Home » रविवारीय » सास-बहू का रिश्ता

सास-बहू का रिश्ता

👤 manish kumar | Updated on:12 Dec 2019 12:43 PM GMT

सास-बहू का रिश्ता

Share Post

दी के बाद ससुराल आने पर किसी भी लड़की को एक नये रिश्ते यानी सास के साथ सामजस्य बि"ाने के लिए लंबी जद्दोजहद करनी पड़ती है। लड़की के बड़ा होते ही उसे घर गृहस्थी का सलीका सिखाने के साथ-साथ दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करने की सीख दी जाती है ताकि उसे ससुराल में सास के तानों और उलाहनों का सामना न करना पड़े। सास को लेकर उसके मन में एक नकारात्मक छवि बना दी जाती है। हिंदी फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों में तो सास को एक तानाशाह के रूप में ही पोजेक्ट किया जाता है। बेटी का विवाह करते समय भी लड़के की मां यानी सास कैसी है, इसकी ज्यादा जांच पड़ताल की जाती है। लड़की के मन में ससुराल जाने से पहले ही सास को पतिद्वंदी समझने की बात उसके मन में बि"ा दी जाती है।

वक्त के साथ बदलता रिश्ता

बदलते वक्त के साथ अब सास-बहू के इस खट्टे मी"s रिश्ते में भी बदलाव आ रहा है। पढ़ी लिखी, शिक्षित बहुएं वर्किंग हैं तो आजकल की सासें भी पढ़ी-लिखी, फैशनेबल, स्मार्ट और समझदार हैं। बदलाव हो भी क्यों न, आखिर वह भी तो मां है। एक ऐसी मां, जो दूसरों की बेटी को अपने घर में अपनापन देती है और अपना प्यार दुलार भी उस पर लुटाती है। बस, इस रिश्ते को थोड़ा समझने की जरूरत है जिसके लिए सास और बहू दोनो को ही पहल करनी होती है।

सास को मां समझें

बहू को चाहिए कि वह अपनी सास को उतना ही सम्मान दे, जितना वह अपनी मां को देती है। मां के दुख पर दुखी होना और सास के दुख का एहसास न करना, इससे बराबरी नहीं आ सकती। सास भी अपनी बेटी के दुख पर दुखी हो और बहू का दुख उसे पराया लगे तो ऐसे में भला दोनो में बराबरी कैसे हो सकती है। इसलिए दोनो को ही सोचना होगा।

संवेदनशीलता

शादी के बाद मां और बेटे के रिश्ते में भी थोड़ा बदलाव आ जाता है। एक मां जो अपनी सारी उम्र बेटे की परवरिश में लगा देती है, उसका विवाह होने के बाद उन दोनो के बीच अचानक तीसरे व्यक्ति की एंट्री होती है। यहीं पर खींचा-तानी शुरु हो जाती है। ऐसे में पतिस्पर्धा होने लगे तो घर में कलह ही स्थिति हो जाती है। यहां सास और बहू दोनो को ही हर मुद्दे को संवेदनशीलता से समझकर सुलझाना चाहिए।

अपेक्षाएं

किसी भी लड़की को शादी के बाद नये परिवार में सामजस्य बि"ाने में लंबा समय लगता है। हर लड़की की यह दिलीख्वाहिश होती है कि ससुराल में उसे बहुत मान सम्मान मिले। लेकिन ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता। यह जरूरी नहीं कि ससुराल वाले उसे सिर आंखों पर बि"ाकर रखें। थोड़ी बहुत समस्या होने पर दिल छोटा नहीं करना चाहिए। सास को भी बहू से उतनी ही अपेक्षाएं रखनी चाहिए, जितनी व्यवहारिक हें।

रिश्तों में गहरापन

सास और बहू दोनो आपस में संवाद बनाकर रखें और एक दूसरे के साथ अपने जीवन के अनुभवों को साझा करें। इससे दोनो में अच्छी बॉडिंग होती है। नयी नवेली बहू को चाहिए कि वह सास को अपने जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत कराएं। यदि वह कामकाजी हैं तो वर्कप्लेस पर दिन के समय उनके साथ बातचीत करें। अगर उनसे दूर रहती है तो अपने बच्चों के साथ उनको जोड़कर रखें ताकि रिश्तों में प्यार बना रहे।

सकारात्मक नजरिया

शादी के बाद सास और बहू के इस नये रिश्ते में दोनो को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। बहू यह कभी न भूले कि उसकी सास उसकी मां की उम्र के बराबर है और उससे तू तू मैं मैं करने की बजाय प्यार और सम्मान से पेश आये और उससे किसी तरह की सलाह लेने से न हिचके। यह जरूरी नहीं कि वह अपनी सास की हर सलाह को माने लेकिन इससे भी दोनो के बीच अच्छे रिश्ते बनते हैं।

बच्चों को जोड़े

बहू को सास से स्वयं तो जुड़ना ही चाहिए, बच्चों को भी उनसे ज्यादा जोड़ने का पयास करें। सास ससुर अपने पोते पोतियों पर अपना पूरा प्यार लुटाते हैं और उनके लाड प्यार से कई बार बच्चे बिगड़ते भी हैं, लेकिन बच्चों को नैतिक शिक्षा देने का कार्य भी वही करते हैं। सास के साथ परिवार से जुड़ी बातों को शेयर करें। एक दूसरे को "sस पहुंचाने वाली बात न करें। यदि किसी बात पर गुस्सा हों तो अपने भीतर गुस्सा दबाकर न रखें। पति और सास दोनो के साथ संवाद बनाकर रखें ताकि सास और पति के बीच किसी तरह की गलतफहमियां न पैदा हों।

Share it
Top