अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए उद्योग निकाय ने की 200-300 अरब डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज की मांग
नई दिल्ली। उद्योग निकाय भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) और भारतीय वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (एसोचेम) ने बुधवार को अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के लिए 200 अरब से 300 अरब डॉलर (करीब 15 लाख करोड़ से 22 लाख करोड़ रुपये) के प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है।
फिक्की के महासचिव दिलीप चेनॉय ने कहा कि कोविड-19 एक वैश्विक स्वास्थ्य और आर्थिक संकट है, जो राष्ट्रों के बीच गतिविधि के अचानक रुकने के साथ ही खपत को धीमा कर चुका है। देश के आतिथ्य, विमानन, पर्यटन, मीडिया और मनोरंजन जैसे कुछ क्षेत्रों में रोजगार को इससे बड़ा नुकसान हुआ है।
चेनॉय ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से फिक्की बोर्ड में शामिल सभी उद्योग क्षेत्र में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर विमानन सेवा के रद्द होने के कारण अकेले होटल, विमानन और पर्यटन उद्योग को 1.13 अरब डॉलर का संयुक्त नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में आवासीय अचल संपत्ति में 25 से 35 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट दर्ज होने की उम्मीद है। चेनॉय ने कहा कि देश के खुदरा क्षेत्र में गैर-किराना और खाद्य खुदरा विक्रेताओं की बिक्री में 80 से 100 प्रतिशत की कमी के साथ पिछले एक पखवाड़े में 30 अरब डॉलर तक का नुकसान हो चुका है।
वहीं, एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने इस मौके पर मंदी से निबटने के लिए कम से कम 200 अरब से 300 अरब डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज की मांग की। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय दुनिया के इतिहास में अपेक्षित सबसे गहरी वैश्विक मंदी में से एक है। उन्होंने कहा कि आय के नुकसान की भरपाई और नौकरी को बचाये रखने के लिए अगले तीन महीनों में 50 अरब से 100 अरब डॉलर नकद की जरूरत है। सूद ने वस्तु एंव सेवाकर (जीएसटी) में तीन महीने के लिए 50 प्रतिशत और वित्त वर्ष के लिए 25 प्रतिशत की कटौती की वकालत की।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि सरकार ने 14 अप्रैल तक देश में लॉकडाउन लागू किया है। लेकिन बहुत लंबे समय तक लॉकडाउन से सामाजिक अशांति सहित अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने कहा कि आर्थिक निकास रणनीति को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि मांग का क्षरण त्वरित समय में कैसे बहाल किया जाता है। इसके लिए कृषि क्षेत्र को पहली प्राथमिकता मिलनी चाहिए, जिस पर देश की 50 प्रतिशत आबादी निर्भर है। उन्होंने कहा कि सड़क और रेलवे परिवहन में कुछ छूट मिलनी चाहिए क्योंकि इस पर ग्रामीण आबादी की निर्भरता है। (एजेंसी हिस.)