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धैर्य और समझदारी से करें

👤 manish kumar | Updated on:4 Dec 2019 5:50 PM GMT

धैर्य और समझदारी से करें

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नएज में बच्चों के शरीर में हार्मोन्स में बदलाव आते हैं। उनमें मानसिक परिपक्वता आने के साथ-साथ वे अपनी अलग पहचान बनाने के लिए उत्सुक रहते हैं। वे अपनी लाइफ को खुद कंट्रोल करना चाहते हैं। लेकिन दूसरी ओर पैरेंट्स इस उम्र में उन्हें कंट्रोल करने के लिए उन पर कई तरह की बंदिशें लगाने लगते हैं। ऐसे में दोनो के बीच तनातनी का माहौल हो जाता है। पैरेंट्स उनकी परवरिश छोटे बच्चों की तरह ही करके उन पर अपना निर्णय थोपते हैं तो उन्हें बहुत गुस्सा आता है। टीनएजर लड़कियां तो खास तौरपर अडियल, गुस्सैल और आाढामक हो जाती हैं। उन्हें अपने पैरेंट्स द्वारा लगायी गयी बंदिशों पर गुस्सा आता है और वे बात बात पर ओवर रिएक्ट करती हैं। उनके साथ दोस्ताना संबंध बनाकर उनकी सही परवरिश कैसे की जाए?

पैरेंट्स ओवर रिएक्ट न करें ः इस उम्र में टीनएज लड़कियां अपनी पहचान और व्यवहार के संकट से जूझ रही होती हैं। ऐसे में उनके आाढामक होने, ओवर रिएक्ट करने और उनके बार बार गुस्सा होने पर बुरा नहीं मानना चाहिए। क्योंकि गुस्से के बदले में अगर उनके साथ पैरेंट्स भी इसी तरह पेश आते हैं तो स्थिति और बिगड़ जाती है।

कम्युनिकेशन ः उसकी बातों को ध्यान से सुनें और उसके साथ प्यार से पेश आएं। पैरेंट्स और टीनएजर बेटी में खुले संवाद के कई फायदे होते हैं। जब वह खुलकर अपनी बात बताती है तो जोखिम उ"ाने वाले उसके व्यवहार पर कड़ी नजर रखी जा सकती है। उसके सेक्सुअली एक्टिव होने, उससे जुड़े दूसरे जोखिम के विषय में समय रहते पता लग सकता है।

सीमारेखा तय करें ः पैरेंट्स उसके लिए एक सीमारेखा जरूर तय करें और इस उम्र में उसके व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए बनाये गये नियमों को तोड़ने पर थोड़ा सख्ती से पेश आएं। लेकिन इसके लिए उसे सजा न दें। इससे स्थिति और बिगड़ सकती है। उसके साथ प्यार से पेश आएं तो उसकी नकारात्मक भावनाओं को कंट्रोल करके उसे सही रास्ते पर ला सकते हैं। यदि वह कोई गलती करती है तो उसके साथ सख्ती से पेश न आएं इससे वह पैरेंट्स को अपना दुश्मन समझने लगती है।

बात बात पर गुस्सा न करें ः उसके अटपटे कपडें, फैशन, ईयर या नोज पीयरसिंग पर नकारात्मक कमेंट न करें। दूसरों के बीच उसके खास दिखने की मनोभावनाओं को समझने का पयास करें। तेज आवाज में म्यूजिक सुनने, फोन पर ज्यादा बातें करने, डांस करने जैसी एक्टिविटीज पर गुस्सा न करें। इससे वे विरोधी हो सकती है। उसमें अपना विश्वास व्यक्त करें और उसकी भी सुनेंगे तो वह अपने लिए स्वयं नियम बनाकर उनका पालन भी करेगी।

उसे हर हाल में प्यार करें ः यदि अपनी किसी गलती के कारण वह बड़ी मुसीबत में फंस जाती है तो ऐसे समय में उसे अकेला छोड़ने, उससे नफरत करने, बातचीत बंद करने, उससे किसी तरह का सरोकार न रखने से स्थिति और बिगड़ सकती है। उसे हर हाल में सपोर्ट करें।

मदद लें ः टीनएज बेटी को भी चाहिए कि वह अपने पैरेंट्स की आज्ञा का पालन करे और किसी मुश्किल में पड़ने पर उनकी मदद लेने में किसी पकार का संकोच न करें। इससे उसे ही नहीं उसके पैरेंट्स को भी काफी सहायता मिलती है। कुछ भी हो, एक टीनएजर बेटी की परवरिश करना धैर्य और समझदारी का काम है। आखिर उम्र के इस पड़ाव को भी गुजरते समय के साथ वह पार कर जाती है। उसके बाद इस जीवन की अच्छी बुरी यादें रह जाती हैं। इस पकार पैरेंट्स को चाहिए कि वह बेटी के साथ अच्छे रिश्ते बनाएं और उसे इस क"िन स्थिति से निकालकर एक समझदार वयस्क के रूप में बड़ा होता देखे।

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