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स्वस्थ जीवन जीने के लिये योग कला को दिनचर्या का अभिन्न अंग बनाएं - पुलिस महानिदेशक

👤 admin 4 | Updated on:21 Jun 2017 1:04 PM GMT
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वीर अर्जुन संवाददाता

जयपुर। प्रकृति एवं पर्यावरण के बढ़ते असंतुलन ने पूरे प्राणी मात्र को झकझोर कर रख दिया है। इस कारण आज प्रत्येक मनुष्य अनेक व्याधियों से ग्रसित होता जा रहा है। हर इन्सान योग को दिनचर्या का अभिन्न अंग बना ले तो उसे इनसे छुटकारा मिल सकता है। योग न केवल मस्तिष्क का तनाव दूर करता है, अपितु आलस्य और अनिद्रा को भी दूर करता है।

पुलिस महानिदेशक श्री मनोज भट््ट बुधवार को पुलिस मुख्यालय में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित योगासन में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने बताया कि योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अन्दर ताजगी पैदा करता है तथा प्राकृतिक परिवर्तनों से शरीर में होने वाले बदलावों को सहन करने में सहायक होता है।

श्री भट्ट ने कहा कि योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योग केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का एक भाव है। ये क्रियाएं प्रत्येक साधक को लाभ पहुंचाएंगी, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। उन्होंने योग को आध्यात्मिक अनुशासन एवं अत्यंत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित ज्ञान बताते हुए कहा कि योग मन और शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। यह स्वस्थ जीवन जीने की कला है। प्रत्येक इंसान को प्रत्येक दिन को ही योग दिवस बनाना होगा। तभी हम हमारें शारीरिक असंतुलन को संतुलित कर सकते हैं।

अति. महानिदेशक वायरलेस श्री सुनील मेहरोत्रा, पुलिस, कानून एवं व्यवस्था श्री एन.आर.के. रेड्डी के साथ पुलिस मुख्यालय में पर पुलिस मुख्यालय के ज्यादातर अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस में हिस्सा लेकर योग एवं प्राणायाम की विभिन्न विधाओं को बड़े पैमाने पर आत्मसात किया।

श्री मेहरोत्रा ने योग का संकल्प लेते हुए कहा कि मैं आज यह संकल्प लेता हूॅं कि मैं अपनी सोच में योग के प्रति हमेशा अपना संतुलन बनाये रखूंगा। उन्होंने कहा कि ऐसी ही मन:स्थिति मेरे उच्चतम आत्म विकास की असीम संभावनाएं प्रदान करती है। मैं अपने कत्र्तव्य निर्वाह के प्रति कुटुम्ब और कार्य के प्रति तथा समाज व समूचे विश्व में श्शांति, स्वास्थ्य और सौहाद्र्र के प्रसार के लिये कृत संकल्प हूूॅ। श्री रेड्डी ने अपने अनुभव सुनाते हुए कहा कि केवल एक दिन योग को करने से शरीर में एक स्फूर्ति सी महसूस हुई है। उन्होंने बताया कि योग ने यह अहसास भी कराया कि योग आलस्य और अनिद्रा को दूर करने का एक सर्वोत्तम उपाय है। उन्होंने सबको आश्वस्त करते हुए कहा कि अब वे नौकरी के साथ-साथ योग को भी जीवन की एक ड्यूटी बनायेंगे।

योगाचार्य डा. शिवरतन मीणा एवं उनके सहयोगी पुलिसकर्मी द्वारा आयुष विभाग के प्रोटोकोल के अनुसार योग की विभिन्न क्रियाओं का प्रदर्शन कर लोगों को योग की भावनाएं कुछ इस तरह समझाई कि मनुष्य और प्रकृति के मध्य सामंजस्य स्थापित करना ही योग है। प्रकृति और दूषित पर्यावरण से मनुष्य अनेक बीमारियों की जकड़ में आ गया है, इससे बचने के लिये योग ही एक सर्वोत्तम उपाय है। उन्होंने कहा कि योग मधुमेह, श्वसन संबधी विकार, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप और जीवन शैली संबंधी कई प्रकार के विकारों के प्रबंधन में लाभकर है। योग अवसाद, थकान, चिंता संबंधी विकार और तनाव को कम करने में सहायक है। उन्होंने कहा कि संक्षेप में यदि यह कहा जाए कि योग शरीर एवं मन के निर्माण की ऐसी प्रक्रिया है, जो समृद्ध और परिपूर्ण जीवन की उन्नति का मार्ग है।

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवसर पर सबसे पहले योग विशेषज्ञ डा. शिवरतन मीणा ने योग प्रार्थना से योग क्रियाएं प्रारंभ करते हुए गर्दन व्यायाम, कटि, घुटना योगासन करवाया। इसके अलावा उन्होंने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को खडे होकर किये जाने वाले आसनों में ताडासन, वृक्षासन, पाद-हस्तासन, अद्र्ध चक्रासन एवं त्रिकोणासन, उत्तानपाद आसन, शंशाक आसन का अभ्यास करवाया।

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