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महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की इस प्रकार पूजन करनें से मिलेंगा पूरे व्रत का फल, जानें पूजा, विधि

👤 Veer Arjun | Updated on:29 March 2023 6:45 AM GMT

महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की इस प्रकार पूजन करनें से मिलेंगा पूरे व्रत का फल, जानें पूजा, विधि

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नई दिल्ली। Chaitra Navratri 9th Day 2023, Maha navami Pujan, Maa Siddhidatri: मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि का पावन पर्व नवमी तिथि से समाप्त हो जाएगा। इस साल चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि 30 मार्च 2023, गुरुवार को है। नवरात्रि की नवमी को मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं और भक्तों को यश, बल और धन भी प्रदान करती हैं।

शास्त्रों में मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना गया है। मां सिद्धिदात्री के स्वरूप की बात करें तो माता रानी महालक्ष्मी के कमल पर विराजमान हैं। मां के चार हाथ हैं। मां ने हाथों में शंख, गदा, कमल का फूल और च्रक धारण किया है। मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी मानते हैं। नवमी तिथि पर कन्या पूजन का भी विधान है। मान्यता है कि नवमी के दिन कन्या पूजन करने से जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जानें नवमी के शुभ मुहूर्त, महत्व, शुभ रंग, भोग व पूजा विधि-

नवमी तिथि पूजा- विधि-

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।

स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।

मां को रोली कुमकुम भी लगाएं।

मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।

मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।

मां की आरती अवश्य करें।

नवमी के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 04:41 ए एम से 05:28 ए एम।

अभिजित मुहूर्त- 12:01 पी एम से 12:51 पी एम।

विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:19 पी एम

गोधूलि मुहूर्त- 06:36 पी एम से 07:00 पी एम।

अमृत काल- 08:18 पी एम से 10:06 पी एम।

निशिता मुहूर्त- 12:02 ए एम, मार्च 31 से 12:48 ए एम, मार्च 31

गुरु पुष्य योग- 10:59 पी एम से 06:13 ए एम, मार्च 31

सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरे दिन

अमृत सिद्धि योग- 10:59 पी एम से 06:13 ए एम, मार्च 31

रवि योग- पूरे दिन

मां सिद्धिदात्री का भोग-

नवरात्रि की नवमी को मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा आदि का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां सिद्धिदात्री प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।

पूजा मंत्र-

सिद्धगन्‍धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,

सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

मां सिद्धिदात्री आरती-

जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।

तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।

जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।

तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।

तू सब काज उसके करती है पूरे।

कभी काम उसके रहे ना अधूरे।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।

जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।

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