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देश में आज मनाया जा रहा गोवर्धन पूजा

👤 manish kumar | Updated on:28 Oct 2019 5:36 AM GMT

देश में आज मनाया जा रहा गोवर्धन पूजा

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हिंदू धर्म में दिवाली का अपना महत्व है। अंधकार पर प्रकाश के विजय का पर्व दिवाली कुल पांच दिनों का त्यौहार है। वैसे तो धनतेरस से शुरू हुआ ये त्योहार भैया दूज तक जारी रहता है।

दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का विधान है। हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है. आज भी देश भर में गोवर्धन पूजा मनाई जा रही है।

गोवर्धन वाले दिन को बलि पूजा, अन्नकूट, मार्गपाली जैसे कई उत्सव मनाए जाते हैं. गोवर्धन पूजा सिर्फ उत्तर भारत में ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

गाय पूजा भी है खास

गोवर्धन पूजा में गोधन मतलब गाय की पूजा की जाती है. अगर हिंदू मान्यता की मानें तो गाय को देवी लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है. देवी लक्ष्मी सुख समृद्धि प्रदान करती है. उसी तरह गाय माता हमें स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं. तो सबसे पहले बताते है कि गोवर्धन पूजा का महत्व क्या है और हम इसको क्यों मनाते है.

गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा का सीधा संबंध भगवान कृष्ण से है. माना जाता है कि इस त्योहार की शुरूआत द्वापर युग में हुई थी. हिंदू मान्यता की मानें तो गोवर्धन पूजा से पहले ब्रज इलाके के निवासी भगवान इंद्र की पूजा किया करते थे. मगर भगवान कृष्ण के कहने पर एक साल तक ब्रजवासियों ने गाय की पूजा की।

उन्होंने गाय के गोबर का पहाड़ बनाकर उसकी परिक्रमा की. ब्रजवासी हर साल गाय की पूजा करने लगे. उन्होंने भगवान इंद्र की पूजा करनी ही बंद कर दी. इंद्र ब्रजवासियों के इस व्यवहार से नाराज हो गए. वहां के वासियों को डराने के लिए पूरे ब्रज में भयंकर बारिश कर दी. इससे पूरा ब्रज बारिश के पानी से डूब गया.

कहां पर स्थित है गोवर्धन पर्वत

गोवर्धन पर्वत ब्रज में स्थित है. ये एक छोटी सी पहाड़ी पर बना हुआ है. मगर इस पहाड़ी को पर्वतों का राजा माना जाता है क्योंकि द्वापर युग का सिर्फ एक यही अवशेष ही अब तक मौजूदा समय में है. यमुना नदी तो समय समय पर बदलती रही. लेकिन आज भी ये अपनी जगह पर मौजूद है.

पूजा कर लगाया जाता है अन्नकूट का भोग

गोवर्धन पूजा के दिन बलि पूजा, मार्गपाली आदि उत्सवों को भी मनाने की परम्परा है. इस दिन भगवान को तरह−तरह के व्यंजनों के भोग लगाये जाते हैं. उनके प्रसाद का लंगर लगाया जाता है.

इस दिन जमीन पर गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर पूजा की जाती है. जल, मौली, रोली, चावल, फूल, दही और तेल का दीपक जलाकर पूजा करते हैं और परिक्रमा करते हैं. इस दिन गाय−बैल आदि पशुओं को स्नान करा कर फूलमाला, धूप, चंदन आदि से उनका पूजन किया जाता है।

गायों को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है और प्रदक्षिणा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन गाय की पूजा करने से सभी पाप उतर जाते हैं और मोक्ष मिलता है।

इस दिन अन्नकूट का भी विशेष महत्व है. यहां तरह तरह के पकवानों से भगवान की पूजा होती है. इस त्योहार में अन्न का समूह इस्तेमाल होता है. इसी वजह से इसका नाम अन्नकूट भी पड़ा. इसकी पूजा में श्रद्धालु तरह-तरह की मिठाइयों, पकवानों से भगवान का भोग लगाते हैं. उसके बाद उसको प्रसाद के रूप में सबको दिया जाता है।

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