जनधन खाते वाले गरीबों को लगाया 164 करोड़ का चूना
-अनिल नरेन्द्र
भारतीय स्टेट बैंक यानि एसबीआईं ने पिछले वुछ सालों में गलत तरीके से जनधन खातों के जरिये डिजिटल लेन-देन पर भी ट्रांजेक्शन शुल्क वसूले हैं। सरकारी निर्देशों के बाद हालांकि बैंक की तरफ से 90 करोड़ रुपए ग्राहकों को लौटा दिए गए हैं लेकिन आशंका जताईं जा रही है कि अभी भी ग्राहकों के डेढ़ सौ करोड़ रुपए से ज्यादा बैंक के पास पंसे हैं।
आईंआईंटी बॉम्बे की तरफ से तैयार की गईं रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एसबीआईं ने यह रकम अप्रौल 2017 से सितम्बर 2020 के दौरान वसूली है। इस दौरान बैंक ने खाताधारकों के यूपीआईं और रुपे डेबिट कार्ड के जरिये हुए 14 करोड़ डिजिटल लेन-देन पर ढाईं सौ करोड़ रुपए से ज्यादा वसूले हैं। रिपोर्ट तैयार करने वाले आईंआईंटी बॉम्बे के प्राोपेसर आशीष दास ने बताया है कि बैंक ने ग्राहकों से यह 17.70 रुपए का शुल्क प्राति डिजिटल ट्रांसजेक्शन पर नाजायज तरीके से वसूला है। इस हिसाब से आंकलन किया गया है कि अप्रौल 2017 से सितम्बर 2020 के दौरान जनधन खाता धारकों के जरिये हुए वुल 14 करोड़ डिजिटल लेन-देन पर 254 करोड़ रुपए वसूले गए। प्रोपेसर दास का मानना है कि इस शुल्क को लेना बैंक बोर्ड की तरफ से एक भूल थी। हालांकि अक्तूबर 2020 से बैंक ने यह शुल्क लगाना बंद कर दिया है। अपेक्षावृत कमजोर वर्ग से वसूले गए 164 करोड़ रुपए के नाजायज शुल्क बैंक के पास अभी तक बकाया है।