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अमित शाह ने मोदी-उद्धव में दूरी पैदा की

👤 Veer Arjun | Updated on:19 Nov 2019 3:56 AM GMT

अमित शाह ने मोदी-उद्धव में दूरी पैदा की

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-अनिल नरेन्द्र

शिवसेना-भाजपा के 35 वर्ष का गठबंधन लगभग समाप्त-सा हो गया है। भाजपा नेता इसके लिए एक प्रमुख कारक माने जा रहे शिवसेना नेता और पार्टी मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। दूसरी ओर संजय राउत और शिवसेना अध्यक्ष के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मतभेद कराने के लिए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को जिम्मेदार ठहराने लगे हैं। उन्होंने अमित शाह पर पीएम मोदी और उद्धव ठाकरे के बीच दूरी पैदा करने का आरोप लगाया है।

संजय राउत का रुख शिवसेना को ऐसे मोड़ की ओर ले जाता दिख रहा है जहां से भाजपा की ओर वापसी की संभावना कम ही बची है। अब उन्होंने सीधा प्रहार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर शुरू कर दिया है। अपनी एंजियोप्लास्टी करवाकर अस्पताल से लौटे राउत ने प्रेस से पहली बार बात करते हुए शाह पर सीधा आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे और अमित शाह के बीच एकांत में हुई गठबंधन की शर्तों को शाह ने मोदी तक नहीं पहुंचाया। राउत ने यह बात एक दिन पहले ही शाह के उस बयान के जवाब में कही जिसमें शाह ने साफ किया कि उद्धव से उनकी बातचीत के दौरान ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद पर कोई बात नहीं हुई थी।

शाह के अनुसार चुनाव प्रचार के दौरान खुद उन्होंने और प्रधानमंत्री मोदी ने सौ से अधिक बार गठबंधन के बहुमत में आने की स्थिति में देवेंद्र फड़नवीस के ही पुन मुख्यमंत्री बनने की बात कही थी। तब शिवसेना की ओर से एक बार भी इसका विरोध नहीं किया गया था। राउत ने शाह की इस बात का भी जवाब देते हुए कहा कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे भी अपनी हर सभा में शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाने की बात कहते आ रहे थे। महाराष्ट्र में बहरहाल कई हफ्तों से चल रहा सियासी नाटक खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है।

एक ओर जहां कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना की सरकार बनती दिख रही है, वहीं सरकार बनाने से एक बार इंकार कर चुकी भाजपा भी अब दावा कर रही है। ऐसे में पूर्व सहयोगी शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना भाजपा पर जमकर हमला बोला है। सामना के संपादकीय में कहा गया है कि राज्य में नए समीकरण बनते दिखते हुए कई लोगों के पेट में दर्द शुरू हो गया है। पार्टी ने कहा है, कौन कैसे सरकार बनाता है देखता हूं, अपरोक्ष रूप से इस प्रकार की भाषा और कृत्य किए जा रहे हैं। ऐसे श्राप भी दिए जा रहे हैं कि अगर सरकार बन भी गई तो कैसे और कितने दिन टिकेगी देखते हैं। ऐसा भविष्य भी बताया जा रहा है कि छह महीने से ज्यादा सरकार नहीं टिकेगी।

शिवसेना ने तीखे लहजे में कहा है कि हम महाराष्ट्र के मालिक हैं और देश के बाप हैं, ऐसा किसी को लगता होगा तो वे इस मानसिकता से बाहर आएं। यह मानसिक अवस्था 105 वालों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। ऐसी स्थिति ज्यादा समय रही तो मानसिक संतुलन बिगड़ जाएगा और पागलपन की ओर यात्रा शुरू हो जाएगी। शिवसेना और भाजपा में इतने मतभेद हो गए हैं कि अब फिर साथ आना असंभव तो नहीं मुश्किल जरूर लगता है पर राजनीति में कुछ भी हो सकता है।

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