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आतंक के खतरे की तुलना द्वितीय विश्वयुद्ध से कर भारत ने कहा- मिलकर करना होगा मुकाबला

👤 Veer Arjun | Updated on:2 Dec 2020 9:33 AM GMT

आतंक के खतरे की तुलना द्वितीय विश्वयुद्ध से कर भारत ने कहा- मिलकर करना होगा मुकाबला

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नई दिल्ली । भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में आतंक के खतरे की तुलना विश्वयुद्ध से करते हुए कहा कि आतंकवाद वैश्विक रूप ले चुका है और इसे वैश्विक प्रयासों से ही हराया जा सकता है।

द्वितीय विश्व युद्ध के अंत की 75वीं वर्षगांठ पर युद्ध के सभी पीड़ितों की स्मृति में विशेष बैठक में भारत के संयुक्त राष्ट्र में प्रथम सचिव आशीष शर्मा ने कहा कि आतंकवाद समकालीन दुनिया में युद्ध छेड़ने का साधन बन गया है। यह दो विश्व युद्धों की तरह दुनिया को नरसंहार में डूबो सकता है। आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है और इसे केवल वैश्विक कार्रवाई से ही हराया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 75वीं वर्षगांठ की स्मृति हमें संयुक्त राष्ट्र के सबसे मौलिक सिद्धांत और उद्देश्य याद कराती है कि हम आने वाली पीढ़ियों को युद्ध की विभीषिका से बचाएं।

प्रथम सचिव ने कहा कि विश्वयुद्ध के बारे में उपन्यास, इतिहास की किताबों और फिल्मों में यूरोप के युद्धक्षेत्रों को ही स्थान दिया गया है, लेकिन ज्यादातर युद्ध औपनिवेशिक ताकतों के बीच उप निवेशों में सत्ता हासिल करने के लिए लड़े गए। इसमें उत्तरी अफ्रीका से लेकर पूर्वी एशिया तक की सीमाएं थीं।

द्वितीय विश्व युद्ध में भारत के योगदान को याद दिलाते हुए आशीष ने कहा कि औपनिवेशिक अधीनता के बावजूद भारत ने 25 लाख सैनिकों का योगदान दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों ने उत्तरी अफ्रीका से यूरोप तक और हांगकांग के रूप में पूर्व में संघर्ष किया। इसमें 87,000 भारतीय मारे गए या लापता हो गए और सैकड़ों हजारों घायल हुए।

इस दौरान भारत ने रूस की 75वीं वर्षगांठ समारोह के उपलक्ष्य में मास्को में 24 जून को रेड स्क्वायर पर विजय दिवस परेड की मेजबानी करने के लिए रूस का आभार प्रगट किया। भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि उस मौके पर हमारे रक्षा मंत्री मौजूद थे। भारतीय सेना की एक टुकड़ी ने विजय दिवस परेड में भाग लिया।

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