बचने के लिए ही उन्हें तमाम तरह की फर्जी दलीलें देनी पड़ रही हैं। हाईंकोर्ट ने दो टूक कहा कि अप्रूवर का कानून 100 वर्षो से अधिक पुराना है। यह कोईं एक साल पुराना कानून नहीं है जिससे यह लगे कि इसे याचिकाकर्ता को और राघव (अप्रूवर) के बयानों का अश्विसनीय करार दिया गया है। अदालत का यह कहना है कि अप्रूवर को क्षमादान देने पर संदेह करना न्यायिक प्रव्रिया पर आक्षेप लगाने जैसा ही है, आम आदमी पार्टी का इस गंभीर विधिक मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश पर बड़ा प्रहार किया है।

यह सच है कि हाईंकोर्ट के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कोशिश होगी कि वह गिरफ्तारी को अवैध ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएं, जहां उन्हें राहत मिल सके। लेकिन सच यह है कि गिरफ्तारी के मुद्दे पर हाईंकोर्ट ने जो पैसला दिया है उसके आधार पर एक बात तो सुनिश्चित हो ही जाती है कि केजरीवाल के विरोधी उनके खिलाफ जो आरोप लगाते हैं वह निराधार नहीं हैं। केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट में जब कभी भी जमानत के लिए जाएंगे तो वे वही तर्व वहां भी देंगे जो उन्होंने हाईंकोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को अवैध ठहराने के लिए दिया है कितु उस वक्त ईंडी की तरफ से पेश वकील हाईंकोर्ट के पैसले के आधार पर वे सारे तर्व पेश करेंगे जो जांच एजेंसी ने उन्हें उपलब्ध कराया है। ऐसी स्थिति में केजरीवाल के अब जल्दी बाहर आने की उम्मीद बहुत कम बची है। अब उन्हें शराब नीति घोटाले के मामले में आरोपों का जवाब अदालत में देना ही होगा। वह अदालती प्रव्रिया का मजाक नहीं उड़ा सकते। अब नैतिकता के किसी मानदंड का गलत तरीके से संदर्भ देकर अपनी गिरफ्तारी को अवैध ठहरा पाना केजरीवाल के लिए मुश्किल होगा।

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