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मीडिया को डराने-धमकाने की कोशिश

👤 Veer Arjun | Updated on:2 Feb 2021 7:45 AM GMT

मीडिया को डराने-धमकाने की कोशिश

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-अनिल नरेन्द्र

किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हिसा पैलाने के मामले में कांग्रोस नेता शशि थरूर समेत कईं वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का केस दर्ज किया गया है। यह मामला नोएडा स्थित थाना सेक्टर-20 में दर्ज हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक आरोप है कि वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाईं, मृणाल पांडे, जफर आगा, परेश नाथ, अनंत नाथ और विनोद के. जोंस ने किसान ट्रैक्टर मार्च के दौरान उकसाने वाले कमेंट सोशल मीडिया पर जारी किए हैं। इन लोगों ने जानबूझ कर किसानों को उग्रा करने के लिए अपने समाचार पत्रों के माध्यम से ऐसी खबरें प्रासारित की हैं जिनकी वजह से दिल्ली-एनसीआर में किसानों ने हिसा की है। मध्य प्रादेश पुलिस ने भी शशि थरूर और छह पत्रकारों के खिलाफ एफआईंआर दर्ज की है। भोपाल के मिसरोद पुलिस थाने के प्राभारी निरीक्षक निरंजन शर्मा ने बताया कि गुरुवार रात को किसान संजय रघुवंशी की शिकायत पर शशि थरूर, पत्रकार मृणाल पांडे, राजदीप सरदेसाईं, विनोद जोंस, जफर आगा, परेश नाथ और अनंत नाथ के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने वरिष्ठ संपादकों के खिलाफ एफआईंआर दर्ज करने की कड़ी निंदा की है। गिल्ड ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह कार्रवाईं मीडिया को डराने- धमकाने की कोशिश है। गिल्ड ने मांग की कि ऐसे मामले तुरन्त वापस हों और मीडिया को बिना किसी डर के आजादी के साथ रिपोर्टिग करने की इजाजत दी जाए। बयान में कहा गया कि एक प्रादर्शनकारी की मौत से जुड़ी घटना की रिपोर्टिग करने, धरना स्थल, धरना व््राम की जानकारी अपने निजी सोशल मीडिया हैंडल पर और अपने प्राकाशनों पर देने पर पत्रकारों को खासतौर पर निशाना बनाया गया। जिन पत्रकारों के नाम एफआईंआर में हैं, उनमें मृणाल पांडे, राजदीप सरदेसाईं, विनोद जोंस, जफर आगा, परेश नाथ और अनंत नाथ शामिल हैं। एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भी एफआईंआर दर्ज की गईं है। गिल्ड ने कहा—यह ध्यान रहे कि प्रादर्शन और कार्रवाईं वाले दिन धरनास्थल पर मौजूद प्रात्यक्षदर्शियों और पुलिस की ओर से अनेक सूचनाएं मिलीं। पत्रकारों के लिए यह स्वाभिक बात थी कि वह इन जानकारियों को रिपोर्ट करें। यह पत्रकारिता को स्थापित नियमों के मुताबिक ही था। गिल्ड ने कहा कि वह उत्तर प्रादेश और मध्य प्रादेश पुलिस के डराने-धमकाने के तरीके की कड़ी निंदा करते हैं, जिन्होंने किसानों की प्रादर्शन रैलियों और हिसा की रिपोर्टिग करने पर वरिष्ठ संपादकों और पत्रकारों के खिलाफ एफआईंआर दर्ज कीं। इन वरिष्ठ संपादकों और पत्रकारों से पूर्व और मौजूदा पदाधिकारी शामिल हैं। गिल्ड ने रेखांकित किया कि इन प्राथमिकियों में आरोप लगाया गया है कि ट्वीट इरादतन दुर्भाग्यपूर्ण और लाल किले पर हुए उपद्रव के कारण बने।

गिल्ड ने पहले की गईं अपनी मांग भी दोहराईं कि उच्चतम न्यायपालिका को इस बात पर गंभीर संज्ञान लेना चाहिए कि देशद्रोह जैसे कईं कानूनों का इस्तेमाल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करने के लिए दिया जा रहा है। यह सुनिाित करन के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं कि इस तरह के कानूनों को धड़ल्ले से इस्तेमाल स्वतंत्र प्रोस के खिलाफ प्रातिरोधक के तौर पर न किया जाए। विचार की आजादी पर डंडा चलाने की घटनाओं में हाल में बहुत तेजी आईं है। यह बेहद खतरनाक ट्रेंड है। बदकिस्मती से सरकारें या तो उसे शह दे रही हैं या जानबूझ कर अनदेखा कर रही हैं। लेकिन अगर इस प्रावृत्ति को रोका नहीं गया तो भारत का लोकतंत्र छलनी हो जाएगा। क्या 21वीं सदी में प्रागतिशील भारत की यही पहचान होनी चाहिए?

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