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योगी सरकार सस्ती लोकप्रियता के बजाए बताये पुराने एमओयू का क्या हुआ अंजाम-मायावती

👤 mukesh | Updated on:31 May 2020 10:17 AM GMT

योगी सरकार सस्ती लोकप्रियता के बजाए बताये पुराने एमओयू का क्या हुआ अंजाम-मायावती

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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने प्रवासी कामगारों को रोजगार देने के मामले में केन्द्र व प्रदेश सरकार के दावों पर सवाल उठाये हैं। उन्होंने चीन से पलायन करने वाली कम्पनियों के भारत आने की प्रतीक्षा के बजाय अपने बूते आत्मनिर्भर बनने का प्रयास शुरू करने की सलाह दी है। इसके साथ ही उन्होंने योगी सरकार के उद्योग संगठनों से एमओयू पर तंज कसते हुए कहा कि पिछले सभी एमओयू की हकीकत सामने आनी चाहिए।

मायावती ने रविवार को अपने बयान में कहा कि चीन छोड़कर भारत आने वाली कम्पनियों की अन्तहीन प्रतीक्षा करते रहकर समय गंवाने के बजाए खासकर केन्द्र व यूपी सरकार को अपने बलबूते पर ही 'आत्मनिर्भर अभियान' को सफल बनने का ठोस प्रयास तत्काल शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि खासकर चीन के शेनजेन स्पेशल इकोनोमिक जोन जैसी सड़क, पानी, बिजली की फ्री व पोर्ट आदि की आधारभूत सुविधायें व इन कम्पनियों में काम करने वाले श्रमिकों को कार्यस्थल के पास ही रहने की व्यवस्था आदि अपने देश में कहां उपलब्ध हैं। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि साथ ही खासकर वहां स्थापित अमेरिकी कम्पनियों का अपने यहां देश में आना इतना आासान भी नहीं लगता है।

उन्होंने कहा कि वैसे तो विदेशी कम्पनी व पूंजी को आकर्षित करने का प्रयास बुरा नहीं है, लेकिन यह कोशिश वास्तविकताओं से बहुत दूर अनिश्चितकालीन कतई नहीं होनी चाहिए। खासकर तब जब अमेरिकी हुकूमत ने अपनी कम्पनियों को चेतावनी दे रखी है कि वे चीन से विस्थापित होने के बाद कहीं और नहीं बल्कि सीधे अपने देश का ही रूख करें जबकि कुछ कम्पनियां ताइवान व फिलीपिन्स की ओर आकर्षित हुई हैं।

मायावती ने कहा कि यह कहना इसलिए जरूरी है क्योंकि बीजेपी के मंत्री व नेता विदेशी कम्पनियों से जितनी आस लगाये बैठे हैं वह देश को आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प को मजबूत करने वाला नहीं लगता है। उन्होंने कहा कि इस सोच में मूलभूत सुधार की जरूरत है, जिसमें भारतीय कम्पनियों को भी काफी डटकर पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ दीर्घकालीन रणनीति बनाकर काम करना होगा ताकि भारतीय उत्पादन उत्कृष्ठ होकर ग्लोबल ब्राण्ड दे सके।

उन्होंने कहा कि वैसे भी इस मामले में बसपा का यह मानना है कि देश की मूलभूत जरूरत सम्बंधी बड़े उद्योगों को सरकारी क्षेत्र में ही बढ़ावा देने के साथ-साथ प्राइवेट सेक्टर को भी देश की तरक्की के लिए प्रोन्नत करना चाहिए ताकि वे ग्लोबल कम्पीटिशन कर सकें।

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि चीन के शेनजेन स्पेशल इकोनोमिक जोन में उद्यमियों को मिलने वाली बुनियादी सुविधायें अगर अपनी भारतीय उद्यमियों को देकर उनका सदुपयोग उत्कृष्ट वस्तुओं के उत्पादन के लिए दृढ़-इच्छाशक्ति के साथ सुनिश्चित किया जाए तो कोराना महामारी व उसके उपरान्त लॉकडाउन के कारण उजड़े लाखों छोटे व मझोले उद्योग, करोड़ों पीड़ित श्रमिकों का हित व कल्याण तथा भारत को सही मायने में स्वावलम्बी व आत्मनिर्भर बनाना थोड़ा जरूर आसान हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, देशव्यापी जबर्दस्त लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी व काफी बुरे हाल में घर लौटे सर्वसमाज के लाखों श्रमिकों को जीने के लिए जरूरी प्रभावी मदद पहुंचाने के बजाय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एमओयू हस्ताक्षर व अनवरत घोषणाओं आदि द्वारा छलावा का नया अभियान जो एक बार फिर शुरू हो गया है वह अति-दुःखद है क्योंकि इससे जनहित व जन-कल्याण का कोई सार्थक उपाय जनता के सामने निकलकर नहीं आ पा रहा है, जिसकी आज बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आशंका है कि जनहित के ठोस तत्काल उपायों के बिना समस्या और विकराल बन जाएगी व जनता का जीवन त्रस्त बना रहेगा।

मायावती ने कहा कि इस सम्बंध में अच्छा होता कि उत्तर प्रदेश सरकार कोई भी नया एमओयू हस्ताक्षर करने व सम्बंधित फोटो छपवाकर सस्ती पब्लिसिटी करने से पहले प्रदेश व देश की जनता को यह बताती कि पिछले वर्षों में साइन किए गए इसी प्रकार के अनेक एमओयू का क्या अंजाम हुआ?

उन्होंने कहा कि एमओयू केवल जनता को बरगलाने व फोटो छपवाने की सस्ती लोकप्रियता के लिए नहीं हो तो यह जनहित में ज्यादा बेहतर है क्योंकि लाखों श्रमिक परिवारों को भूख से बचने के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार की काफी बेचैनी के साथ प्रतीक्षा है। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह करोड़ों लोगों के जीवन-मरन के साथ-साथ उनके परिवार के जीवन को अंधकार में ढकेलने से जुड़ा मानवीयता का मामला है। सरकार जिनती जल्दी गंभीर होकर इस सम्बंध में ठोस उपाय करे उतना ही बेहतर है। (एजेंसी, हि.स.)

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