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सिर्फ किसानों को कोसने से प्रदूषण दूर नहीं होगा, हम भी जिम्मेदार

👤 Veer Arjun | Updated on:19 Oct 2019 7:37 AM GMT

सिर्फ किसानों को कोसने से प्रदूषण दूर नहीं होगा, हम भी जिम्मेदार

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-अनिल नरेन्द्र

दिल्ली के लोग पिछले वुछ दिनों से खराब हवा में सांस ले रहे हैं। नौ अक्तूबर के बाद से वायुसिर्फ किसानों को कोसने से प्रदूषण दूर नहीं होगा, हम भी जिम्मेदार

गुणवत्ता की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। बुधवार से तो हवा बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गईं है। कईं सालों बाद इस बार दशहरे की अगली सुबह धुएं से भरी नहीं थी। दशहरे के अगले दिन यानि नौ अक्‍टूबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक 173 अंक यानि मध्यम स्तर पर थी। आतिशबाजी और पटाखों में कमी के चलते बीते पांच सालों में प्रदूषण का स्तर सबसे कम था।

लेकिन अगले दिन से हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। 10 अक्तूबर से ही वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब श्रेणी में पहुंच गईं। तब से लगातार दिल्ली की हवा में प्रदूषक कणों की मात्रा बढ़ती जा रही है। बुधवार को यह सीजन में सबसे खराब स्तर पर यानि 304 के अंक तक पहुंच गईं। मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि वायु गुणवत्ता अगले वुछ दिनों में और खराब हो सकती है। दिल्ली-एनसीआर में अक्‍टूबर-नवम्बर के दौरान प्रदूषण बढ़ते ही ठीकरा पराली जलाने वाले किसानों पर फोड़ दिया जाता है, जबकि पराली का योगदान 10 प्रतिशत से भी कम है। प्रदूषण के लिए 90 प्रतिशत जिम्मेदार स्थानीय रत्रोत होते हैं।

वे स्थानीय कारण वुछ इस प्रकार हैं। दिल्ली में करीब दो हजार अवैध कॉलोनियां हैं। उच्च न्यायालय ने इनमें निर्माण कार्यं पर रोक लगा रखी है। फिर भी यहां चोरी-छिपे फ्लैट और मकान बनाए जा रहे हैं। निर्माण स्थल पर रेत-बदरपुर खुले में पड़ा रहता है। यह वाहनों के आने-जाने से उड़ता है और हवा में घुल जाता है। पुलिस का काम है कि अवैध निर्माण की सूचना निगम को दे और निगम कार्रवाईं करे। पुलिस निर्माण सामग्री ले जा रहे वाहनों पर नजर रखे।

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस अपने ट्विटर हैंडल पर दिन में औसतन 15 बार उन इलाकों की जानकारी देती है, जहां जाम लगता है। इसके पीछे कईं वाहनों का खराब हो जाना, धरना, प्रदर्शन या सड़कों पर निर्माण कार्यं जिम्मेदार होते हैं। इस कारण घंटों तक वाहन अटके रहते हैं। यह हवा में प्रदूषण बढ़ने का भी कारण बनते हैं। ट्रैफिक पुलिस के अलावा सड़कों पर निर्माण कार्यं करने वाली उन तमाम एजेंसियों को ध्यान रखना चाहिए कि काम रात में ही किया जाए।

लैंडफिल साइट, खाली प्लॉट और कॉलोनियों के भीतर व आसपास अकसर कूड़े में आग लगा दी जाती है, जिसके कारण सबसे ज्यादा हवा जहरीली होती है। घरों में से कूड़ा उठाने की जिम्मेदारी निगम की है। सड़कों पर कोईं कचरा न जलाए, इसका ध्यान भी निगम कर्मचारियों को रखना होता है। खराब और टूटी सड़कों के कारण भी दिल्ली की हवा खराब हो रही है। दिल्ली सरकार ने हाल ही में सड़कों के गड्ढे भरने का अभियान चलाया है। पीडब्ल्यूडी और नगर निगम के हिस्से से सबसे खराब सड़वें आती हैं।

कौन कितना जिम्मेदार-परिवहन 39.1 प्रतिशत, उद्योग 22.3, आवासीय 5.7, धूल कण 18.1 और अन्य 19.8 प्रतिशत जिम्मेदार है प्रदूषण के लिए। इसलिए केवल पराली अकेले को प्रदूषण के लिए दोष नहीं दिया जा सकता। हकीकत तो यह है कि हम सभी कहीं न कहीं दिल्ली में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।

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