Home » रविवारीय » कौन बनेगा वास्तविक गगननॉट?

कौन बनेगा वास्तविक गगननॉट?

👤 manish kumar | Updated on:12 Dec 2019 12:33 PM GMT

कौन बनेगा वास्तविक गगननॉट?

Share Post

स में भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलटों को अंतरिक्ष यात्री बनाने का काम शुरू हो चुका है। लेकिन दूसरी खेप के लौटने के बाद ही यह पता चल पायेगा कि कौन बनेगा गगननॉट?,

वायुसेना के दर्जन भर चयनित टेस्ट पायलटों में से गगनबिहारी बनने की होड़ में अंतिम रूपसे कौन चार रहेंगे और असल में कौन बनेगा गगननॉट इसका फैसला जल्द ही हो जायेगा। जिस दिन ये फैसला सुना दिया गया और चार फ्रतिभागी निर्णायक फ्रशिक्षण के लिये रूस गये उसी दिन से गगनयान अभियान की वास्तविक तौरपर उलटी गिनती शुरू हो जायेगी। वे कौन से चार लोग होंगे जिन्हें रूस का गागरिन कॉस्मॉनॉट ट्रेनिंग सेंटर फ्रशिक्षित करेगा यह बात स्वयं गागरिन कॉस्मॉनॉट ट्रेनिंग सेंटर ही तय करेगा? अब फिलहाल भारत या इसरो अथवा भारतीय वायुसेना या फिर देश के सोसाइटी ऑफ एयरो मेडिसिन का काम इस क्षेत्र में समाप्त है। पहली फ्रावस्था जो भारतीय वायु सेना, सोसाइटी ऑफ एयर स्पेस मेडिसिन के सौजन्य से होनी थी, हो चुकी । अब यह काम रूसी एजेंसी के पास है । वही चयन और फ्रशिक्षण के बाद गगनाट बनाकर इसरो को सौंपेगी।

भारतीय वायुसेना ने 200 पायलट और टेस्ट पायलटों में से उम्मीदवारों का चयन करना आरंभ किया पर जब 31 वर्ष की आयुवर्ग में उचित मानदंड के फ्रतिभागी नहीं मिले तो उम्र सीमा 41 बरस तक बढ़ा दी गयी। फिर भी कुल 60 पायलट की इस गुणवत्ता के आधार पर मिल पाये। इसमें से भी महज 25 बचे लेकिन जब रूसी चयनकर्ताओं ने इनकी शारीरिक स्थितियों को मापा तो इसमें से बहुतेरे तो दांतों की समस्या के चलते छंट गये। पहले 16 में से 9 फ्रतिभागी इसी के चलते बाहर हो गये। शायद शुरुआत में इंस्टीट्यूट ऑफ एयरो मेडिसिन के विशेषज्ञों के चयनकर्ताओं ने शारीरिक मापदंडों में किंचित छूट दे दी लेकिन रूसी विशेषज्ञों ने इसे पकड़ किया और कई टेस्ट पायलटों को इसलिये फ्रशिक्षण सूची से बाहर कर दिया क्योंकि उनके दांतों के साथ दिक्कत थी।

विशेषज्ञ बताते हैं कि अंतरिक्ष में दांतों को लेकर बहुत सी समस्याएं हैं । शुरुआत में ही जब रॉकेट रवाना होता है तो वह इतना तेज हिलता है, झटके देता है कि अगर दांत सही तरीके से फिट न हों, ये कमजोर हों तो निकल भी सकते हैं। वायुमंडलीय दबाव में अचानक और बड़ा परिवर्तन दांतों में तेज दर्द और टीस पैदा कर सकता है। 1978 में सॉल्यूत मिशन पर गये रूसी कॉस्मॉनॉट यूरी रोम्नेंको को अंतरिक्ष यान में ही असहनीय दांत दर्द उ"ा था, वे खराब दांतों के साथ अंतरिक्ष यात्रा पर गये थे। यह बात भारतीय एयरोस्पेस मेडिसिन इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों को नहीं पता रही होगी लगता तो नहीं। पर ऐसा हुआ,ज्यादातर फ्रत्याशी इसी के चलते बाहर हुये। फ्रत्याशियों का तो जो हुआ पर सोसाइटी ऑफ एयरोस्पेस के विशेषज्ञों की भद पिट गयी।

कुछ फ्रत्याशी अपने सुन सकने की सीमा और स्पष्ट देखने की क्षमता न होने के चलते निकाल दिये गये। अंतरिक्ष यात्री की सुनाई देने की क्षमता और आंखें भी बिल्कुल स्वस्थ स्थिति में होनी चाहिए। अंतरिक्ष यात्री में सम्यक बुद्धि, नेतृत्व क्षमता, टीम वर्क और कम्युनिकेशन का बढिया कौशल होना चाहिये। यह सूची अंततः सिमटकर 16 और फिर आखिरकार 12 पर आ गयी। अब इसमें से सात का एक समूह रूस गया है, सामान्य फ्रशिक्षण लेने। मूलभूत फ्रशिक्षण में मिशन के बारे में ज्ञान और अंतरिक्ष यात्री की पात्रता के सामान्य कौशल का विकास किया जाता है। इसके आने के बाद दूसरा समूह रवाना होगा। यह फ्रशिक्षण 45 दिनों का होगा। इस समूह से कोई दो चुने जायेंगे, इसी तरह से अगले समूह से भी दो फ्रशिक्षणार्थी चुने जायेंगे। बाद में चारों को एक साथ दो वर्षीय व्यापक फ्रशिक्षण मिलेगा।

अगले साल की शुरुआत में किसी दिन रूस के गागरिन कॉस्मॉस ट्रेनिंग सेंटर पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री फ्रशिक्षण आरंभ करेंगे। इन चार में से किन्हीं दो को गगनयान के साथ जाने को मिलेगा और दो को आरक्षित रखा जायेगा। देश में केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय इंटर नेशनल एयरपोर्ट से 10 किलोमीटर दूर इसरो अपना एक एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग और बायो मेडिकल इंजीनियरिंग सेंटर बनायेगा, रेडिएशन रेग्युलेशन, थर्मल साइक्लिंग, सेट्रीफ्यूगल और एसीलिरेशन ट्रेनिंग के सेंटर जल्द ही स्थापित किये जायेंगे पर इस पूरी फ्रािढया में गगनयान के अभियान को तो लंबित नहीं किया जा सकता था, इसलिये भारतीय ``गगनयात्री'' अगले साल रूस के गागरिन कॉस्मोनॉट फ्रशिक्षण केंद्र में फ्रशिक्षण लेना शुरू करेंगे।

इससे पहले जुलाई में रॉस्कॉस्मॉस और इसरो के ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर ने फ्रशिक्षण फ्रदान करने के समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये थे। 22 अगस्त को रॉस्कॉस्मॉस के दिमित्री रोगोजिन ने इसकी पुष्टि की और फ्रधानमंत्री मोदी ने चार सितंबर को रूस के व्लादिवोस्तोक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रूस गगनयान परियोजना के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को फ्रशिक्षित करने में मदद करेगा। रूस की रोसकॉस्मस अंतरिक्ष एजेंसी का हिस्सा ग्लावकॉस्मस के फ्रमुख दमित्री लोस्कुतोव ने यूरी गागरिन सेंटर पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को फ्रशिक्षक देने की बाकी बातें इसरो के साथ की और एक महीने के भीतर वायुसेना ने अपन चयन रूसी एजेंसी को दिया। नवंबर में चयनित फ्रत्यशियों का पहला जत्था रवाना हुआ।

अब यह तकरीबन तय है कि 2020 की फरवरी तक चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री फ्रधानमंत्री मोदी का लाल किले पर देखे गये सपने को सच करने की मुहिम में लग चुके होंगे। यूरी गागरिन फ्रशिक्षण केंद्र और नासा के फ्रशिक्षण तथा फ्रणाली में किंचित भेद है। यहां के फ्रशिक्षण में तीन फ्रावस्थाएं हैं जनरल स्पेस ट्रेनिंग, ग्रुप टेनिंग और र्क्यू ट्रेनिंग। गागरिन फ्रशिक्षण केंद्र पर पहले गये भारतीय पायलटों के दोनों समूह पहले सामान्य फ्रशिक्षण लेंगे, यह डेढ महीने का होगा। इस दौरान 4-4 घंटे की दो क्लास हर दिन, एक घंटे का लंच। शारीरिक फ्रशिक्षण और रूसी भाषा सीखने का हफ्ते में दो दिन का दो सत्र अलग से। सैद्धांतिक शिक्षण के बाद व्यवहारिक फ्रशिक्षण भी। इसमें मिशन के बारे में और एक अंतरिक्ष यात्री के लिये सामान्य अनुपालन व तकनीक वगैरह के बारे में फ्रशिक्षित किया जाता है।

इसमें पास होने वाला ही ग्रुप ट्रेनिंग और र्क्यू ट्रेनिंग के लिये आगे जाता है। दो साल के इस फ्रशिक्षण में सर्वाइवल और स्पेस स्टेशन पर काम करने के लिये भी विशेष फ्रशिक्षण फ्राप्त किया जा सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि गागरिन फ्रशिक्षण केंद्र इस मामले में सर्वोत्तम है कि वहां मॉक अप फेसिलिटीज बहुत विशालकाय और बेहतर हैं। मॉक अप फेसेलिटीज उन सुविधाओं को कहते हैं जो अंतरिक्ष जैसा कृत्रिम वातावरण फ्रदान करती हैं, जिसके साथ धरती पर ही अंतरिक्ष का अभ्यास किया जा सकता है। अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में काम करने के अभ्यास जिस कृत्रिम वातावरण में कराया जायेगा उसे स्पेस व्हीकल मॉक अप फेसिलिटीज कहते हैं और यह गागरिन में शानदार है।

अंतरिक्ष के विषम वातावरण जिसे माइकोग्रेविटी, एकांत, भारहीनता, विकिरण, मोशन सिकनेस, वर्टिगो, इत्यादि के बारे में भी फ्रशिक्षित किया जायेगा। यात्रियों को साथ-साथ घंटे पानी के भीतर भी गुजारने पड़ सकते हैं और समुद्र या गहरे स्विमिंग पूल में भी फ्रशिक्षण दिया जा सकता है तो उन्हें को शुरुआत में 20 से 25 सेकेंड गुरुत्व शून्यता, भारहीनता में भी रखा जायेगा। फ्रशिक्षण के दौरान यात्री अंतरिक्ष यान की अभियांत्रिकी, डिजाइन, उसके जीवन रक्षक फ्रणाली के बारे में जानते सीखते हैं। किसी भी तरह का खतरा जैसे कैपस्यूल में दबाव कम या खत्म होना, आग लगना, इत्यादि से निबटना भी सीखते हैं।

संक्षेप में कहें तो, किसी भी कीमत पर अपने मिशन को कामयाब बनाना वे यहीं सीखते हैं। हमारे गगनॉट अरब सागर में वापसी आयेंगे। अंतरिक्ष से वापसी के बाद पानी पर उतरे और उन्हें पानी पर खासा समय बिताना पड़ा तो इसके लिये भी गहन फ्रशिक्षण दिया जायेगा, रेगिस्तान अथवा जंगल में शरण, भोजन चिकित्सकीय सहायता तथा रात में शयन और बचाव के लिये गुहार की सीख भी दी जायेगी। उस अंतरिक्ष और वापसी के सूट का भी फ्रशिक्षण जो अपना दबाव अपने आप नियत करती है। अंतरिक्ष यान के कैपस्यूल में रहने और इसमें लगे जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं वाले साजो सामान, इसके इस्तेमाल के बारे, यान के लांचिंग के समय अपनी सीट का इस्तेमाल करने का ज्ञान के अलावा जो अंतरिक्षीय फ्रयोग करने हैं अथवा स्पेस ाढाफ्ट की पायलटिंग के बारे में तो उन्हें फ्रशिक्षित किया ही जाता है। ट्रेनिंग खत्म होने पर चारों अंतरिक्ष यात्री भारत लौट आएंगे और यहां 2022 में गगन यान के 7 दिन की अंतरिक्ष यात्रा के लिए रवाना होने से पहले के कुछ महीने बाकी की तैयारियां करेंगे।

फिलहाल इससे पहले पहला मानवरहित परीक्षण दिसंबर 2020 और दूसरा जुलाई 2021 में फ्रस्तावित है। दूसरे परीक्षण में मानव जैसे रोबोट ह्यूमेनॉइड अंतरिक्ष यान के साथ जायेंगे। ह्यूमेनॉइड पर इसरो के वैज्ञानिक शरीर के तापमान और धड़कन संबंधी परीक्षण करेंगे। इसके बाद कहीं दिसंबर 2021 में गगनयान दो या तीन गगनॉट को लेकर रवाना होगा। पर अभी तो इसरो को रॉकेट की ह्यूमन रैटिंग करनी है, फ्री मोड्यूल बनाना होगा, अंतरिक्ष में क्या खाएंगे, वहां क्या काम करेंगे वो सब पहले तैयार करना होगा। यान में जीवनरक्षक फ्रणाली, स्वास्थ्य निगरानी फ्रणाली और विमान सहयोग फ्रणाली को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। काम बहुत है और वक्त कम। पर काम चालू है।

Share it
Top