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फिरोजपुर नहर में काला पानी: पंजाब प्रदूषण बोर्ड ने कहा- ट्रीटमेंट करके पी सकते हैं!

👤 Veer Arjun | Updated on:20 May 2022 6:15 AM GMT

फिरोजपुर नहर में काला पानी: पंजाब प्रदूषण बोर्ड ने कहा- ट्रीटमेंट करके पी सकते हैं!

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चंडीगढ़ । पंजाब (Punjab) की फिरोजपुर नहर (Firozpur Canal) में काले पानी (black water) की तस्वीरें पिछले कुछ दिनों में इंटरनेट पर छा गई हैं. तस्वीरें सामने आने के बाद पंजाब जल संसाधन विभाग (Punjab Water Resources Department) ने 16 मई को एक एडवाइजरी जारी कर लोगों से नहर में छोड़े गए पानी का उपयोग नहीं करने के लिए कहा है. हालांकि, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण विभाग (PPCB) के एक सदस्य ने गुरुवार को राज्य जल विभाग के दावे का खंडन किया और कहा कि नहर के पानी को उपचार के बाद पीने योग्य बनाया जा सकता है.

रिपोर्ट के मुताबिक PPCB के सचिव कुनेश गर्ग ने कहा, 'फिरोजपुर फीडर में छोड़ा गया पानी सभी पैरामीटर पर खरा उतरता नजर आ रहा है. नहर से सीधे पानी नहीं पीने को लेकर जल संसाधन विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी की गई थी. हालांकि, इसका ट्रीटमेंट करके इसे पी सकते हैं.' उन्होंने इन आरोपों का भी खंडन किया कि हरिके हेडवर्क्स में औद्योगिक कचरे को फेंका जा रहा है, जिससे नहर का पानी काला हो गया है.

गर्ग ने कहा कि हरिके हेडवर्क्स के पानी पर औद्योगिक कचरे का प्रभाव 15% से कम है. पानी में प्रदूषण का मुख्य कारण घरेलू सीवरेज और डेयरी उद्योग से निकलने वाला कचरा है. पानी में 50% से अधिक प्रदूषक घरेलू सीवरेज का है. इसके बाद डेयरी उद्योग आता है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जमालपुर में घरेलू सीवरेज कचरे के उपचार के लिए 225 एमएलडी का जल शोधन संयंत्र भी बना रहा है. औद्योगिक कचरे के उपचार के लिए तीन संयंत्र पहले से ही काम कर रहे हैं. हम डेयरी कचरे के उपचार के लिए दो और संयंत्र बनाने की भी योजना बना रहे हैं.

सूत्रों के अनुसार, फिरोजपुर नहर का पानी बुधा नाले के कारण काला हुआ था, जो लुधियाना से सतलुज में औद्योगिक और घरेलू कचरे को ले जाता था. बता दें कि बुधा नाला एक मौसमी जलधारा है, जो पंजाब के मालवा क्षेत्र से होकर बहता है और लुधियाना से होकर यह सिंधु नदी की एक सहायक नदी सतलुज नदी में मिल जाती है. यह सतलुज नदी में प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत बन गया है.

दूसरी ओर पंजाब प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों द्वारा लोगों से उपचार के बाद प्रदूषित पानी पीने के लिए कहे जाने से पर्यावरणविद चिंतित हैं. इस मामले में ग्रीन एक्टिविस्ट गुरप्रीत सिंह चंदबाजा ने कहा कि हम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को चुनौती देते हैं कि वे उपचार के बाद फिरोजपुर फीडर से पानी पीएं. यह झूठ है कि उद्योग, पानी को प्रदूषित करने के लिए जिम्मेदार नहीं है. मैं वलीपुर गांव गया था, जहां बुधा नाला सतलुज से मिलता है. मैंने बोतल में नाले से पानी का नमूना लिया. यह काला था. अगर सीवरेज की वजह से ऐसा होता, तो अब तक पानी फिल्टर हो जाता, लेकिन पानी का काला रंग औद्योगिक अपशिष्टों और रसायनों के कारण हुआ है, जो नाले में छोड़े जाते हैं.

गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में भारतीय जनता पार्टी की राजस्थान इकाई ने लोकसभा अध्यक्ष के साथ-साथ पंजाब के मुख्यमंत्री को उनके राज्य में कथित दूषित पानी के मुद्दे को उजागर करने और इस मुद्दे के स्थायी समाधान की मांग करने के लिए पत्र लिखा था.

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