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प्रसिद्ध पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में आज से पूजा की नई व्यवस्था, आर ओ के जल से होगा जलाभिषेक

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:27 Nov 2017 4:49 PM GMT

प्रसिद्ध पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में आज से पूजा की नई व्यवस्था, आर ओ के जल से होगा जलाभिषेक

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मन्दसौर,भाषा, मध्यप्रदेश के मंदसौर में स्थित प्रसिद्ध भगवान अष्टमुखी श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में आज से लागू की गई नई व्यवस्था के तहत अब मन्दिर के पुजारी ही भगवान पशुपतिनाथ का जलाभिषेक और श्रृंगार कर सकेंगे और उन्हें भोग लगा सकेंगे। पुजारी जलाभिषेक भी आर ओ के जल से ही करेंगे।आम श्रद्धालु अब इस मंदिर में प्रतिमा को स्पर्श नहीं कर सकेंगे। इसके साथ ही मंदिर की सुरक्षा के भी अतिरिक्त प्रबन्ध किये गये हैं।

पशुपतिनाथ महादेव प्रबन्ध समिति की 6 नवम्बर 2017 को आयोजित बै"क में यह निर्णय लिये गये तथा इनका पालन आज 27 नवम्बर से किया जाना निर्धारित किया गया। 27 नवम्बर 1961 को मन्दिर में मूर्ति की स्थापना हुई थी तथा स्थापना से कल तक आम जनता जलाभिषेक, आरती और श्रंगार आदि करती आ रही थी जो नई अब नई व्यवस्था से नही हो सकेगा।
कलेक्टर एवं मन्दिर प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष ओ पी श्रीवास्तव ने आज से लागू की गई नई व्यवस्था को भोग के समय उपस्थित रह कर देखा।
मन्दिर प्रबन्ध समिति के प्रबंधक राहुल रुनवाल ने बताया कि समिति द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार आज से मन्दिर के पुजारी ही आर ओ जल से भगवान पशुपतिनाथ महादेव का अभिषेक करेंगे। मूर्ति और जलाधारी के आसपास 4 फीट ऊंची रेलिंग लगा दी गई है जिससे अंदर कोई प्रवेश नहीं कर सकेगा। अभिषेक के लिये रेलिंग के तीन तरफ जलपात्र लगे रहेंगे जिनमें कोई भी श्रद्धालु अभिषेक के लिये जल डाल सकेगा जो जलाधारी में जाएगा। यह अभिषेक भी सुबह 5 बजे से 9 बजे तक ही किया जा सकेगा।
मन्दिर के पुजारी पंडित सुरेंद्र आचार्य औ2&353r पण्डित कैलाश भट्ट ने बताया कि प्रबन्ध समिति द्वारा लिये गये निर्णय अच्छे हैं और जलाभिषेक, श्रृंगार हम स्वयं ही कर रहे हैं।
पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में 6 दान पात्र लगे हैं जिनमें प्रतिवर्ष लगभग एक करोड रूपये से अधिक का दान प्राप्त होता है। फिलहाल समिति के पास लगभग पांच करोड़ रूपये की राशि जमा है।
वहीं दूसरी ओर पशुपतिनाथ महादेव प्रातःकालीन आरती मंडल के अध्यक्ष एवं नगर पालिका के अध्यक्ष, भाजपा के वरिष्" नेता प्रहलाद बंधवार ने कहा कि प्रबंध समिति ने जो निर्णय लिया है वह अच्छा नहीं है। यह तानाशाही पूर्ण निर्णय कतई उचित नहीं है। मूर्ति का यदि क्षरण हो रहा है तो वह "rक कराया जाये। आमजनों के द्वारा जलाभिषेक होना चाहिए। जिन्हें धर्म का ही ज्ञान नहीं वो इस संबंध में निर्णय कर रहे हैं। कोई भी श्रद्धालु माता के या बालाजी के मंदिर जाएगा तो वहां तो वह अभिषेक नहीं करेगा। अभिषेक तो महादेव की मूर्ति का ही होता है।
गौरतलब है कि मंदिर की प्रबंध समिति में भाजपा के विधायक यशपालसिंह सिसोदिया भी शामिल हैं और इनकी उपस्थिति में ही समिति के बै"क में यह निर्णय लिये गये थे।
मालूम हो कि शीर्ष अदालत ने उज्जैन में विश्व् प्रसिद्ध महाकालेश्व्र मंदिर में ज्योर्तिलिंग को क्षरण से रोकने के लिये आर ओ जल से सीमित मात्रा में जल से जलाभिषक करने सहित ज्योर्तिलिंग को कपड़े से पूरा ढंग कर भस्म आरती करने के निर्देश जारी किये हैं। इन निर्देशों पर उज्जैन में महाकाल मंदिर की पूजा अर्चना में भी अमल शुरू हो गया है।

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