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आरोप की विश्वसनीयता

👤 Veer Arjun | Updated on:22 April 2024 4:48 AM GMT

आरोप की विश्वसनीयता

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने रांची की विपक्षी गठबंधन की रैली में आरोप लगाया कि केजरीवाल को इंसुलिन की जरूरत है कितु इसके बावजूद उन्हें इंसुलिन नहीं दी जा रही है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का नाम लेकर कहा कि उनके पति को भाजपा मारना चाहती है। राजनीति में हर पार्टी को अपने विरोधी के खिलाफ आरोप लगाने का अधिकार है और यदि वास्तव में अरविंद को इंसुलिन की जरूरत है तो उन्हें मिलनी चाहिए। एक वैदी के लिए दो ही भगवान होते हैं पहला तो वकील और दूसरा जेल प्रशासन। वैदी पूरी तरह जेल प्रशासन की व्यवस्था पर निर्भर होता है। लेकिन इससे भी ज्यादा एक वैदी का जीवन संबंधित अदालत के जज की जानकारी में होता है और वही उनकी सुविधाओं की समीक्षा करते हैं। मतलब यह कि जेल प्रशासन और संबंधित जज ही सब वुछ निर्धारित करते हैं। इसमें किसी भी राजनीतिक पार्टी की कोईं भूमिका नहीं होती।

खबरों के मुताबिक जेल के चिकित्सक ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जेल जाने से पहले ही केजरीवाल की इंसुलिन छूट गईं थी। फिर भी यदि आम आदमी पार्टी और उनकी पत्नी को ऐसा लगता है कि केजरीवाल के लिए इंसुलिन अनिवार्यं है तो उन्हें अदालत से अनुरोध करना चाहिए कि वह एम्स के डाक्टरों की एक टीम तिहाड़ जेल भेजकर उनके नेता की जांच करा ले। सुनीता का यह कहना कि उनके पति निर्दोष हैं, न्यायिक प्रव्रिया पूरी होने के पहले ही ऐलान करना केजरीवाल की विशिष्ट राजनीतिक दर्शन का अंश है जो अपने बारे में एक और दूसरे के बारे में नैतिकता के अन्य मानदंड अपनाने की कला में प्रवीण हैं। अदालतों में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ जांच एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों को स्वीकार कर लेने के बाद कम से कम निदर्ोेष घोषित करना अदालतों का भी अपमान करना है।

मजे की बात तो यह है कि इंडिया गठबंधन की इस रैली में ममता और राहुल गांधी दोनों के न शामिल होने से लगता है कि गिरफ्तार मुख्यमंत्रियों की पत्नियों का शो बनकर रह गया। बहरहाल सुनीता जी को इस वक्त पार्टी के हित में राजनीतिक कौशल साबित करने की जरूरत है, इसके लिए उन्हें बहुत सारी तरकीब अपनाने की जरूरत है। यदि अरविंद की इंसुलिन उनके राजनीतिक लाभ के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है तो इसका उल्लेख करके वह राजनीतिक सहानुभूति हासिल करने का प्रयास कर रही हैं। कितु उन्हें इस बात की सावधानी रखनी होगी कि वह लक्ष्मण रेखा लांघकर अदालत की अवमानना न कर दें अन्यथा लेने के देने तो पड़ ही जाएंगे साथ ही उनकी विश्वसनीयता भी प्रभावित होगी।

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