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बाल दिवस पर चैतन्या हॉस्पिटल ने 24 सप्ताह बच्चे की जिंदगी बचाई
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चंडीगढ़ (सुनीता शास्त्राr)। सामान्य अवधि के बजाय सिर्प24 सप्ताह (6महीने) में चैतन्या हॉस्पिटल में जन्मे बच्चे के माता-पिता के लिए ये एक सपने के सच होने के समान है, कि बच्चा करीब 3महीने तक अस्पताल में रहने के बाद अब अपने घर जा रहा है। बच्चे के पिता कहना है कि वे सभी उममीदें खो चुके हैं, जब उन्होंने अपने नवजात शिशु को देखा जो जन्म के समय सिर्प 640ग्राम वजन का ही था। डॉ. जसकरण सिंह साहनी और डॉ.सरणजीत कौर ने अपनी कुशल एवं सक्षम मेडिकल टीम के साथ इस बच्चे को एक स्वस्थ बच्चे के तौर पर घर भेजने के लिए दिन-रात काम किया।
मीडिया के साथ बातचीत करते हुए डॉ. जसकरण और डॉ.सरणजीत ने बताया कि चैतन्या हॉस्पिटल में नवीनतम चिकित्सा सुविधा ऐसे गंभीर अवस्था में पैदा हुए बच्चे का जीवन बचने की बहुत कम संभावना है, यह बच्चा गर्भावस्था के 24 सप्ताह के बाद पैदा हुआ था जब उसकी मां पीटर्म लेबर में गई थी। मां को चैतन्या हॉस्पिटल में भेजा गया था और दाखिल होने के 2 घंटों के भीतर उन्होंने बच्चे को जन्म दे दिया था। बच्चे का सिर्प 6400 ग्राम वजन था और जन्म के बाद रोया भी नहीं और उसे तुरंत सांस देकर न्यूबोर्न आईसीयू में स्थानांतरित किया गया। चैतन्या हॉस्पिटल ने बच्चे को एनआईसीयू केयर पदान की। पारंभ में एक महीने तक बच्चे को कृत्रिम सांस, कृत्रिम पोषण, तय तापमान में रखने के लिए इनवयूबेटर्स और दवाओं के साथ बलडपेशर को बनाए रखा गया। शिशु के दिल में एक छेद भी था, जिसे नियोनैटोलॉजिस्ट डॉ. जसचरण सिंह और डॉ. सरणजीत कौर, चैतन्य हॉस्पिटल ने उपचार कर इलाज पदान किया। बेबी की आंखों में ऐसी स्थिति विकसित हो गई थी, जिसे पीमेच्योरिटी में रेटिनोपैथी कहा जाता है और लेजर थैरेपी के साथ इसका इलाज किया गया। इस दौरान लेकिन बच्चे और उनके माता-पिता सभी बाधाओं से लड़ रहे थे और 9 सप्ताह तक बच्चा वेंटिलेटर पर ही अपनी सांसों को लेता रहा। वर्तमान में बच्चे का वजन 1800ग्राम है और वह किसी भी बड़ी शारीरिक और न्यूरोलॉजिकल समस्या से पूरी तरह से मुवत है और 36सप्ताह की उम्र में घर जाने के लिए तैयार है।
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