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राम की अयोध्या से क्यों नहीं लड़े योगी आदित्यनाथ?

👤 Veer Arjun | Updated on:19 Jan 2022 4:45 AM GMT

राम की अयोध्या से क्यों नहीं लड़े योगी आदित्यनाथ?

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—अनिल नरेन्द्र

भाजपा ने अपनी पहली ही सूची के साथ यह घोषणा कर चौंका दिया है कि सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहर से चुनाव लड़ेंगे। चौंकाने की वजह है, अब तक यह लगभग तय माना जा रहा था कि वह अयोध्या से चुनावी रण में उतरेंगे। यह भी कहा जा रहा था कि योगी मथुरा सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा की एक टीम अयोध्या में जाकर वहां के मतदाताओं का मन टटोल रही थी और जातिगत समीकरणों पर मंथन के बाद योगी को गोरखपुर से लड़ाने का पैसला किया गया। सूत्रों की मानें तो पाटा हाईं कमान की भी मंशा यही थी। योगी जैसा कट्टर हिन्दुत्व का चेहरा अयोध्या से उतरता तो कम से कम आसपास की 60 सीटों में वोटों के ध्रुवीकरण की उम्मीद ज्यादा थी। मगर खुद योगी अपने गढ़ गोरखपुर से उतर कर पहले अपनी जीत सुनिाित करना चाहते थे। दरअसल अयोध्या ऐसी सीट है जहां 93.23 प्रातिशत आबादी हिन्दू होने के बावजूद भाजपा की जीत तय नहीं हो पा रही है। 2012 में यह सीट सपा ने जीती थी, 2017 में मोदी-योगी लहर में भाजपा के हाथ आईं। 2012 के चुनाव में सपा के पवन पांडे जीते थे। भाजपा के लल्लू सिह और बसपा के टिकट पर लड़े वेद प्राकाश गुप्ता तीसरे स्थान पर थे। बाकी पार्टियों और निर्दलीयों का वोट शेयर भी ठीक-ठाक रहा था। 2017 के चुनाव का वोट शेयर बताता है कि सपा का वोट बैंक ज्यादा नहीं खिसका। बसपा का वोट शेयर थोड़ा बढ़ा।

अयोध्या के ब्राrाण खुश रहते तो भाजपा की जीत पक्की थी। वहां पर शहरी क्षेत्र में 70 हजार ब्राrाण, 28 हजार क्षत्रिय हैं। 27 हजार मुस्लिम के साथ ही 30 हजार दलित हैं। इसके साथ ही शहरी क्षेत्र में यादव वोटरों की संख्या 40 हजार है। योगी उतरते तो टक्कर कड़ी रहती और उन्हें यहां अपना ज्यादा समय देना पड़ता, क्योंकि सपा के पूर्व विधायक पवन पांडे का दबदबा यहां अधिक है। योगी के यहां से हटने के बाद अयोध्या सदर सीट भाजपा के हाथ से निकलती दिख रही है। योगी आदित्यनाथ यदि गोरखपुर क्षेत्र से बाहर रहते तो शहरी के साथ ही आसपास की 17 विधानसभा सीटों पर असर पड़ने के आसार थे। गोरखपुर ग्रामीण के साथ ही पिपरटच, चौरीचौरा की सीट भी पंसती हुईं दिखाईं दे रही थी।

वुशीनगर में स्वामी प्रासाद मौर्यं के अलग होने से पडरौना, तमवुरीन, फातिल नगर की सीट पर भी सपा का कब्जा होता दिख रहा था। क्योंकि यहां पर कांग्रोस के साथ ही मौर्यं का दबदबा है। संत कबीर नगर में तीन विधानसभा सीट में खलीलाबाद की सीट हाथ से निकलती दिखाईं दे रही है। अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा ने चुनाव में पहले ही योगी को घर भेज दिया। इसके लिए उन्होंने भाजपा का धन्यवाद भी किया। शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि योगी जी को जनता घर वापस भेजती, इससे पहले ही भाजपा ने उन्हें उनके घर भेज दिया।

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