पाक सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज
—अनिल नरेन्द्र
पाकिस्तान की न्यायपालिका ने पहली बार एक महिला को न्यायाधीश नियुक्त किया है। अपनी मेहनत, लगन और ईंमानदारी से इस पद पर अधिवक्ता आयशा मलिक पहुंची हैं। वहां के न्यायिक आयोग ने उनके नाम की मंजूरी दे दी है और अब संसदीय समिति से मंजूरी मिलने के बाद वह अपना नया दर्जा हासिल कर लेंगी। तीन जून 1966 को जन्मी आयशा मलिक ने कराची ग्रामर स्वूल से शुरुआती पढ़ाईं करने के बाद, कराची के ही गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से स्नातक की उपाधि ली। इसके बाद कानूनी शिक्षा की तरफ उनका रुझान हुआ और लाहौर के कॉलेज ऑफ लॉ से डिग्री लेने के बाद उन्होंने अमेरिका में मेसाच्युसेट्स के हॉर्वर्ड स्वूल ऑफ लॉ से एलएलएम (विधि परास्नातक) की पढ़ाईं की। उनकी योग्यता का सम्मान करते हुए उन्हें 1998-1999 में लंदन एमग्रौमोन पेलो चुना गया। 2012 में वह लाहौर उच्च न्यायालय में जज के तौर पर नियुक्त हुईं। अपने निष्पक्ष और बेबाक पैसलों के कारण अकसर चर्चा में रहने वाली आयशा की हालिया नियुक्ति का वुछ न्यायाधीशों और वकीलों ने विरोध किया है। उन्होंने आयशा की वरिष्ठता और इस पद के लिए उनकी योग्यता पर सवाल खड़े किए हैं।
आयशा मलिक देश में महिला अधिकारों की पैरोकार मानी जाती हैं। इसका एक उदाहरण उनका पिछला पैसला है, जिसमें बलात्कार के मामलों में महिलाओं पर किए जाने वाले एक विवादित परीक्षण को उन्होंने रद्द कर दिया जो अकसर आरोपियों को कानून के पंदे से बच निकलने में मददगार होता था और पीिड़त महिला के चरित्र को संदेह के घेरे में खड़ा कर देता था। पाकिस्तान में महिलाओं के हालात दुनिया से छिपी नहीं। आशा है कि आयशा मलिक की नियुक्ति से महिला अधिकारों की बहाली की दिशा में एक नया इतिहास लिखा जाएगा।