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कांग्रेस में लैटर बम विवाद बढ़ता जा रहा है

👤 Veer Arjun | Updated on:2 Sep 2020 2:46 AM GMT

कांग्रेस में लैटर बम विवाद बढ़ता जा रहा है

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-अनिल नरेन्द्र

कांग्रेस में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को असंतुष्ट नेताओं की तरफ से दिए गए पत्र पर विवाद बढ़ता जा रहा है। पाटा नेतृत्व इस बात को लेकर नाराज है कि जब सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा हो गईं थी तो उसके बाद पत्र लिखने वाले नेता सार्वजनिक मंच पर फिर क्यों बातें उठा रहे हैं। पिछले वुछ दिनों से जिस तरह गुलाम नबी आजाद ने कईं टीवी चैनलों को इंटरव्यू दिए और कपिल सिब्बल, शशि थरूर और मनीष तिवारी सोशल मीडिया पर लगातार उन्हीं बातों को दोहरा रहे हैं जिनको पत्र में लिखा गया था, उससे कांग्रोस के कान खड़े हुए हैं।

गुलाम नबी आजाद ने हाल में दिए एक इंटरव्यू में कहा कि पाटा के शीर्ष पदों के लिए चुनाव नहीं कराए गए तो कांग्रोस अगले 50 साल तक विपक्ष में ही बैठेगी। चुनिन्दा लोगों के पास अध्यक्ष पद रहने से पाटा में उठी असंतुष्टों की लहर खतरनाक हो सकती है। पाटा इस प्राकार की बातें सार्वजनिक मंचों से उठाना अनुशासन की लक्ष्मण रेखा लांघने के रूप में देख रही है। नेहरू-गांधी परिवार के वफादारों का कहना है कि पाटा की सर्वोच्च नीति-निर्धारक संस्था में जिन बातों को रखा गया, उनको बार-बार दोहराने का मतलब पाटा नेतृत्व पर दबाव बनाने की रणनीति है।

उधर पत्र लिखने के तौर-तरीकों से नाराज पाटा का एक बड़ा तबका खुलकर असंतुष्टों के खिलाफ खड़ा हो गया है। यह नेता पत्र लिखने वाले असंतुष्ट नेताओं के खिलाफ फौरन कार्यंवाही की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रोस कार्यंसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के बाद पेरबदल को लेकर असंतुष्ट नेताओं की धड़कनें तेज हैं। पाटा नेताओं और कार्यंकर्ताओं को सबसे ज्यादा गुस्सा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद को लेकर है। उत्तर प्रादेश सहित कईं प्रादेशों के नेता लगातार आजाद के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि आजाद ने कांग्रोस के लिए कोईं संघर्ष नहीं किया। खुद लगातार 23 साल तक सीडब्ल्यूसी में नामित होते रहे और अब चुनाव की बात कर रहे हैं। कांग्रोस के कईं नेताओं ने पाटा अध्यक्ष को लिखे पत्र और सीडब्ल्यूसी के चुनाव को राहुल गांधी के विरोध के तौर पर भी देख रहे हैं। पाटा के एक नेता ने कहा कि पत्र लिखने वाले नेताओं को डर था कि राहुल गांधी उन्हें दोबारा राज्यसभा में नहीं भेजेंगे, इसलिए वह उनकी वापसी का विरोध कर रहे हैं। हालांकि पत्र लिखने वाले नेता बार-बार कह रहे हैं कि वह परिवार के खिलाफ नहीं हैं। पाटा प्रावक्ता अभिषेक मनु सिघवी ने इस बारे में कहा कि इस विषय पर सीडब्ल्यूसी में सात घंटे तक चर्चा हुईं है।

कांग्रोस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने साफ कर दिया कि सभी मुद्दों पर एक परिवार की तरह चर्चा की है। अब हमें आगे चलना है। इसके बाद भी अगर कोईं सुर्खियों में बने रहने के लिए इस मुद्दे पर बात करता है तो यह उसकी अपनी पसंद है। उधर पत्र लिखने के तौर-तरीकों से नाराज कांग्रोस नेतृत्व ने पत्र मुहिम की अगुवाईं करने वाले नेताओं को अलग-थलग करने की रणनीति को अंजाम देना शुरू कर दिया है। उन लोगों को एक के बाद एक झटके दिए जा रहे हैं। लैटर बम खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा।

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