Home » रविवारीय » एक सेलिब्रिटी जल्लाद के सपने

एक सेलिब्रिटी जल्लाद के सपने

👤 manish kumar | Updated on:18 Dec 2019 11:52 AM GMT

एक सेलिब्रिटी जल्लाद के सपने

Share Post

त्तर फ्रदेश के कई वजहों से चर्चित रहने वाले शहर मेर" के चर्चा में कई बार रहने की वजह होता है पवन सिंह धेवा उर्फ पवन जल्लाद। यह स्वाभाविक है। शहर के सबसे पिछड़े इलाके भगवतपुर में डेढ़ कमरे के एक छोटे से मकान में रहने वाला पवन कोई आम शख्स नहीं है। लोगों में अपने खानदान के परिचय मात्र से झुरझुरी पैदा कर देने वाला पवन देश में जल्लाद के पेशे का सबसे बड़ा विरासतदार पवन आज भी फांसी देने की अपनी पुस्तैनी विरासत को संभाले हुए है। जल्लादी पेशे में पवन के पुरखों का क्या रुतबा है, उसे इसी तथ्य से जान सकते हैं कि उसके परदादा लक्ष्मण सिंह को शहीदे आजम भगत सिंह को, उसके दादा कालूराम उर्फ कल्लू जल्लाद को पूर्व फ्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों सतवंत सिंह और केहर सिंह को तथा उसके पिता मम्मू सिंह को भी 12 दुर्दांत अपराधियों को फांसी पर लटकाने का श्रेय हासिल है। इस खानदान के इस पेशे में जलवे का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि आजादी के बाद हिन्दुस्तान में जो कुल 57 फांसियां हुई हैं, उनमें से 27 मुजरिमों को फांसी के फंदे पर लटकाने का श्रेय पवन जल्लाद के परिवार के खाते में है। हालांकि पवन ने खुद अभी तक कितने लोगों को फांसी पर लटकाया इस बात को बताने से वह कतराता है क्योंकि जेल फ्रशासन की तरफ से उसे ऐसा ही निर्देश है और आरटीआई के जरिये आप इसकी बिलकुल सही सही जानकारी नहीं हासिल कर सकते।

बहरहाल काम कुछ हटकर ही सही लेकिन पवन अपने काम या कहें पेशे की वजह से देश की दुर्लभ शख्सियतों में से एक है। यही कारण है कि पवन का अपना वजूद किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं है। वह जहां जाता है, दूर से लोग उसकी तरफ इशारे करके एक दूसरों को बताने लगते हैं कि वह फला शख्स यानी पवन कौन है और उसके होने के क्या मायने हैं ? मेर" की जिस बस्ती में पवन का परिवार सदियों से रह रहा है, वहां भी लोग पवन के घर के पास से गुजरते हुए एक दूसरे को इस जानकारी से भरपूर करने से चूकते कि वे कहां से गुजर रहे हैं या कि उस सामने वाले मकान में रहने वाले शख्स और उसके पुरखों का क्या परिचय है। कुल मिलाकर पवन खुद अपने काम और अपने खानदान की रोमांचगाथाओं की वजह से एक सेलिब्रिटी है। इसलिए अगर वह कुछ कहता है तो लोग उसे सुनते हैं।

पिछले कुछ दिनों से पवन को भी लगता है कि फ्रधानमंत्री मोदी जी पर इस देश को सुधारने का बहुत ही भारी बोझ है, इसलिए वह उनके बोझ को हल्का करने के लिए या कहिये उनकी बातों को आमजन तक पहुंचाने के लिए रि-ट्यूट के अंदाज में अपने अंदाज और फ्लेवर में आगे बढाता है। मसलन पिछले दिनों पवन ने लोगों से अपील की है कि लोग पिन्नी (मेर" में स्थानीय लोग प्लास्टिक कैरी बैग को यही कहते हैं) का इस्तेमाल न करें। उसने फ्रधानमंत्री जी के एक और आह्वान को रि-ट्यूट किया है- जल ही जीवन है इसलिए हर हाल में पानी बर्बादी रोकिये। पवन चूंकि फ्रधानमंत्री जी के नागरिक आह्वानों को बड़ी कुशलता से दुहरा लेते हैं, इसलिए वह खुद अपनी बात रखने की कला भी अच्छी तरह से जानते हैं।

शायद अपने इसी कौशल के चलते पवन ने एक आह्वान अपनी तरफ से किया है कि अपराधियों को जल्दी से जल्दी सजा मिले और जिन्हें सजाए मौत मिल जाय, उसे रोंकने के लिए लोगों को अड़ंगे नहीं डालने चाहिए। एक टेलीविजन चैनल के पत्रकार से बात करते हुए पवन ने अपनी इस बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि उसका मकसद है कि देश में अपराधियों को जल्द से जल्द सजा मिले तो लोगों में अपराध करने को लेकर डर पैदा हो और लोग अपराध करने के पहले कई बार सोचें। बहरहाल लाइव इंटरव्यू में पत्रकार द्वारा उलझा दिए जाने पर पवन ने साफ-साफ कह दिया कि वह चाहते हैं ,जिनको फांसी की सजा हो चुकी है उन्हें जल्द से जल्द सजा देकर एक तरफ कर देना चाहिए।

कहने का मतलब पवन का सपना है कि जिन्हें फांसी की सजा हो गयी है, उन्हें फटाफट फांसी हो। उसकी इस चाहत में कहीं न कहीं उसकी अपनी आर्थिक दिक्कतों का दबाव शामिल है। यही वजह है पवन ने फ्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर फ्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से जहां एक तरफ अपने दोनों लडकों के लिए सरकारी नौकरी की मांग की है, वहीं अपने हित सुरक्षित रखने के लिए कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि जल्लाद का काम जल्लाद ही करे, पुलिस वाले या कोई भी और उसके पेट पर लात न मारे। फांसी देने की निपुणता में अपने दादा को अपना गुरु मानने वाले पवन ने यह मांग यूं ही नहीं उ"ायी इसकी पूरी वजह है।

दरअसल देश के आम लोगों को शायद यह बात पता न हो कि पिछली तीन फासियों में जो कि बहुत जल्द जल्द हुई हैं उनमें जल्लाद की कोई भूमिका नहीं रही। अजमल कसाब, अफजल गुरु और याकूब मेमन की फांसी का फंदा किसी जल्लाद ने नहीं बल्कि पुलिसकर्मियों ने खींचा था। इसलिए पवन को डर है कि कहीं नि"ारी कांड के खूंखार अभियुक्त सुरेंद्र कोली को भी उसकी जगह कहीं पुलिस वाले ही न फांसी देने के काम को अंजाम दे दें।

गौरतलब है कि नि"ारी कांड के फ्रमुख अभियुक्त सुरेंद्र कोली को कभी भी फांसी दिए जाने का ऐलान हो सकता है। पिछली दो बार तो ऐलान होने के बाद किसी चमत्कार की तरह कोई न कोई वजह कोली को बचा लेती रही है लेकिन शायद तीसरी बार ऐसा न हो। इसलिए पवन नहीं चाहता कि पिछले दो बार उसने सुरेन्द्र के लिए जितनी तैयारी की है, कहीं वह सब बेकार न जाए। पवन की चिंता का कारण यह भी है कि उसने लड़-झगड़कर फ्रति फांसी का जो 5000 रूपये मेहनताना तय कराया है कहीं वे 5000 किसी और के खाते में ही न चले जाएं।

पवन के इस लालच और मजबूरी के मिश्रण को समझा जा सकता है क्योंकि फांसी देने का काम न होने समय वह फेरी लगाकर कपड़े बेंचता है और इससे होने वाली कमाई में उसके घर का खर्च मुश्किल से भी नहीं चलता। शायद इस आर्थिक स्थिति के कारण ही पवन को आशंका है कि उसके दोनों लड़के अमन (23) और बासु (15) शायद उसके कुल की गर्वभरी विरासत को आगे नहीं बढ़ाएंगे।

Share it
Top