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भ्रष्टाचारियों का बचाव

👤 mukesh | Updated on:3 Aug 2022 5:30 AM GMT

भ्रष्टाचारियों का बचाव

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इन दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईंडी) द्वारा की गईं कार्रवाईं को राजनीतिक बदले की भावना से की गईं साजिश बताने वालों के सुविधाजनक तर्को की काफी चर्चा है। सत्येंद्र जैन पकड़े गए तो आरोप लगा कि भाजपा ने उनके मोहल्ला क्लीनिक माडल से ईंष्र्यांवश ऐसी कार्रवाईं करवाईं है।

शिवसेना के संजय राउत पकड़े गए तो कहा जाने लगा कि राउत कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के गठबंधन के सूत्रधार थे इसलिए भाजपा ने उन्हें ठिकाने लगाने के लिए ईंडी से पकड़वा दिया। पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटजा के करोड़ों रुपए मिलने पर भी भाजपा को प्रासाद मिला। किन्तु मुख्यमंत्री ममता बनजा ने वास्तविकता समझ ली कि भ्रष्टाचार का समर्थन नहीं किया जा सकता। इसीलिए उन्होंने पार्थ चटजा को मंत्रिपरिषद से बाहर तो किया ही पाटा से भी निलंबित कर दिया। किन्तु हाईं कोर्ट की तीखी टिप्पणी कि ''बेईंमान व्यक्ति को मंत्रिपरिषद में रखना या न रखना मुख्यमंत्री के विवेक पर निर्भर है'' के बावजूद मंत्रिपरिषद में बनाए रखना हैरानी की बात है। संजय राउत के खिलाफ लूट के 1034 करोड़ के माल में से लूट का सीधा मामला है किन्तु शिवसेना प्रामुख उद्धव ठाकरे उनके निवास पर जाकर उनकी करनी का समर्थन करते हुए दिखे। वहीं पवार परिवार के इतने नजदीक होने के बावजूद न तो शरद पवार ने किसी तरह का साथ दिया और न अजीत पवार ने।

अजीत पवार ने तो यहां तक कह दिया कि ईंडी सवाल पूछने के लिए बुलाती है, उसमें गलत क्या है? सवालों का जवाब देना चाहिए। असल में विपक्ष का आरोप है कि ईंडी इतनी आक्रमक क्यों है? ईंडी को विपक्ष के ही नेता कार्रवाईं के लिए क्यों मिलते हैं, सत्तापक्ष के क्यों नहीं? विपक्ष के सारे सवाल सही हो सकते हैं किन्तु वह जिस प्राकार भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं को संरक्षण देती है, वह बिल्वुल भी उचित नहीं है। आम आदमी की समझ में सब वुछ अच्छी तरह आ रहा है। इसीलिए एक महिला ने मेडिकल जांच के लिए जा रहे पार्थ चटजा के ऊपर चप्पल उछाली। राजनेता राजनीति करें किन्तु भ्रष्टाचारियों का बचाव करना उनकी मजबूरी नहीं होनी चाहिए।

सरकार की नीयत पर सवाल उठाना गलत नहीं है क्योंकि जांच एजेंसियों का इस्तेमाल पहले भी सरकारें करती रही हैं और विपक्ष के राजनेताओं, नौकरशाहों एवं व्यवसायियों पर छापे पड़े हैं किन्तु जब तक न्यायालय उन्हें आरोपमुक्त न कर दे, तब तक उनका बचाव करने के लिए खड़ा हो जाना लोकतंत्र के लिए बिल्वुल उचित नहीं है। ऐसा नहीं है कि ममता बनजा ने वेंद्र सरकार और भाजपा का विरोध करना बंद कर दिया है या फिर कर देंगी किन्तु वह भ्रष्टाचार के समर्थन में खड़ा दिखना नहीं चाहतीं और यही सर्वथा उचित है। (एसपी)

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