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केरल में हृदय विदारक विमान हादसा

👤 mukesh | Updated on:9 Aug 2020 6:59 AM GMT

केरल में हृदय विदारक विमान हादसा

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- सियाराम पांडेय 'शांत'

अतिवृष्टि के चलते केरल को दो बड़ी दुर्घटनाओं से जूझना पड़ा। बारिश से हुए भूस्खलन से 13 लोगों की मौत हो गई। इस सदमे से केरल उबर भी नहीं पाया था कि कोझिकोड में कारीपुर हवाई अड्डे पर इसी तरह का एक और सदमा झेलना पड़ा। रनवे से फिसलकर एयर इंडिया का विमान 35 फीट गहरी खाई में गिरकर 2 टुकड़ों में विभक्त हो गया। इस हादसे ने 17 लोगों की जान ले ली। शताधिक घायलों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। कोरोना काल में दुबई में फंसे इन यात्रियों को बंदे भारत अभियान के तहत भारत लाया जा रहा था। अपने वतन लौटने की जो खुशी उनके चेहरे पर थी, वह खराब मौसम ने उनसे एक झटके में छीन ली। इस घटना पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, गृहमंत्री, केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन समेत पक्ष-विपक्ष के नेताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया।

खराब मौसम में हम अपने गगनचारी विमानों की सुरक्षा कैसे करें, यह भारत सरीखे तमाम विकासशील और विकसित देशों के लिए बड़ी चुनौती है। हालाँकि बोइंग जैसे विमान अत्याधुनिक हैं, विषम परिस्थितियों से जूझने की उनमें पर्याप्त क्षमता है। पहाड़ी क्षेत्रों में बने रनवे हमेशा से चिंता का सबब रहे हैं। एक तो इनका रनवे छोटा है, दूसरे यहां जरा-सी असावधानी जानलेवा हो सकती है। इस हादसे में पायलट वसंत साठे और उनके सहायक पायलट भी मारे गए हैं। गनीमत थी कि हादसे के बाद विमान में आग नहीं लगी वरना विमान में सवार सभी 191 यात्रियों की जान का खतरा पैदा हो सकता था। बताया जा रहा है कि रनवे पर पानी भरा होने की वजह से विमान फिसला। यह और बात है कि डीजीसीए अभीतक हादसे की ठोस वजह बता पाने की स्थिति में नहीं है। इस एयरपोर्ट पर दृश्यता 2 हजार मीटर से भी कम थी। पायलट सतह पर विमान उतारने के दो प्रयास कर चुके थे।

वसंत साठे सेना के युद्धक विमान के भी पायलट रहे हैं। एयर इंडिया के विमान पायलटों के वे प्रशिक्षक भी रहे हैं। इसलिए उनके अनुभव पर सवाल नहीं खड़ा किया जा सकता। होनी को कौन टाल सकता है।अब वे भी इस दुनिया में नहीं रहे। जाहिर है कि जांच के बाद ही पता चलेगा कि ऐसा मानवीय भूल के चलते हुए या तकनीकी त्रुटि की वजह से लेकिन इस हादसे से एयर इंडिया को बड़ा नुकसान हुआ है। किसी विमान का 35 फ़ीट में गिरना यह साबित करता है कि एयरपोर्ट पर सुरक्षा व्यवस्था के समुचित प्रबंध नहीं थे। विमान हादसे अक्सर होते रहे हैं। इस देश में विमान हादसों में कई जन नेता भी खोए हैं, कई गणमान्य हस्तियां खोई हैं। पिछले 66 साल में 20 बड़े विमान हादसे हुए हैं जिसमें चार हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इन हादसों की जांच रिपोर्ट बताती है कि ज्यादातर हादसों की वजह मानवीय भूल रही है। 1952 में विमान हादसे का जो सिलसिला आरम्भ हुआ था, वह जारी है।

विमान हादसों के कुछ सधे कारण होते हैं। खराब मौसम, तकनीकी खराबी और मानवीय भूल। लेकिन अगर एक ही तरह की भूल बार-बार हो तो इसे क्या कहा जाएगा। कोरोना काल में पहले ही इंडियन एयरलाइन्स की हालत खस्ता है, ऐसे में केरल में हुए विमान हादसे से उसे भारी चपत लगी है। कोरोना काल में वैसे तो हवाई सेवाएं लगभग बाधित ही हैं लेकिन जब भी उड़ाने शुरू होंगी, तब हवाई यातायात का दबाव हवाई अड्डों पर बढ़ेगा। कम दूरी की उड़ानों के लिए लैंडिंग और टेकऑफ बढ़ेगा, वह स्थिति भी चुनौतीपूर्ण होगी। तकनीक और काबिलियत के समावेश से ही इससे निबटना मुमकिन है। मृतकों और घायलों को मुआवजा देकर हम पीड़ितों के घाव पर मरहम लगाते हैं लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। दुर्घटनाएं हो ही नहीं, आकाशीय यात्रा सर्वथा निरापद हो, प्रयास तो इस बात के होने चाहिए।

(लेखक हिन्दुस्थान समाचार से सम्बद्ध हैं।)

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