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जयपुर शहर रहा छतों पर, आसमान को छूआं पतंगों ने

👤 manish kumar | Updated on:14 Jan 2020 2:23 PM GMT

जयपुर शहर रहा छतों पर, आसमान को छूआं पतंगों ने

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जयपुर । राजधानी जयपुर मे मकर संक्रांति पर्व बडे ही धूमधाम से मनाया गया। मकर संक्रांति की तैयारिया बाजारों से घरों की छतों और रसोईघरों तक होती नजर आई। एक ओर जहां फीणीयों व तिल के लड्डूओं की सुगंध से पूरा शहर महका रखा था वहीं दूसरी ओर रंग-बिरंगी पतंगों से सजी दुकानें सभी को आकर्षित कर रहीं थी। जयपुरवासी ही नहीं बल्कि विदेशी सैलानियों में भी इस त्यौहार को लेकर काफी उत्साह नजर आया। जयपुर की अद्भुत पतंगबाजी को देखने और स्वयं पतंगबाजी का लुफ्त उठाने के लिए हर वर्ष दूसरे प्रांतों से पर्यटक और विदेशी सैलानी मकर संक्रांति पर्व मनाने आते हैं। इस दिन पतंगों से आसमान और लोगों से भरी छतें नजर आती है। पूरा शहर छतों पर आता है। नीला आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से सटा, छतों पर बजता संगीत, पतंग काटने पर ये काटा वो काटा के युवाओं के गूंजते स्वर। मौका था मकर संक्रांति पर्व का। युवाओं में पतंगबाजी को लेकर सुबह से ही उत्साह देखने को मिला। सुबह से ही युवा चकरी के साथ पतंगें लेकर छतों पर चढ़े। इसके बाद पतंगें उड़ाना शुरू किया।

खुले रहे पशु- पक्षी चिकित्सा केन्द्र

जयपुर शहर में पतंगबाजी से घायल पशु पक्षियों के उपचार के लिए पशु चिकित्सा पॉली क्लिनिक, जयपुर सहित समस्त अधीनस्त पशु चिकित्सा संस्थाएं 14 जनवरी को प्रात: 9 बजे से सांय 6 बजे तक खुले रहे ।

बेजुबान पक्षियों के लिए काल बना मांझा

मकर संक्रांति पर हर साल चाइनीज या कांच से सुते मांझे की चपेट में आकर सैकड़ों पक्षियों को जान गंवानी पड़ी तो कई घायल हो गए। वहीं स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से कई स्थानों पर इनके इलाज की व्यवस्थाएं भी की गई है। सांगानेरी गेट स्थित शहर के एकमात्र पक्षी चिकित्सालय में मांझे की धार से कटकर आने वाले परिंदों का सिलसिला एक -दो दिन पहले से शुरू हो गया था, लेकिन मंगलवार को यहां इनकी संख्या बढ़ गई।

मिली जानकारी के अनुसार यहां दो से तीन सौ से अधिक कबूतर, आधा दर्जन चील जख्मी हालात में पहुंचे है। स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से जलेबी चौक, रामनिवास बाग, बड़ी चौपड़, जौहरी बाजार में सांगानेरी गेट सहित अन्य इलाको में रेस्क्यू काउंटर बनाए गए है। जहां इन घायल परिंदों को देखरेख के लिए लिया जा रहा है। मांझे की धार से कटकर बड़ी संख्या में परिंदें मर जाते है। इसे देखते हुए प्रशासन ने सुबह और शाम को पंतगबाजी पर रोक भी लगा रखी है, लेकिन पतंगबाजी के जोश के सामने ये रोक बेअसर साबित हुई।(हि.स.)


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