चेतावनी

👤 Veer Arjun | Updated on:24 April 2024 6:14 AM GMT

चेतावनी

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कलकत्ता हाईंकोर्ट ने मंगलवार को चेतावनी देते हुए कहा कि वह पश्चिम बंगाल के उन क्षेत्रों में मतदान की अनुमति नहीं देगा जहां रामनवमी समारोह के दौरान 17 अप्रौल को हिसा भड़की थी। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणम की अध्यक्षता वाली पीठ ने दो टूक चेतावनी देते हुए कहा कि वह हिसा से प्राभावित क्षेत्र में चुनाव नहीं होने देंगे।

दरअसल चुनाव के वक्त हिसा पर हाईंकोर्ट की पीठ का स्पष्ट विचार है कि अगर लोग शांति से नहीं रह सकते और इस तरह लड़ रहे हैं तो वे किसी भी निर्वाचित प्रातिनिधि के लायक नहीं है। सच तो यह है कि पश्चिम बंगाल में यह बात किसी से भी छिपी नहीं है कि वहां पर होने वाली सांप्रादायिक हिसा का राजनीति से काफी गहरा रिश्ता है। यह सिलसिला बहुत पुराना है। नक्सलबाड़ी से निकली वामपंथियों की लम्पट राजनीति ने हिसा के साथ समझौता किया। इसी हिसा का शिकार बनी थी कांग्रेस।

दशकों तक वामपंथियों के इसी खूनी खेल का आमजन शिकार बनते रहे। बाद में वामपंथी हिसा के खिलाफ कांग्रेस की ही एक कार्यंकर्ता ममता बनजा ने जब लड़ाईं शुरू की तो लगा कि अब वामपंथी हिसा का अंत होगा और पश्चिम बंगाल में शांति की वापसी होगी किन्तु यह सोचना गलत साबित हुआ। कारण कि जिस तरीके से दहशत पैलाकर वामपंथी चुनाव को प्राभावित करते थे, ठीक उसी तरह ममता की पाटा टीएमसी भी करती है।

सुनियोजित हिसा से भयभीत राजनीतिक कार्यंकर्ता डर जाते हैं और स्थानीय सरकार के खिलाफ किसी भी राजनीतिक गतिविधि ेमें भाग नहीं लेते। यही कारण है कि हिसा के लिए परिस्थितियों, समय एवं स्थान के चयन के बाद सुनियोजित तरीके से हिसा पैलाईं जाती है। यह सही है कि पश्चिम बंगाल की संस्वृति मेलजोल की रही है किन्तु जब भी राजनीतिक स्वार्थ सामने आया है तो राज्य हिसा की आग में जरूर झुलसा है। वुछ लोगों को मानना है कि पश्चिम बंगाल में जब से बांग्लादेशी मुसलमान आए हैं तभी से अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं। यह तो सच है कि स्थानीय मुसलमान और बांग्लादेशी मुसलमानों में नहीं पटती यही कारण है कि आए दिन बमबाजी की घटनाएं होती रहती हैं। ये बमबाजी स्थानीय बनाम बांग्लादेशी मुस्लिम गुटों में होती जरूर है किन्तु जानमाल की क्षति ज्यादा नहीं होती।

क्षति की संभावना वहां पर ज्यादा होती है जहां पर राजनीतिक फायदे के लिए षडांत्र के तहत लक्षित हिसा करवाईं जाती है। कलकत्ता हाईंकोर्ट को इसी तरह की हिसा से ऐतराज है, तभी उसने कहा कि वह पश्चिम बंगाल के उन क्षेत्रों में चुनाव नहीं होने देगा जहां धार्मिक कार्यंक्रम में हिसा भड़की थी। हाईंकोर्ट ऐसा सिर्फ इसलिए कह रहा है क्योंकि एक सप्ताह पूर्व हिसाग्रास्त क्षेत्र इस वक्त सांप्रादायिकता की आग में जल रहा होगा। जमकर ध्रुवीकरण हो रहा होगा। ऐसी स्थिति में चुनाव का कोईं औचित्य नहीं है क्योंकि ऐसी स्थिति पैदा करने में शरारती तत्वों का हाथ होता है। वर्षो से अनुभव के आधार पर जज पैसला देते हैं। यही बात है कि हाईंकोर्ट के जजों ने चेतावनी दी कि वह चुनाव आयोग से कहकर हिसाग्रास्त क्षेत्र में चुनाव रुकवा देंगे।

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