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मप्र विधानसभा के इतिहास में जुड़ा नया अध्याय, पहली बार दो विधायकों ने पूछे ऑनलाइन सवाल

👤 Veer Arjun | Updated on:1 March 2021 9:15 AM GMT

मप्र विधानसभा के इतिहास में जुड़ा नया अध्याय, पहली बार दो विधायकों ने पूछे ऑनलाइन सवाल

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भोपाल । मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के छठे दिन सोमवार को विधानसभा के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया। विधानसभा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब दो विधायक सदन की कार्यवाही में ऑनलाइन जुड़े और प्रश्नकाल के दौरान सवाल पूछे। मंडला से दो सदस्यों नारायण सिंह पट्टा और डॉ. अशोक मर्सकोले ने सदन की कार्यवाही के दौरान सरकार ने ऑनलाइन सवाल-जवाब किये।

मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के छठे दिन सोमवार को सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू हुई। इस दौरान दोनों विधायक वर्चुअल तरीके से सदन की कार्यवाही में शामिल हुए अपने सवाल पूछे। कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा और डॉ. अशोक मर्सकोले विधानसभा की कार्यवाही में मंडला जिले से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े। इसके साथ ही मप्र विधानसभा के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया।

कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा ने मंडला जिले के सिझोरा में स्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में पदस्थ व्याख्याता अजय शर्मा की पदस्थापना के बारे में सवाल उठाते हुए कहा कि वे वहां नियम विरुद्ध तरीके से बने हुए हैं। उन्होंने व्याख्याता और उन्हें पदस्थ करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध मंत्री से किया। इस पर जनजातीय कार्य मंत्री मीना सिंह ने सदस्य के पूरक प्रश्नों के उत्तर में कहा कि व्याख्याता ने अदालत से स्थगन लिया हुआ है। विभाग स्थगन हटवाने के लिए आवश्यक कदम उठाकर संपूर्ण मामले का परीक्षण कराएगा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इसी तरह कांग्रेस विधायक डॉ. मर्सकोले ने मंडला जिले में बस्ती विकास योजना के तहत धनराशि आवंटन का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि धनराशि के उपयोग के संबंध में जनप्रतिनिधियों की राय को तवज्जो नहीं दी जाती है। मंत्री मीना सिंह ने आश्वासन दिया कि उन्होंने जो भी बात उठायी है, उसका परीक्षण कराके समाधान निकाला जाएगा।

संसदीय कार्य मंत्री और गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने सदस्यों के ऑनलाइन कार्यवाही में शामिल होने पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को बधाई देते हुए कहा कि आज नया अध्याय जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष की अनुमति से यह व्यवस्था जारी रहेगी, लेकिन यह विशेष परिस्थितियों में ही ऐसी अनुमति दी जाए, ताकि सदन की गरिमा और गंभीरता बनी रहे।

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