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कोरोना, किसान आंदोलन से पूरा वर्ष जूझते रहे

👤 Veer Arjun | Updated on:1 Jan 2022 5:32 AM GMT

कोरोना, किसान आंदोलन से पूरा वर्ष जूझते रहे

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—अनिल नरेन्द्र

वर्ष 2021 बीत गया है। 2022 का आरंभ हो चुका है। 2021 ऐसा वर्ष था जो मेरे समेत कईं लोग भुला न सवेंगे। साल कहीं खुशी लाया पर ज्यादातर गम लाया। पूरा साल कोरोना और ओमीक्रान के डर से गुजरा। सैकड़ों परिवारों का सब वुछ उजड़ गया। दिल्लीवासी कोरोना की दूसरी लहर से तो जूझे ही ऑक्सीजन की कमी ने अनेक परिवारों को रुलाया। हालांकि टीकाकरण अभियान से वुछ राहत जरूर मिली। दिल्ली की सीमाओं पर करीब सालभर चले किसान आंदोलन ने राहगीरों और कारोबारियों को परेशान किया तो दीपावली के बाद दमघोंटू हवा ने जीना मुहाल कर दिया। हमेशा की तरह दिसम्बर आते-आते यह साल भी हमसे बिदा ले चुका है।

इस पूरे साल में जहां दुनिया कोरोना के दर्द को झेलती रही वहीं भारत में भी इसने भरपूर कहर ढाया। राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो भारत के लिए इस साल की राजनीति किसान आंदोलन, कोविड से होने वाली जन-धन की हानि, पेगासस मुद्दा, देश की सीमाओं पर चीनी अतिव््रामण की खबरें, पेट्रोल-डीजल के दामों में लगी आग, खाने-पीने की चीजों की महंगाईं, लाल किले की घटना और उत्तर प्रादेश में लखीमपुर खीरी कांड के इर्दगिर्द वेंद्रित रही। इस पूरे साल में पांच राज्यों के चुनाव हुए—पािम बंगाल, असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहा पािम बंगाल का विधानसभा चुनाव, जहां पर तृणमूल कांग्रोस की मुखिया ममता बनजा ने तीसरी बार भारी बहुमत से जीत हासिल की और भाजपा द्वारा उन्हें सत्ता से बेदखल करने के मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया। पािम बंगाल के नतीजों ने जहां 2021 की राजनीति को प्राभावित किया वहीं माना जा रहा है कि यह चुनाव 2022 की राजनीति में भी देश की राजधानी पर अपना असर डालेगा। भाजपा ने असम में अपनी सत्ता बरकरार रखी, वहीं केरल में वामपंथी नीत सरकार फिर से सत्ता में आईं। तमिलनडु में द्रमुक ने अन्नाद्रमुक को सत्ता से बाहर कर दिया।


वर्ष 2021 में भाजपा ने अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बदल दिया। मुख्यमंत्री के इस बदलाव से कांग्रोस भी अछूती नहीं रही और पंजाब में वैप्टन अमरिन्दर सिह की जगह डॉक्टर चरणजीत सिह चन्नी को कमान सौंप दी गईं। जुलाईं में दुनिया के 17 मीडिया संस्थानों ने दावा किया कि पेगासस स्पाइवेयर से भारत सहित कईं देशों की सरकारों ने पत्रकारों, नेताओं, मानवाधिकार कार्यंकर्ताओं के फोन हैक किए। विवाद इतना बढ़ गया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति बनाईं जो मामले को देखेगी। वेंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय वुमार मिश्रा जब तीन अक्तूबर को लखीमपुर खीरी जिले के एक कार्यंव््राम में पहुंचे तब वहां भड़की हिसा में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए। इस दौरान दो कारें किसानों को रौंदते हुए निकल गईं। इसके बाद मंत्री विवादों में आ गए। 14 दिसम्बर को जांच टीम ने माना कि यह दुर्घटना नहीं थी, बल्कि हत्या की साजिश थी। इस मामले में वेंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय वुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी माना गया। ऐसा नहीं कि खुशी की खबरें नहीं आईं। टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलािड़यों ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रादर्शन किया। नीरज चोपड़ा ने जैकलिन थ्रो में नया कीर्तिमान बनाया। पैरालिपिंक में भारत ने पांच गोल्ड, आठ सिल्वर और छह ब्रांज जीते। समाचार पत्रों के लिए यह साल निराशाजनक रहा। बार-बार अनुरोध करने पर भी वेंद्र सरकार ने कोईं राहत नहीं दी। महंगाईं ने तो सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। गरीब आदमी की तो कमर टूट गईं। पर्सनल लेवल पर मैंने अपनी पत्नी को खोया। उम्मीद करते हैं कि 2022 सभी के लिए 2021 से बेहतर रहेगा। 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं।

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