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बोपन्ना से कम हकदार नहीं है माइनेनी : इंजेती श्रीनिवास

👤 admin 4 | Updated on:19 Aug 2017 5:37 PM GMT

बोपन्ना से कम हकदार नहीं है माइनेनी : इंजेती श्रीनिवास

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नई दिल्ली, (भाषा)। केंद्रीय खेल मंत्रालय के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने आज स्पष्ट किया कि पात्रता पर सवाल उ"ाने जाने के बावजूद साकेत माइनेगी प्रतिष्"ित अर्जुन पुरस्कार की दोवदारी में साथ टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना से कम हकदार नहीं हैं।

अखिल भारतीय टेनिस संघ ाएआईटीएा के इस सम्मान के लिए बोपन्ना का नाम नहीं भेजने के बाद कुछ विवाद हुआ था। बोपन्ना ने फ्रेंच ओपन में मिश्रित युगल का खिताब जीता था जबकि इंचियोन एशियाई खेलों में स्वर्ण और रजत पदक जीतने वाले माइनेनी के प्रदर्शन को तरजीह दी गई। श्रीनिवास ने पीटीआई से बातचीत में कहा, टेनिस में हमारे पास पहले से आवेदन ामाइनेना था जो किसी भी तरह से कम हकदार नहीं है और आप स्वयं फैसला नहीं कर सकते ाकि कौन हकदार है और कौन नहां। आवेदक ामाइनेना ने एशियाई खेलों में भारत को गौरवांवित किया। प्रदर्शन ने उसे अंक दिलाए और उसका मामला विचार के योग्य था।
भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक की भी भूमिका निभाने वाले श्रीनिवास ने स्वीकार किया कि बोपन्ना की उपलब्धि की अनदेखी नहीं की जा सकती लेकिन प्रक्dिरया पर चलने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, रोहन बोपन्ना की उपलब्धि, कोई उसकी अनदेखी नहीं कर सकता। उसने शीर्ष उपलब्धियां हासिल की है लेकिन एक प्रक्dिरया है। इसलिए किसी को आपको नामांकित करना होता है, आपको आवेदन पर हस्ताक्षर करना होता है, यह प्रणाली सर्वश्रेष्" है या नहीं, इस पर बहस की जा सकती है।
श्रीनिवास ने स्पष्ट किया, उदाहरण के लिए आप पद्म पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं भेजते। यह चयन के जरिये अधिक होता है और यहां आप आवेदन करते हैं, अपनी उपलब्धियों के साक्ष्य देते हैं, बेहद सतर्कता से इसकी जांच होती है और फैसला किया जाता है। बोपन्ना के मामले में कोई नामांकन नहीं था और कोई आवेदन भी नहीं किया गया था।
राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्व स्वर्ण पदक विजेता मुक्केबाज अखिल कुमार ने कल द्रोणाचार्य पुरस्कार की विश्वसनीयता पर सवाल उ"ाए थे क्योंकि एक खिलाड़ी कई सिफारिश कर सकता है जिस पर श्रीनिवास ने कहा, द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए हमारा नियम है कि कोई भी राष्ट्रीय कोच जो किसी राष्ट्रीय शिविर में साल में 240 दिन बिताता है वह द्रोणाचार्य पुरर्सकार नामांकन का पात्र है। उन्होंने कहा, अब खिलाड़ी के करियर में वह विभिन्न चरणों में विभिन्न कोचों के संपर्क में आता है। यह उस खिलाड़ी की नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी भी बनती है और वह कई नामों की सिफारिश करता है। क्या मैं कह रहा हूं कि यह सही है? निश्चित तौर पर नहीं।

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