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नेतृत्व को आईंना

👤 Veer Arjun | Updated on:29 April 2024 4:23 AM GMT

नेतृत्व को आईंना

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लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका देते हुए पार्टी के दिल्ली प्रदेश इकाईं अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने पद से त्यागपत्र देकर शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व को सच्चाईं का आईंना दिखाने का साहस किया है। दरअसल लवली ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सौंप अपने इस्तीपे संबंधी पत्र में उन कारणों का उल्लेख किया है जिसके कारण उन्हें इतना कठोर कदम उठाना पड़ा। पत्र में लिखी शिकायत के मुताबिक वह दिल्ली में आम आदमी पार्टी से समझौते के पक्ष में नहीं थे। इतना ही नहीं जिस तरह दिल्ली में कन्हैया वुमार जैसे वामपंथी को टिकट दिया गया, उससे भी वह नाराज थे। लवली ने पत्र में लिखा है कि पार्टी के कार्यंकर्ताओं के आव्रोश के कारण वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने के लिए विवश हुए।

सच तो यह है कि दिल्ली में आम आदमी पाटी़ ने कांग्रेस के साथ समझौता कर लिया कितु उसने पंजाब में ऐसा नहीं किया। लेकिन कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व तो दोनों राज्यों में आप से समझौते के लिए लालायित था कितु आप संयोजक अरविंद केजरीवाल जानते थे कि दिल्ली में कांग्रेस को वह चाहे जितनी सीटें दे दें, वह संगठन विहीन पार्टी होने के कारण फायदा नहीं उठा पाएगी। लेकिन पंजाब में अभी भी कांग्रेस का संगठन मजबूत होने के कारण समझौते कर पूरा फायदा कांग्रेस उठा लेगी। ऐसे में आम आदमी पार्टी को पंजाब में नुकसान होना तय है। यही कारण है कि केजरीवाल ने दिल्ली में कांग्रेस के साथ समझौता किया। यह दूसरी बात है कि कांग्रेस के नेताओं और कार्यंकर्ताओं के कारण ही दिल्ली में आम आदमी पाटी़ को अभूतपूर्व सफलता मिल चुकी है। केजरीवाल जानते हैं कि यदि दिल्ली में कांग्रेस मजबूत हुईं तो इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा। यदि यह तथ्य जानते हुए भी उन्होंने कांग्रेस के साथ समझौता किया तो इसका मतलब है कि उन्हें यह पता था कि विधानसभा और नगर निगम चुनाव के विपरीत लोकसभा चुनाव में 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलते हैं।

बहरहाल कांग्रेस के नीति निर्धारकों को वही पाटी़ अच्छी लगती है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गाली दे और आम आदमी पार्टी को वह नेता अच्छा लगता है जो प्रधानमंत्री मोदी के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करे। शीर्ष नेतृत्व ने इसी रणनीति के तहत दिल्ली में केजरीवाल से हाथ मिलाया था। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मात्र एक ही बात जानता है कि मोदी का विरोधी उनका सहयोगी बन सकता है और मोदी का प्रशंसक उनका कभी सहयोगी बन ही नहीं सकता, उनके इस सिद्धांत के मुताबिक ही पार्टी पैसले लेती है।

कांग्रेस के लिए केजरीवाल उनके सबसे अच्छे मित्र दिख रहे हैं कारण कि वह भी मोदी को गाली देते हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि कांग्रेस के प्रति केजरीवाल के व्यवहार से कार्यंकर्ता हमेशा क्षुब्ध रहे हैं। ऐसे तनावपूर्ण रिश्तों को जब मैत्रीपूर्ण रंग देने की कोशिश की जाती है तो अस्वाभाविक स्थिति पैदा होना तय है। लवली ने पहले तो शीर्ष नेतृत्व के दबाव में आकर आम आदमी पार्टी के साथ समझौता कर लिया। इस अस्वाभाविक समझौते के कारण ही कांग्रेस में भगदड़ मची है।

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