अवसरवाद

👤 mukesh | Updated on:3 March 2024 5:25 AM GMT

अवसरवाद

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प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को एक सार्वजनिक कार्यंक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ थे और उस कार्यंक्रम में नीतीश ने बड़े ही रोचक तरीके से जवाब देते हुए बताया कि वह राजद के साथ क्यों सरकार बना लेते हैं। उन्होंने कहा कि वह कभी-कभी गायब हो जाते हैं किन्तु अब ऐसा नहीं करेंगे। असल में नीतीश कुमार ने दो बार भाजपा को छोड़कर लालू प्रासाद की पार्टी राजद के साथ सरकार बना ली तो उनकी छवि पलटू राम की बन गईं। पलटू राम की छवि को लोग कदाचित इसलिए पसंद कर रहे हैं क्योंकि नीतीश जो भी करते हैं वह आत्मविश्वास से करते हैं। असल में भाजपा के साथ सरकार बनने के बाद पहली बार जब नीतीश कुमार नईं दिल्ली आकर प्राधानमंत्री से मिले तो नीतीश से उनकी पहली भावनात्मक और आत्मीय शैली में पहला सवाल था कि ‘‘आप हम लोगों को छोड़कर कहां चले जाते हैं। तब भी नीतीश ने यही जवाब दिया था कि हो जाता है कभी कभी’’ अब नहीं होगा। अब वह राजग के साथ ही रहेंगे।

सच तो यह है कि राजनीति में निष्ठा और मर्यांदाओं का जब से पतन हुआ है, तभी से लोग अपनी गंभीर से गंभीर अनैतिकता को भी शर्मनाक नहीं मानते। वैचारिक मतभेदों के बावजूद राजनीतिक पार्टियां न्यूनतम साझा कार्यंव््राम के आधार पर सरकारें चलाती हैं किन्तु राजनीतिक सहूलियत के लिए जब पाला बदला जाता है तो उसका कोईं जवाब नहीं होता। नीतीश की खासियत ही यही है कि वह राजनीतिक विरोध तो करते हैं किन्तु राजनीतिक शत्रु नहीं बनाते। यही कारण है कि लालू ने आज भी उनके लिए अपनी पार्टी का दरवाजा खोल रखा है। इसलिए अवसरवाद का ठप्पा नीतीश पर ही नहीं लगाया जा सकता क्योंकि भाजपा और राजद भी उतने ही अवसरवादी हैं जो उन्हें बारी-बारी से अपनी पार्टी का समर्थन देकर अपना उपमुख्यमंत्री बनवाते हैं।

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