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श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर कान्हा का प्रकटोत्सवः ब्रज में आनंद भयौ, जय यशोदा लाल की...

👤 mukesh | Updated on:7 Sep 2023 9:40 PM GMT

श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर कान्हा का प्रकटोत्सवः ब्रज में आनंद भयौ, जय यशोदा लाल की...

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- बज उठे घंटे घड़ियाल, ढोल-नगाड़े, झांझ मजीरे और मृदंग

-कन्हैया के अवतरित होने के साझी बने हजारों भक्त, स्वयं को किया धन्य

मथुरा (Mathura)। गुरुवार रात 12 बजते ही मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान (Sri Krishna Birthplace) पर घंटे घड़ियाल, ढोल-नगाड़े, झांझ-मजीरे और मृदंग बज उठे। शंख की आवाज के साथ मंगल ध्वनि गूंजने (Mangal sound resonating) लगीं। ब्रज में आनंद भयौ, जय यशोदा लाल (Anand Bhayau, Jai Yashoda Lal) की... जयकारों के साथ ही कृष्ण भक्त नाच उठे। संपूर्ण मंदिर परिसर अजन्मे के जन्म के उत्साह में सराबोर हो गया। तिथि अष्टमी भाद्रपद, जन्मे कृष्ण मुरार, प्रगटे आधी रात को सोये पहरेदार के पद की गूंज सुनाई देने लगी। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर हजारों भक्त इन पलों में ठाकुरजी के दर्शन के साझी बनकर स्वयं को धन्य मान रहे हैं।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान के भागवत भवन में रात्रि 11 बजे श्रीगणेष-नवग्रह आदि पूजन से आरंभ हुआ। 1008 कमल-पुष्पों से ठाकुरजी का सहस्त्रार्चन करते हुए ठीक बारह बजे भगवान के प्राकट्य के साथ संपूर्ण मंदिर परिसर में के साथ संपूर्ण मंदिर परिसर में बज उठेंगे ढोल-नगाड़े, झांझ-मंजीरे, मृदंग साथ ही हरिबाल के साथ नाच उठेंगे। असंख्य भक्तजन-संत एवं संस्थान के अध्यक्ष नृत्यगोपालदास महाराज की उपस्थिति में भगवान के जन्म की महाआरती शुरू हुई, जो 12ः05 बजे तक चली। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के भागवत भवन में श्रीराधाकृष्ण की प्रतिमा के समक्ष केशर आदि सुगंधित द्रव्यों में लिपटे भगवान कृष्ण के विग्रह मोर्छलासन में विराजमान होकर अभिषेक स्थल पहुंचे।

रजत कमलपुष्प में विराजित कान्हा का महाअभिषेक नृत्यगोपाल दास महाराज ने कहा कि सवा मन दूध, दही, घी, बूरा, शहद और दिव्य औषधियों से तैयार पंचामृत से किया गया। इस दौरान आसमान से पुष्पों की कृत्रिम बरसात होने लगी। महाभिषेक के बाद कन्हैया की श्रृंगार आरती की गई। श्रीकृष्ण के जन्म के इस अलौकिक दर्शन का यह दौर रात 1ः30 बजे तक यूं ही चलता रहा।

कान्हा की जन्म के दर्शन की अभिलाषा में उमड़ पड़ा भक्तों का सैलाब

गौरतलब हो कि मथुरा में गुरुवार कान्हा के जन्म के दर्शन की अभिलाषा के साथ आए भक्तों का हुजूम श्रीकृष्ण जन्मस्थान के आसपास उमड़ पड़ा। दर्शनार्थियों की लंबी कतारें लगी रहीं। घंटों इंतजार के बाद भक्तों को कन्हैया के अलौकिक दर्शन प्राप्त हुए। श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर भगवान की जन्म और लीला भूमि की अलौकिक छवि ने भक्तों में मंत्रमुग्ध कर दिया। जन्मस्थान को जाने वाले सभी रास्तों के साथ तिराहे चौराहे की सुंदरता आकर्षण का केंद्र बनी रही। श्रीकृष्ण जन्मस्थान की खूबसूरती ने अद्भुत छटा बिखेरी। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के साथ ब्रज के अन्य मंदिरों में भी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया।

ब्रजभूमि के हजारों मंदिरों सहित घर-घर में लाडला कान्हा जी हुए प्राकट्य

ब्रजभूमि के हजारों मंदिरों के अलावा घर-घर ब्रज के लाडले कान्हा का जन्मोत्सव मध्यरात्रि में हुआ। रात्रि के ठीक बारह बजते ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर परिसर के भागवत भवन स्थित राधाकृष्ण मंदिर सहित सभी मंदिरों, शहर के सभी प्रमुख बाजारों व श्रद्धालुओं के घरों से घंटे घड़ियालों व शंखनाद गुंजायमान हो उठे। काफी देर तक हर तरफ से जयकारों के स्वर सुनाई देते रहे। ब्रज के लाला के जन्मोत्सव की बधाई के जयकारे दूर-दूर तक सुनाई दे रहे थे।

देशी-विदेशी भक्तों ने किया ठाकुरजी के विग्रहों का पंचामृत अभिषेक

वृंदावन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर कृष्ण-बलराम इस्कॉन मंदिर में देशी-विदेशी भक्तों द्वारा ठाकुरजी के श्रीविग्रहों का पंचामृत से अभिषेक किया गया। इसके बाद इस्कॉन मंदिर प्रांगण में हरे राम हरे कृष्ण की सुमधुर ध्वनि के मध्य देशी विदेशी भक्तों ने संकीर्तन किया।

अजन्मे का जन्म द्वारिकाधीश मंदिर में मना धूमधाम से

द्वारिकाधीश मंदिर में अजन्मे का जन्म बड़ी धूमधाम से मनाया गया। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव प्रातः छः बजे से ही प्रारंभ हो गया। मंदिर में नौबत बजाई गई, भक्तों ने प्रातः 6ः15 बजे तक मंगला के दर्शन खोले किए । 6ः30 बजे दूध, दही, शहद, बूरा और घी से ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक किया। इसके बाद ठाकुरजी का रत्नों, स्वर्ण और चांदी के आभूषणों से भव्य श्रृंगार हुआ। शृंगार के बाद ठाकुर जी के राजभोग के दर्शन खुले ।

बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ा सैलाब, दिन से लेकर रातभर चलता रहा भक्तों का रेला

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में भारी भीड़ उमड़ी। सुबह मंदिर के पट खुलने के साथ ही भक्त मंदिर में प्रवेश कर गए। यहां भक्तों ने ठाकुर बांकेबिहारी महाराज के दर्शन कर मनौती मांगी। मंदिर के अंदर और बाहर भक्तों का रेला था। दर्शन करने की चाह में पहुंचे भक्तों को अव्यवस्थाओं से दो चार होना पड़ा।

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