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सैन्य आपरेशन के साथ राजनीतिक पहल भी जरूरी

👤 Veer Arjun Desk 6 | Updated on:17 Jan 2018 6:34 PM GMT
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सीमा पर भारतीय सेना की कार्रवाई में चार पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने के बीच सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है कि यदि वह बाज नहीं आता है तो भारत एक बार फिर मजबूरी में दूसरा विकल्प अपनाने में पीछे नहीं हटेगा। जनरल रावत ने 70वें सेना दिवस के अवसर पर भव्य परेड की सलामी लेने के बाद अपने संबोधन में कहा कि पाकिस्तान की सेना घुसपैठियों की मदद करती रही है, अगर हमें मजबूर किया गया तो और मजबूत कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि सेना उकसावे की किसी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति कायम करने के लिए सैन्य आपरेशन के साथ राजनीतिक पहल भी जारी रहनी चाहिए। उनका कहने का आशय यही है कि सरकार बातचीत के जरिए पाकिस्तान की सरकार को आतंकवाद फैलाने और घुसपैठ सहित तमाम मसलों पर विचार करे, लेकिन सेना का आतंकवादियें के खिलाफ सख्ती का रुख बरकार रहेगा। जनरल रावत आतंकियों के खिलाफ अपने कड़े बर्ताव के लिए जाने जाते हैं। हालांकि सेना प्रमुख ने इसके अलावा दो और अहम बातें कहीं। पहली यह कि जम्मू-कश्मीर में काम कर रहे सशस्त्र बल यथास्थितिवादी नहीं हो सकते। उन्हें हमेशा चौकस रहना होगा और अपनी रणनीतियों में बदलाव लाना होगा, और दूसरी महत्वपूर्ण बात उन्होंने यह कही कि अगर सही तरीके से सैन्य और राजनीतिक विमर्श होगा तो राज्य में स्थायी तौर पर शांति की पताका फहराएगी। जम्मू-कश्मीर में जनरल रावत की पहल पर आपरेशन आल आउट चल रहा है। इस दौरान 210 आतंकी मारे जा चुके हैं। यह आंकड़ा बीते तीन साल में सबसे ज्यादा है, हालांकि साल भर के दौरान आतंकी हिंसा की घटनाएं भी बढ़ी हैं। 10 दिसंबर तक जहां 2016 में 302 आतंकी हिंसा की वारदात हुईं वहीं 2017 में यह बढ़कर 335 हो गई। यह भी एक तथ्य है कि आतंकी पाकिस्तानी सेना के सहयोग-समर्थन से सीमा पर तैनात जवानों को निशाना बनाने और घुसपैठ करने में भी संलग्न है। सीमा पर सैन्य चौकसी बढ़ाने के बावजूद पाक सेना जिस तरह आए दिन संघर्ष विराम का उल्लघंन करती है, उससे यही पता चलता है कि अभी उसे जरूरी सबक सिखाया जाना शेष है। पाकिस्तान की तरफ से 2017 में 820 संघर्ष विराम उल्लघंन की घटनाएं सामने आई हैं। यह सब कुछ तब है जब सेना की पुरजोर सख्ती है। इस नाते सेना प्रमुख ने एक तरह से सरकार को बातचीत से मसले को सुलझाने की प्रक्रिया जारी रखने का संकेत भी दिया है और पाकिस्तान को कहा है कि हम ईंट का जवाब पत्थर से देंगे।

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