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उल्‍टी, मतली, बुखार, भूख कम लगना, इन लक्षणों को न करे इग्‍नोर, वरना पड़ेगा पछताना

👤 Veer Arjun | Updated on:28 July 2023 10:35 AM GMT

उल्‍टी, मतली, बुखार, भूख कम लगना, इन लक्षणों को न करे इग्‍नोर, वरना पड़ेगा पछताना

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नई दिल्ली। हर साल 28 जुलाई को विश्‍व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। worldhepatitisday.org के अनुसार लोगो में वायरल हेपेटाइटिस के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए यह दिवस आयोजित किया जाता है। साल 2023 में वर्ल्‍ड हेपेटाइडिस डे की थी है 'अब हम इंतजार नहीं करेंगे।'

बड़ों ही नहीं बल्कि बच्‍चों में भी हेपेटाइटिस की बीमारी देखी जाती है लेकिन अक्‍सर मां-बाप इसे नजरअंदाज कर देते हैं और समय पर इलाज ना मिलने की वजह से स्थिति खराब हो जाती है। अगर आपको भी अपने बच्‍चे में यहां बताए गए लक्षण दिख रहे हैं, तो उन्‍हें इग्‍नोर करने के बजाय जल्‍द से जल्‍द बच्‍चे को डॉक्‍टर के पास लेकर जाएं।

दुनियाभर के बच्‍चों को हेपेटाइटिस बड़ी तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के सामने इस बीमारी के कई गंभीर मामले सामने आ रहे हैं। शुरुआत में हेपेटाइटिस के लक्षण हल्‍के होते हैं जिसमें मतली और बुखार रहता है। इसके गंभीर लक्षणों में पीलिया शामिल है।

बच्‍चों में कॉमन नहीं है हेपेटाइटिस

बच्‍चों में हेपेटाइटिस की बीमारी होना कोई कॉमन बात नहीं है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 1 महीने से 16 साल की उम्र के बच्‍चे इस बीमारी की चपेट में आते हैं। यह तथ्‍य चौंकाने वाला है लेकिन फिर भी एक्‍स्‍पर्ट्स अब तक बच्‍चों में इस बीमारी के होने के स्‍पष्‍ट कारण का पता नहीं लगा पाए हैं। चूंकि, अभी तक बच्‍चों में हेपेटाइटिस का कारण पता नहीं चल पाया है कि इसलिए एक्‍सपर्ट्स पैरेंट्स से इसके लक्षणों को समय पर पहचानने की सलाह देते हैं।

क्‍या पैरेंट्स के लिए चिंता की बात है

हेपेटाइटिस के ज्‍यादा गंभीर मामले बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। बच्‍चों के हेपेटाइटिस होने पर दोस्‍तों के साथ खेलने या बात करने या स्‍कूल जाने को लेकर ज्‍यादा चिंता नहीं करनी चाहए। अगर बच्‍चे के लक्षणों में सुधार नहीं हो रहा है, तो आप लगातार पीडियाट्रिशियन के संपर्क में रहें। अगर बच्‍चे के पेशाब का रंग गहरा आ रहा है, हल्‍के रंग का मल आ रहा है या पीलिया के लक्षण दिख रहे हैं, तो आप बच्‍चे को तुरंत डॉक्‍टर कोहेपेटाइटिस के ज्‍यादा गंभीर मामले बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। बच्‍चों के हेपेटाइटिस होने पर दोस्‍तों के साथ खेलने या बात करने या स्‍कूल जाने को लेकर ज्‍यादा चिंता नहीं करनी चाहए। अगर बच्‍चे के लक्षणों में सुधार नहीं हो रहा है, तो आप लगातार पीडियाट्रिशियन के संपर्क में रहें। अगर बच्‍चे के पेशाब का रंग गहरा आ रहा है, हल्‍के रंग का मल आ रहा है या पीलिया के लक्षण दिख रहे हैं, तो आप बच्‍चे को तुरंत डॉक्‍टर को दिखाएं।

हेपेटाइटिस के ज्‍यादा गंभीर मामले बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। बच्‍चों के हेपेटाइटिस होने पर दोस्‍तों के साथ खेलने या बात करने या स्‍कूल जाने को लेकर ज्‍यादा चिंता नहीं करनी चाहए। अगर बच्‍चे के लक्षणों में सुधार नहीं हो रहा है, तो आप लगातार पीडियाट्रिशियन के संपर्क में रहें। अगर बच्‍चे के पेशाब का रंग गहरा आ रहा है, हल्‍के रंग का मल आ रहा है या पीलिया के लक्षण दिख रहे हैं, तो आप बच्‍चे को तुरंत डॉक्‍टर को दिखाएं।

हेपेटाइटिस से बचने का तरीका

चूंकि, हेपेटाइटिस के कारण का पता नहीं चल पाया है कि इसलिए ये कहना भी मुश्किल होगा कि इस बीमारी से कैसा बचा जा सकता है लेकिन एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि यह बीमारी एडेनोवायरस की वजह से होती है। जुकाम और फ्लू से बचने से काफी मदद मिल सकती है। इसके अलावा हाथों की साफ-सफाई का ध्‍यान रखें, बीमार लोगों से दूर रहें।

बच्‍चों में हेपेटाइटिस के लक्षण

हेपेटाइटिस के शुरुआती लक्षणों में उल्‍टी, मतली, बुखार, भूख कम लगना शामिल हैं। जैसे-जैसे हेपेटाइटिस बढ़ता है, पेशाब का रंग गहरा होना और हल्‍के रंग का मल आने जैसे अन्‍य लक्षण भी सामने आने लगते हैं। इसके गंभीर लक्षणों में पीलिया आता है जिसमें स्किन का रंग पीला पड़ जाता है और आंखों का रंग सफेद हो जाता है।

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