इंदिरा जयसिंह के बयान पर छिड़ा विवाद, निर्भया की मां ने किया तीखा पलटवार
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह द्वारा निर्भया की मां को चारों दोषियों को माफ करने सलाह देने वाले बयान पर विवाद छिड़ गया है। इंदिरा जयसिंह ने ट्वीट कर लिखा कि वह आशा देवी (निर्भया की मां) के साथ हैं, उनके तकलीफ और दुख को समझती हैं, लेकिन वह मौत की सजा के खिलाफ हैं। इसलिए कांग्रेस प्रमुख सोनियां गांधी की तरह निर्भया की मां को दोषियों को माफ कर देना चाहिए। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह अपने बयान को लेकर ट्विटर पर ट्रोल हो रही हैं। लोग इंदिरा जयसिंह की आलोचना कर रहे हैं। ट्विटर पर कई लोग लिख रहे हैं कि अगर आपकी बेटी या आपकी किसी जानने वाले के साथ ऐसी हैवानियत हुई होती तो क्या आप माफ कर देतीं। निर्भया की मां ने भी अपना जवाब देते हुए वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह को यही कहा है।
इंदिरा जय सिंह ने ट्वीट कर कहा, "जहां एक ओर मैं आशा देवी के दुख को पूरी तरह से समझती हूं, वहीं मैं उनसे अपील करती हूं कि वह सोनिया गांधी की तरह उदाहरण प्रस्तुत करें जिन्होंने नलिनी को माफ किया था और कहा था कि वह उसके लिए मौत की सजा नहीं चाहती हैं। हमलोग आपके साथ हैं, लेकिन मौत की सजा के खिलाफ हैं।"
निर्भया की मां आशा देवी ने इंदिरा जयसिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि इंदिरा जयसिंह ने इस तरह का सुझाव दिया है। उन्होंने ऐसी सुझाव देने की हिम्मत भी कैसे की। मैं सुप्रीम कोर्ट में कई वर्षों में उनसे मिला, एक बार जब उन्होंने मेरी हाल-चाल के बारे में भी नहीं पूछा और आज वह दोषियों के लिए बोल रही हैं। इसी तरह के लोग बलात्कारियों का समर्थन करके आजीविका कमाते हैं, इसलिए बलात्कार की घटनाएं बंद नहीं होती हैं। क्या उनकी बेटी के साथ ऐसा होता तो भी वह ऐसा ही कहती क्या।
ज्ञात हो कि निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामले में चारों दोषियों में एक दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बीते दिन 17 जनवरी 2020 को खारिज कर दी है। अब चारों दोषी में एक पवन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है कि वह अपराध के वक्त नाबालिग था। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 20 जनवरी 2020 को सुनवाई होगी।
दिल्ली पटियाला कोर्ट ने चारों दोषियों.. मुकेश सिंह (32), विनय शर्मा (26), अक्षय कुमार सिंह (31) और पवन गुप्ता (25) को सुनाई गई मौत की सजा पर अमल का आदेश 'डेथ वॉरंट' सात जनवरी को जारी किया था। लेकिन अब आरोपियों को फांसी एक फरवरी 2020 को जी जाएगी।