ब्रह्मशक्ति में लगे निःशुल्क जांच शिविर का 220 ने उठाया लाभ
राकेश पंवार
बहादुरगढ़। शहर के ब्रह्मशक्पि संजीवनी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल परिसर में 24 जून को दिमागी बीमारियां एवं उनके लक्षण की जांच से संबंधित लगाए गए निःशुल्क जांच शिविर का समापन हुआ। बता दें कि 17 जून को भी काफी लोगों ने दिमागी बीमारियों की जांच कराकर स्वास्थ्य लाभ उठाया था। ब्रह्मशक्पि संजीवनी अस्पताल में लगे इस निःशुल्क जांच शिविर में असिस्टेंट पोफेसर वर्ल्ड कालेज वरिष्ठ डा. भागवत राजपूत ने मरीजों की दिमागी बीमारियों व लक्षण से संबंधित जांच कर दवाईयां व उचित चिकित्सा परामर्श दिया।
डा. भागवत राजपूत शिविर में आए मरीजों की टैन्शन हैडेक, मेमोरी पाब्लम, डिपेशन, बच्चों के मानसिक रोग, नपुसंकता व सैक्स समस्याएं, पेट में धुक धुक होना, पसीने आना या कंपकपी होना, हाथ या पांव ठण्डा होना, याददाश्त कमजोर होना, एक ही काम को बार बार करते हुए बहुत तेज घबराहट अथवा डर जाना। लकवा मारना, पैरो में कमजोरी ,दर्द, शुन्यता,चुनचुनाहट, चलने में लड़खड़ाहट, शराब के विषेले पभाव से पैर सुन होना, हाथ पैर की ऐठन और हिलने डूलने में दर्द होना। हिस्टीरिया के दौरे पड़ना, शरीर में अकड़न व ढीलापन, बेहोशी में गिर जाना, होशोहवास खो जाना, दांत भीचना न जीभ कट जाना, मुंह से झाग आना, कोई काम करते वक्प अचानक रूक जाना। उन्माद या दिमागी तेजी या पागलपन, दिमागी फितूर में तौड़फोड़ करना, बहकी बहकी बातें करना, लगातार बोलते रहना, मरे हुए लोगों की बातें करना, बिना वजह शक करना, बिना कारण हंसना और रोना, देवी देवताओं और भूत पेत की बात करना ,ज्यादा गुस्सा करना आना,अत्याधिक हाथ धोना या साफ करना, बार बार किसी चीज को जांचना, अत्याधिक वस्तुएं जमा करना आदि बीमारियों व लक्षण की जांच की। डा. भागवत ने मरीजों को जागरूक करते हुए कहा कि तनाव के चलते दिमाग पर ज्यादा पेशर बन जाता हैं ।
ओर उसके कारण मनुष्य दिमाग से संबंधित बीमारियों की चपेट में आ जाता है इसलिए तनाव से दूर रहें। तनाव से दूर रहने के हमेशा खुश रहें। ब्रह्मशक्पि संजीवनी अस्पताल के मैनेजर विक्की शर्मा ने बताया कि 17 व 24 जून को लगे निःशुल्क कैम्प में 220 लोगों ने दिमागी बीमारियों से संबंधित जांच करवाकर चिकित्सा लाभ उठाया। विक्की शर्मा ने बताया कि ब्रह्मशक्पि अस्पताल द्वारा समय समय पर विभिन्न बीमारियों से संबंधित निःशुल्क जांच शिविर लगाए जाते हैं ताकि लोगों को इन शिविरों के माध्यम से बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई जा सके।