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रायबरेली : कोरोना के कारण बीजेपी ने खोया चौथा नेता, विधायक बहादुर कोरी का निधन

👤 Veer Arjun | Updated on:7 May 2021 6:16 AM GMT

रायबरेली : कोरोना के कारण बीजेपी ने खोया चौथा नेता, विधायक बहादुर कोरी का निधन

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रायबरेली। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Corona virus) का संक्रमण सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायकों के लिए बेहद ही घातक होता जा रहा है। बीते पन्द्रह दिन में भााजपा के चार विधायकों का कोरोना संक्रमण (Corona infection) के कारण निधन हुआ है।

रायबरेली के सलोन से भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल बहादुर कोरी (Dal Bahadur Kori) बीते दिनों कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में थे। पंचायत चुनाव के दौरान बेहद सक्रिय रहे दल बहादुर कोरी का शुक्रवार को निधन हो गया। इससे पहले भाजपा के तीन विधायकों का चार दिन के अंतराल पर कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण निधन हो गया था। भारतीय जनता पार्टी से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले दल बहादुर कोरी बसपा के साथ कांग्रेस में भी गए, लेकिन फिर भाजपा में वापसी की

दल बहादुर कोरी से पहले लखनऊ पश्चिम से भाजपा विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव, औरैया सदर से भाजपा विधायक रमेश चंद्र दिवाकर और बरेली के नवाबगंज से भाजपा के विधायक केसर सिंह गंगवार ने कोरोना संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था। यह सभी जिला पंचायत के चुनाव में बेहद सक्रिय थे।

भाजपा विधायक दल बहादुर कोरी का लखनऊ के अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा था। रायबरेली के सलोन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक दलबहादुर कोरी का शुक्रवार की सुबह कोरोना से निधन हो गया। करीब एक माह से बीमार विधायक का लखनऊ स्थित अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा था। विधायक के निधन से शोक की लहर दौड़ गई है।बताया गया की उन्हें कोरोना हुआ था, पीजीआई में भर्ती कराये गये थे । रिपोर्ट निगेटिव आने पर अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। दोबारा फिर तबीयत खराब हुई। जांच कराई गई तो रिपोर्ट पाज़िटिव आई। इसके बाद परिजनों ने अपोलो में भर्ती कराया था।

दलबहादुर कोरी का राजनीतिक सफर

1984 में कानपुर में भाजपा की सदस्यता ली। 1989 में राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहे। 1991 मे भाजपा से टिकट मिला। नामांकन करने जाते समय काफिले में पैर टूट गया। कांग्रेस के शिवबालक पासी चुनाव जीते। 1993 में दलबहादुर कोरी को भाजपा से टिकट मिला तो फिर कांग्रेस के शिवबालक पासी को हरा दिया। 18 माह में सरकार गिर गई। 1996 में फिर चुनाव लड़े और शिवबालक पासी को हराया। 2002 में समाज कल्याण राज्य मंत्री रहते हुए चुनाव लड़े जिसमें सपा कि आशा किशोर से हारे। 2007 में भाजपा से टिकट न मिलने के बाद कांग्रेस में चले गये वहाँ भी टिकट न मिलने पर बसपा में शामिल हो गये और चुनाव लड़े। इसमें कांग्रेस के शिवबालक पासी ने हरा दिया। 2012 में पुनः भाजपा में शामिल हो गये और सपा की आशा किशोर से हार गये । 2017 में टिकट मिला तो कांग्रेस व सपा समर्थित प्रत्याशी सुरेश चौधरी को हराया।

शिक्षा: विकासखंड डीह के प्राथमिक विद्यालय बरुआ में कक्षा पांच तक की पढ़ाई की। इसके बाद जूनियर हाईस्कूल परदेशपुर में कक्षा आठ तक, फिर प्रतापगढ़ जनपद के एक स्कूल से दसवीं पास किया।

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