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देशभर में आज भी कृष्ण जन्माष्टमी की धूम, राशि अनुसार इन भोगों को लगा, गोपाल जी को करे प्रसन्न

👤 Veer Arjun | Updated on:7 Sep 2023 7:23 AM GMT

देशभर में आज भी कृष्ण जन्माष्टमी की धूम, राशि अनुसार इन भोगों को लगा, गोपाल जी को करे प्रसन्न

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नई दिल्ली(New Delhi)। देशभर में आज भी कृष्ण जन्माष्टमी की धूम है। ग्रंथों के अनुसार योगेश्वर श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, मध्य रात्रि, वृषभ लग्न और बुधवार के दिन हुआ था। इस बार जन्माष्टमी 6 और 7 सितंबर दो दिन मनाई जा रही है।

जन्माष्टमी पर कान्हाजी के 8 प्रिय फूल और पत्र जरूर चढ़ाएं

वैजयंती, गेंदा, गुलाब, कमल, मालती, केवड़ा, कनेर और और मौलश्री जैसे फूल अर्पित करें वही पत्र की बात करें तो तुलसी, बेलपत्र, शमी, कुशा, दूर्वा, भृंगराज, अपामार्ग और मोरपंख जरूर चढ़ाएं।

नोएडा के इस्कॉन मंदिर में हुई मंगला आरती

देश के सभी कृष्ण मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम दिखाई दिखाई दे रही है। वृंदावन, मथुरा और इस्कॉन के मंदिरों को विशेष रूप से सजाया गया है। जन्माष्टमी के मौके पर नोएडा के इस्कॉन मंदिर में आज तड़के मंगला आरती की गई। सुबह से भक्तों की भारी भीड़ मंदिर में एकत्रित हो रही है।

आज जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी का त्योहार दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन गृहस्थ जबकि दूसरे दिन वैष्णव संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाते हैं। कृष्ण जन्मोत्सव पर मथुरा, वृंदावन समेत कई कृष्ण मंदिरों में धूमधाम और उत्साह के साथ जन्मोत्सव मनाया जाता है। आज की बात करें तो रात 12 बजकर 02 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट तक का अच्छा मुहूर्त बन रहा है

घर पर जरूर लगानी चाहिए श्रीकृष्ण की तस्वीरें

संपूर्ण जीवन के प्रतीक श्री कृष्ण की उपासना से सुख, शांति, आरोग्य एवं लाभ की प्राप्ति होती है एवं इनका वास्तुदोष निवारण में भी बड़ा महत्व है। घर, कार्यस्थल में श्री कृष्णजी की तस्वीर को लगाने पर भगवान प्रसन्न होकर वहां की नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर अपने भक्तों की परेशानियों को दूर कर देते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी पर राशि अनुसार भोग लगाकर करें प्रसन्न

मेष राशि- मेष राशि के जातकों के लिए कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल पर घी का भोग लगाएं।

वृषभ राशि- वृषभ राशि के लोग जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को माखन का भोग लगाएं।

मिथुन राशि- इस राशि के जातकों को आज के दिन भगवान कृष्ण को दही का भोग अवश्य लगाएं।

कर्क राशि- जन्माष्टमी के दिन कान्हा को दूध केसर का भोग लगाएं।

सिंह राशि- कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल को माखन मिश्री का भोग लगाएं।

कन्या राशि- कन्या राशि के जातकों को लड्डू गोपाल को माखन का भोग लगाना शुभ होगा।

तुला राशि- देसी घी का भोग लगाएं।

वृश्चिक राशि - माखन या दही का भोग अर्पित करना अच्छा रहेगा।

धनु राशि- धनु राशि के जातकों को जन्माष्मटी के दिन बाल गोपाल को पीली मिठाई का भोग लगा सकते हैं।

मकर राशि -कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को मिश्री का भोग लगाएं।

कुम्भ राशि- भगवान श्री कृष्ण को सफेद मिठाई का भोग लगाएं।

मीन राशि- भगवान कृष्ण को बर्फी और केसर का भोग लगाएं।

कृष्ण जन्माष्टमी की पूजन सामग्री

आज भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव कृष्ण जन्माष्टमी बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाई जा रही है। भाद्रपद माह के अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के लड्डू गोपाल के स्वरूप की पूजा की जाती है। जन्माष्टमी पर बाल गोपाल की पूजा की तैयारियां कई दिनों पहले से होने लगती है। आइए जानते हैं बाल गोपाल की पूजा में किन-किन चीजों का होना जरूरी होता है।

बाल गोपाल की मूर्ति, झूला, बांसुरी, एक नया आभूषण, मुकुट, तुलसी के पत्ते, हल्दी, पान, सुपारी, गंगाजल, सिंहासन, चंदन, अक्षत, मक्खन, केसर, छोटी इलायची, कलश, इत्र, सिक्के, सफेद कपड़ा, लाल कपड़ा, कुमकुम, नारियल, मौली, लॉन्ग, इत्र, दिया, धूप बत्ती, फल, कपूर और मोरपंख ।

कब है जन्माष्टमी रात्रि का पूजन मुहूर्त

निशीथ पूजा मुहूर्त : 23:56 से 24:42 मिनट तक

अवधि : 45 मिनट

जन्माष्टमी पारणा मुहूर्त ( 08 सितंबर 2023) : सुबह 06 बजे के बाद

जन्माष्टमी पूजा विधि

जन्माष्टमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें ।

माता देवकी और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्र पालने में स्थापित करें।

पूजन में देवकी,वासुदेव,बलदेव,नन्द, यशोदा आदि देवताओं के नाम जपें।

रात्रि में 12 बजे के बाद श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं।

जन्माष्टमी पर कान्हा को पीले चंदन या फिर केसर का तिलक जरूर लगाएं, साथ ही साथ उन्हें मोर के मुकुट और बांसुरी जरूर अर्पित करें।

लड्डूगोपाल को पंचामृत से अभिषेक कराकर भगवान को नए वस्त्र अर्पित करें एवं झूला झुलाएं।

तुलसी डालकर माखन-मिश्री व धनिये की पंजीरी का भोग लगाएं।

अंत में आरती करके प्रसाद को वितरित करें।

जन्माष्टमी दो दिन क्यों ? जानें क्या कहते हैं शास्त्र और वैदिक पंचांग

योगेश्वर श्रीकृष्ण का जन्मदिन 'जन्माष्टमी' का पर्व आज बड़े उत्साह के साथ मनाया जाएगा। अक्सर देखा गया है कि, यह पर्व दो दिनों-तिथियों में मनाया जाता रहा है। बहुत कम ऐसा अवसर आता है कि गृहस्थ और वैष्णव संन्यासियों का ये पावन पर्व एक साथ मने। स्मृति ग्रंथों के अनुसार योगेश्वर श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, मध्य रात्रि, वृषभ लग्न और बुधवार के दिन हुआ था इसमें कोई मतभेद अथवा विवाद कभी नहीं रहा। इनमें से अधिकांश योग इस वर्ष 06 सितंबर, बुधवार को विद्यमान था, इसलिए देश के कई भागों में यह पर्व इसी दिन मनाया गया।

देश के जिस भाग में सूर्योदय कालीन तिथि को वरीयता दी जाती है वहां और वैष्णव सम्प्रदाय तथा सन्यासियों द्वारा यह पर्व 07 सितंबर गुरुवार को सूर्योदयकालीन अष्टमी तिथि के दिन मनाया जायेगा, क्योंकि ये भक्त अष्टमी और नवमी तिथि के संधिकाल को ही वरीयता देते हैं। इस वर्ष रात्रि में नवमी (रिक्ता तिथि) व्याप्त होगी। शास्त्रों में रिक्ता तिथि में किया गया कार्य बहुत शुभ नहीं माना जाता किंतु उस दिन यदि शनिवार हो तो ये शुभ होता है और न हो, तो कार्यसिद्धि के लिए शनि की होरा का समय ग्रहण किया जा सकता है। ऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण के जन्म के समय मध्य रात्रि में वसुदेव जी जब इन्हें लेकर मथुरा से गोकुल के लिए प्रस्थान किए तो उनके गोकुल पहुंचने तक 'ब्रह्ममुहूर्त' लग चुका था इसलिए वृंदावन गोकुल आदि के भक्त उदयातिथि की अष्टमी को ही जन्माष्टमी मानते हैं।

वैष्णव सम्प्रदाय औ संन्यासी आज मना रहे है जन्माष्टमी

देश के जिस भाग में सूर्योदय कालीन तिथि को वरीयता दी जाती है वहां और वैष्णव सम्प्रदाय तथा सन्यासियों द्वारा यह पर्व 07 सितंबर, गुरुवार को सूर्योदयकालीन अष्टमी तिथि के दिन मनाया जा रहा है। क्योंकि ये भक्त अष्टमी और नवमी तिथि के संधिकाल को ही वरीयता देते हैं।

मथुरा, वृंदावन और इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी की धूम

आज मथुरा, वृंदावन, द्वारिका और इस्कॉन मंदिर समेत देश-विदेश के सभी मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। आज कान्हा के स्वागत में उनकी नगरी सजी है। वृंदावन के बांके बिहारी समेत सभी मंदिरों को रोशनी और फूलों से सजाया जा रहा है। सुबह से ही देश-विदेश से श्रद्धालु कान्हा की नगरी में एकत्र होने लगे हैं। बड़ी संख्या में कृष्ण भक्त अपने आराध्य के दर्शन के लिए वृंदावन, मथुरा और इस्कॉन के मंदिर में एकत्रित हो रहे हैं।

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