हैरानी

👤 Veer Arjun | Updated on:20 March 2024 6:17 AM GMT

हैरानी

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हैरानी की बात है कि एक तरफ सरकार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिन्दुओं, बौद्धों, जैनों, ईंसाइयों और पारसियों को नागरिकता देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता (संशोधन) विधेयक यानि सीएए के समर्थन में इसके विरोधियों से कानूनी लड़ाईं लड़ रही है तो दूसरी ओर इसी की संस्था दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) दशकों से दिल्ली के मजनू के टीले पर रह रहे पाकिस्तान से आए हिन्दुओं को बेघर करने के लिए नोटिस भेज दिया और अब अपनी कार्रवाईं को सही ठहराने के लिए उसे दिल्ली हाईंकोर्ट को यह जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा जो उसने केन्द्र सरकार से पूछा है कि क्यों पाकिस्तान से आए हिन्दुओं को बेघर कर रहे हैं।

डीडीए केन्द्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्था हैं किन्तु दिल्ली हाईंकोर्ट ने पाक हिन्दुओं को जारी किए गए उसके नोटिस पर जवाब केन्द्र सरकार से मांगा है। असल में इस तरह के द्वंद्व तभी पैदा होते हैं जब अफसरशाह लकीर के फकीर होते हैं। दशकों से पुरानी दिल्ली की इस भूमि पर पाकिस्तान से आए अभागे हिन्दू शरणाथा रहते थे, तब किसी डीडीए या सरकार के मस्तिष्क में उन्हें बेघर करने की बात नहीं आईं। लेकिन अब जब खुद को हिन्दुत्व की रक्षक बताने वाली पाटा की सरकार आ गईं है तो उसी की संस्था उन्हें बेघर करने पर तुली है। है न हैरान करने वाली बात।

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