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बैकुंठ चतुदर्शी पर भगवान विष्णु की पूजा से मिलता है कई गुना फल

👤 mukesh | Updated on:10 Nov 2019 6:43 AM GMT

बैकुंठ चतुदर्शी पर भगवान विष्णु की पूजा से मिलता है कई गुना फल

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सनातन संस्कृति को व्रतों, त्यौहारों और पर्वों की संस्कृति कहा जाता है। हर तिथि देवी-देवताओं को समर्पित है और इन तिथियों के अनुसार देवी-देवताओं को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए पर्वों का आयोजन किया जाता है उनकी उपासना करते हुए हर्षोल्लास के साथ त्यौहारों को मनाया जाता है। कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी कहा जाता है और इस दिन भगवान विष्णु के साथ महादेव की पूजा का विधान है। आज देशभर में बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। भगवान विष्णु की पूजा मध्य रात्रि में की जाएगी। माना जाता है कि इस दिन श्रीहरी और महादेव की उपासना करने से पापों का नाश होता है और कई गुना पुण्य फल मिलता है।

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और देवादिदेव महादेव का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। श्रीहरी का षोडशोपचार पूजन किया जाता है। पूजन में चंदन, चंदन का इत्र, श्वेत कमल, केसर गाय का दूध, दही, मिश्री, शहद आदि से अभिषेक करना चाहिए। अबीर, गुलाल, कुमकुम सुगंधित फूल, सूखे मेवे, ऋतुफल का भोग लगाएं। श्रीमदभागवतगीता, श्रीसुक्त और विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। साथ ही विष्णुजी के बीजमंत्र का 108 बार जाप करने से पापों से मुक्ति मिलने के साथ पुण्यों में वृद्धि होती है और सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है। पूजन में मखाने की खीर का भोग भी लगाना चाहिए।

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