शनिश्चरी अमावस्या आज, त्रिवेणी घाट पर कपड़े-जूते छोड़कर जा रहे श्रद्धालु
उज्जैन। भाद्रपद (भादों) माह में पड़ने वाली अमावस्या को कुशगृहिणी अमावस्या कहा जाता है। इस बार आज यानि शनिवार का दिन होने से ये शनिश्चरी अमावस्या भी है, हालांकि यह अमावस्या शुक्रवार दोपहर से शुरू हो चुकी है और शनिवार को दोपहर 1.46 बजे तक ही है। ज्योत्षियों के अनुसार भादों में शनिवार को अमावस्या का ये संयोग 14 साल बाद बना है। इससे पहले ऐसा संयोग 30 अगस्त 2008 को बना था और अब 23 अगस्त 2025 को बनेगा। इस बार शनि अमावस्या पर शिव योग और पद्म योग का संयोग भी बन रहा है।
भादों माह में आने वाली ये साल की अंतिम शनि अमावस्या रहेगी। शनि अमावस्या पर उज्जैन शहर के त्रिवेणी घाट स्थित नवग्रह शनि मंदिर में हजारों श्रद्धालु अपने ग्रह सुधार की कामना लेकर आते हैं। विश्व में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां नवग्रह के साथ दशा का भी मंदिर है। ज्योतिषाचार्य पं. हरिहर पंड्या के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या के दिन भगवान शनि का जन्म हुआ था। यही वजह इसे खास बनाती है। मंदिर में शनि की पूजा दशा स्वरूप में होती है। पहली दशा साढ़े साती और दूसरी ढैया के रूप में विराजित है। जिस किसी श्रद्धालु की राशि में शनि बैठा हो, उसे यहां आकर आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए।
शनिश्चरी अमावस्या पर श्रद्धालु त्रिवेणी में स्नान कर भगवान नवग्रह के दर्शन करते हैं। मान्यता है कि शनिश्चरी अमावस्या पर श्रद्धालु स्नान के बाद अपने जूते, चप्पल और कपड़े दान स्वरूप वहीं छोड़कर जाते हैं। अमावस्या पर देशभर से आने वाले श्रद्धालु त्रिवेणी घाट पर जूतों और कपड़ों को छोड़ देते हैं। दान स्वरूप छोड़े गए जूतों और कपड़ों को प्रशासन नीलाम करवा देता है। पं. पंड्या के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या पर दान करने से दरिद्रता दूर होती है। कष्टों का निवारण होता है।