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नेतन्याहू की भारत यात्रा का महत्व

👤 Veer Arjun Desk 6 | Updated on:16 Jan 2018 6:57 PM GMT
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इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की छह दिवसीय भारत यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। पिछले साल जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजरायल यात्रा से ही यह सुनिश्चित हो गया था कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के रिश्ते और प्रगाढ़ होंगे। नेतन्याहू की अगवानी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हवाई अड्डे पहुंचे और प्रोटोकॉल तोड़ते हुए गले लगकर गरमजोशी से स्वागत किया। 15 साल बाद किसी इजरायली पीएम का भारत दौरा है। भारत रवाना होने से पहले नेतन्याहू ने अपने संदेश में कहा था कि वे अपने दोस्त नरेंद्र मोदी से मिलने जा रहे हैं और यह यात्रा इजरायल के लिए वरदान साबित होने वाली है। प्रधानमंत्री ने भी उन्हें मित्र कहकर संबोधित किया। पिछले महीने ही यरुशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने में अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रस्ताव का भारत ने संयुक्त राष्ट्र में विरोध किया था। लेकिन नेतन्याहू की अगवानी के लिए प्रधानमंत्री मोदी का प्रोटोकॉल तोड़कर हवाई अड्डे पर पहुंचना और दोनों का गले मिलना बताता है कि नई दिल्ली का यह फैसला भारत-इजरायल के बीच रिश्तों की फांस नहीं बना है। इसके विपरीत नेतन्याहू के दौरे के पहले दिन तीन मूर्ति चौक में इजरायली शहर हाइफा का नाम जोड़कर मोदी ने भारत-इजरायल के पुराने संबंधों को प्रासंगिक बनाने का कदम उठाया है। दरअसल प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों ने इजरायल के हाइफा शहर को आजाद कराने में बड़ी भूमिका निभाई थी। इजरायल की आजादी का रास्ता हाइफा की उस लड़ाई से ही खुला था। गौरतलब है कि हाइफा की उस लड़ाई का भी यह 100वां साल है। नेतन्याहू के साथ 130 लोगों का व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भारत आया है, जिनमें प्रतिरक्षा, सूचना तकनीक, ऊर्जा, पर्यटन आदि क्षेत्रों से जुड़े लोग शामिल हैं। पिछली जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इजरायल की यात्रा की थी, वह भी भारत के किसी प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। हालांकि भारत और इजरायल के बीच व्यापारिक रिश्ते पुराने हैं। भारत हर साल करीब एक अरब रुपए का प्रतिरक्षा साजो-सामान खरीदता है पर पिछले दिनों जब भारत ने इजरायली कंपनी राफेल के साथ रक्षा सौदों को रद्द कर दिया तो दोनों के संबंधों में कुछ गतिरोध के कयास लगाए जाने लगे थे। वह सौदा 50 अरब डॉलर का था। इस तरह राफेल की मदद से भारत में स्पाइक नाम से तैयार होने वाली एंटी टैंक गाइडिड मिसाइल की परियोजना पर भी विराम लग गया। नेतन्याहू की इस यात्रा में उस गतिरोध को भी दूर करने के प्रयास होंगे। नेतन्याहू अपने राज्य के प्रति अधिकांश देशों का समर्थन जुटाना चाहते हैं। भारत उभरती हुई विश्व शक्ति है, लिहाजा उसके समर्थन का वैश्विक महत्व है। भारत से इजरायल की दोस्ती उसकी अंतर्राष्ट्रीय छवि को निखार सकती है। दूसरी ओर रक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आतंकवाद के मोर्चे पर भारत को भी इजरायल की मदद और सहयोग की जरूरत है। यह पारस्परिक निर्भरता दोनों देशों को करीब ला रही है। श्री बेंजामिन नेतन्याहू का भारत में स्वागत है और हम उम्मीद करते हैं कि दोनों देशों के आपसी रिश्ते और मजबूत होंगे।

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