Home » संपादकीय » सेना की बड़ी कामयाबी, एक हफ्ते में मारे 17 आतंकी

सेना की बड़ी कामयाबी, एक हफ्ते में मारे 17 आतंकी

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:19 Sep 2018 6:57 PM GMT
Share Post

जम्मू-कश्मीर के कुलगांव जिले में शनिवार को सुरक्षा बलों ने घेराबंदी और तलाशी अभियान के दौरान हुई मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकियों को मार गिराने में भारी सफलता हासिल की। हमारे बहादुर जवानों ने एक हफ्ते में 17 आतंकियों को मार गिराया है। यह अपने आप में भारी उपलब्धि है। कुलगांव जिले की तलाशी में पिछले साल कैशवैन पर हमला कर पांच पुलिसकर्मियों और दो बैंक गार्डों की हत्या करने वाला आतंकी भी मारा गया है। सुरक्षा बलों के अभियान में कुछ स्थानीय उपद्रवियों ने बाधा डालने की कोशिश की। इस दौरान सुरक्षा बलों ने हवा में गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले छोड़े। इसमें एक पत्थरबाज की हत्या हो गई जबकि 10 पत्थरबाज घायल हुए हैं। घाटी में पिछले एक हफ्ते में सेना को बड़ी सफलता मिली है। सेना ने कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में 17 आतंकियों को मार गिराया। मुठभेड़ के चलते बारामूला और कांजीपुंड के बीच ट्रेन सेवा निलंबित कर दी गई है, साथ ही दक्षिण कश्मीर के चार जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। जम्मू-कश्मीर में निकाय चुनावों का भी ऐलान कर दिया गया है। चार चरणों में होने वाले चुनावों की मतगणना 20 अक्तूबर को होगी। चुनाव आयुक्त शलीन काबरा ने बताया कि चुनाव 8, 10, 13 और 16 अक्तूबर को होंगे। वोटिंग का समय सुबह 7 बजे से दोपहर 2 बजे तक रहेगा। बता दें कि राज्य की मुख्य पार्टियों नेशनल कांपेंस और पीपुल्स डेमोकेटिक पंट (पीडीपी) ने संविधान के अनुच्छेद 35 (ए) का हवाला देते हुए निकाय चुनावों का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। पूर्व सीएम और नेशनल कांपेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि एक चुनाव जिसमें लोगों की हिस्सेदारी नहीं है, उसे केंद्र चुनाव की तरह देख रहा है तो इसमें हम क्या कर सकते हैं? हमने लोगों से चुनाव में भाग न लेने या फिर इसका बहिष्कार करने को नहीं कहा है। हमने सिर्प इतना कहा है कि हमारी पार्टी इसमें भाग नहीं लेगी। पीडीपी की अध्यक्ष और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने अपनी पार्टी की ओर से एक बैठक के बाद राज्य के पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया था। महबूबा की दलील थी कि पदेश में अनुच्छेद 35 (ए) को लेकर एक बड़ी अनिश्चितता और डर का माहौल है, ऐसे में अगर इन स्थितियों में सरकार कोई भी चुनाव कराती है तो परिणामों के बाद उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होंगे। आने वाले दिन सुरक्षा बलों के लिए चुनौतीपूर्ण होंगे, साथ ही जम्मू-कश्मीर की अवाम के लिए भी यह एक अवसर होगा, लोकतंत्र को मजबूत करने और अपने हितों की रक्षा करने के लिए अपनी पसंद के नुमाइंदों को

चुनने का।

-अलिन नरेन्द्र

Share it
Top