Home » धर्म संस्कृति » हरिहर का रूप है श्रावण माह इस बार सर्वाधिक शुभ मुहुर्त

हरिहर का रूप है श्रावण माह इस बार सर्वाधिक शुभ मुहुर्त

👤 Veer Arjun | Updated on:15 July 2022 12:44 PM GMT

हरिहर का रूप है श्रावण माह इस बार सर्वाधिक शुभ मुहुर्त

Share Post

वैसे तो चातुर्मास के चार महीनों में क्रमशः सावन में शिव, भादौ में गणेश, अश्विन में देवी और कार्तिक महीने में भगवान विष्णु की पूजा होती है। चातुर्मास का पहला माह श्रावण होने से सावन में पूजा-पाठ के साथ ही खाने-पीने की कई चीजों का ध्यान रखा जाता है। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि पूरे महीने शिवजी की पूजा के साथ ही व्रत-उपवास भी किए जाते हैं। सावन की पूर्णिमा को चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में रहता है। इसलिए श्रवण नक्षत्र से इस महीने का नाम पड़ा है। सावन महीने के आखिरी दिन पूर्णिमा तिथि पर श्रवण नक्षत्र के संयोग में रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही सावन में भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान होता है। डॉ तिवारी के अनुसार सावन मास के देवता शुक्र हैं और शिवजी के साथ इस महीने में भगवान विष्णु के श्रीधर रूप की पूजा करने का विधान बताया गया है। इसलिए सावन महीने में इनकी ही पूजा और व्रत करने का महत्व है। इस महीने में भगवान शिव के साथ विष्णु जी के अभिषेक का भी बहुत महत्व है।

सावन में शुक्र और भगवान विष्णु की पूजा करने से दांपत्य सुख बढ़ता है। सावन में भगवान शिव, विष्णु और शुक्र की उपासना प्रत्येक गृहस्थ को करना चाहिए। सावन के पूरे महीने पत्तियों वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिए। तामासिक भोजन न करें। दूध नहीं पीएं और दूध से बनी चीजें नहीं खानी चाहिए। मांसाहार और किसी भी तरह का नशा न करें। इस महीने में ज्यादा मसालेदार खाना भी नहीं खाना चाहिए। साथ ही ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए। दोपहर में नहीं सोना चाहिए। इस महीने दोनों वक्त यानी सुबह-शाम खाना नहीं खाएं। एक समय फलाहार करना चाहिए। स्कंदपुराण के अनुसार सावन महीने में एकभुक्त व्रत करना चाहिए। यानी एक समय ही भोजन करना चाहिए। इसके साथ ही पानी में बिल्वपत्र या आंवला डालकर नहाना चाहिए। इससे जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इस महीने के दौरान भगवान विष्णु का वास जल में होता है। इसलिए इस महीने में तीर्थ के जल से नहाने का बहुत महत्व है। मंदिरों में या संतों को कपड़ों का दान देना चाहिए। इसके साथ ही चांदी के बर्तन में दूध, दही या पंचामृत का दान करें। तांबे के बर्तन में अन्न, फल या अन्य खाने की चीजों को रखकर दान करना चाहिए। सावन में मनोकामना पूर्ति के लिए अलग-अलग वस्तुओं से भगवान का अभिषेक अवश्य करना चाहिए।

सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को, दूसरा 25 को, तीसरा 1 अगस्त और चौथा 8 अगस्त को रहेगा। इन दिनों में चांदी के या पीतल के लौटे से शिवलिंग पर दूध खासतौर पर चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा जल, बिल्व पत्र, आंकड़े के फूल, धतूरा, भांग, चंदन, शहद, भस्म और जनेऊ भी जरूर चढ़ाएं। इस बार सावन महीने में विशेष शुभ योग रहेंगे। 15, 19, 21, 23, 25, 28 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। 20 जुलाई, 1 अगस्त, 4, 6, 7, 8, 10, 11 अगस्त को रवि योग रहेगा। 24 जुलाई राजयोग द्वि-पुष्कर योग रहेगा। 25 जुलाई को अमृत सिद्धि योग रहेगा। शिव जी पंचदेवों में से एक हैं। शिव जी के साथ ही गणेश जी, विष्णु जी, दुर्गा माता और सूर्य देव की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। शुभ कामों की शुरुआत इन पंचदेवों की पूजा के साथ करनी चाहिए।

Share it
Top