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मार्शल आर्ट

👤 manish kumar | Updated on:18 Dec 2019 11:56 AM GMT

मार्शल आर्ट

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च्चों में बढ़ता मोटापा पैरेंट्स के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। इससे निजात पाने के लिए पैरेंट्स को अपने बच्चों को फिटनेस एक्टिविटीज के लिए पेरित करना चाहिए। इसके लिए मार्शल आर्ट एक बेहतर विकल्प है। मार्शल आर्ट की एक्सरसाइज से बच्चे शेप में रहने के साथ-साथ अनुशासन और दूसरों का सम्मान करना सीखते हैं। मार्शल आर्ट सीखकर वह स्वयं को विषम परिस्थितियों से बचा सकता है। दूसरों के साथ सहयोग, सामजस्य और आत्मनियंत्रण की कला उसके व्यक्तित्व में एक नया निखार लाती है। इससे उसका सम्पूर्ण विकास होता है। कोई भी मार्शल आर्ट हो उसमें बच्चों की रूचि कैसे पैदा की जाए? यह अहम सवाल है?

अपने बच्चे को मार्शल आर्ट की क्लास में भेजने से पहले उसके लिए सही स्कूल का चयन करना महत्वपूर्ण होता है। कोर्स की गुणवत्ता, इंस्ट्रक्टर के सिखाने के ढंग तथा बच्चे की सीखने की क्षमता पर निर्भर करती है। जिस स्कूल में उसे दाखिला दिलवाना चाहते हैं, पैरेंट्स को उस स्कूल में बच्चे के साथ जाकर वहां की कम से कम दो तीन क्लास देखनी चाहिए। कैरिकुलम, इंस्टीट्यूट की घर की से दूरी, को खास तव्वजों दें। एक क्लास में 20 से 25 ज्यादा बच्चे न हो, इस बात का ध्यान रखें। बच्चे की रूचि किस मार्शल आर्ट में है? पैरेंट्स अपने आपसे यह सवाल करें कि वह उसके लिए जो चुन रहे हैं, क्या वह सही है? बच्चा मार्शल आर्ट क्यों सीखना चाहता है। दूसरों के साथ अपनी पतिस्पर्धा के लिए या आत्म रक्षा के लिए, उसे यह स्पष्ट होना चाहिए।

स्कूल का चयन

बच्चे को मार्शल आर्ट की जिस क्लास में दाखिला दिलवा रहे हैं उस संस्थान की पृष्"भूमि के बारे में जरूर पता लगाएं। संचालक के पास किसी मान्यता पाप्त संस्थान की डिग्री है या नहीं। क्या वे किसी तरह के अपराध में लिप्त तो नहीं हैं? अगर लड़की है तो देखें कि क्लास में कहीं वह अकेली तो नहीं हैं, इसके अलावा उस इंस्टीट्यूट के आसपास के लोगों से तथा वहां पशिक्षण पाप्त कर चुके बच्चों और उनके पैरेंट्स से भी इंस्टीट्यूट के बारे में बहुत कुछ पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा क्लासरूम का माहौल कैसा है, पशिक्षण ले रहे बच्चों की उम्र और इंस्ट्रक्टर की पृष्"भूमि और उसके विषय में पूरी जानकारी पाप्त कर लेनी चाहिए।

सही उम्र क्या हो

पांच साल से छोटे बच्चे को मार्शल आर्ट की क्लास में दाखिला नहीं दिलाना चाहिए। दाखिला दिलाने से पूर्व यह जानना जरूरी है कि बच्चे को किस मार्शल आर्ट में रूचि है। अगर बच्चा 5 साल से बड़ा है तो उसे भेजने से पहले निरंतर व्यायाम कराएं, उसकी डाइट का ख्याल रखें। मार्शल आर्ट की क्लास में आने से 15 मिनट पहले और बाद में लिक्विड नहीं लेना चाहिए। शुरु शुरु में बच्चे को शरीर में दर्द और थकान लगती है, लेकिन धीरे धीरे जब अभ्यास बढ़ता है तो उसे इसमें अच्छा लगता है।

एक ही तकनीक

जूड़े, कर्राटे, ताइकांडो, कूंग फू, किक बॉक्सिंग, बच्चे की रूचि जिस भी मार्शल आर्ट में हो, उसी में उसको एडमिशन दिलवाएं। मार्शल आर्ट से जुड़ी हर शैली आत्मरक्षा के लिए समान रूप से उपयोगी होती है। इसलिए किसी भी आर्ट में दाखिला दिलवाया जा सकता है। सोच समझकर किसी एक ही शैली का चुनाव करें। बच्चे को शुरुआती दौर में समस्या हो सकती है। इसलिए एक ही शैली पर अडिग रहें। इसमें बार बार बदलाव न करें। इससे वह भ्रमित हो सकता है और उसके लिए मुसीबतें बढ़ सकती हैं।

बॉक्स- मार्शल आर्ट की शैलियां

जूड़ो- इसमें हाथ पैर तथा टांगों को हथियार के रूप में इस्तेमाल करके सामने वाले पर पहार करना सिखाया जाता है। इस शैली में पतिद्वंदी को उसके ही विरूद्ध इस्तेमाल करना सिखाया जाता है। अपने बच्चे को जूड़ो क्लास ज्वाइन करने से पहले उसके साथ जाकर दो तीन क्लास में देखना चाहिए।

ताइकांडो- दक्षिण कोरिया का राष्ट्रीय खेल ताइकांडो में नौ बेल्ट होती हैं। ब्लैक बेल्ट पाने के बाद बच्चे को इस तकनीक में पूर्ण योग्यता हासिल होती है। इसकी शुरुआत 12-13 साल के बाद करनी चाहिए।

कूंग फू- जापान में स्थापित और चीनी कूंग फू से जुड़ी इस शैली में शरीर और दिमाग को एक साथ काम करने की कला सिखायी जाती है ताकि मुसीबत में पड़ने पर वह इसके जरिये आत्मरक्षा कर सके।

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