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सूरजकुंड इंटरनेशनल कॉफ्ट फेयर

👤 manish kumar | Updated on:13 Feb 2020 2:07 PM GMT

सूरजकुंड इंटरनेशनल कॉफ्ट फेयर

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जधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्थित पर्यटनस्थल सूरजकुंड में जब 1987 में हस्तशिल्प मेला शुरू किया गया था, तब माना यह गया था कि इससे वैदिक कुंडों वाले इस पर्यटनस्थल के फ्रति लोगों का आकर्षण पैदा होगा। तब किसी ने सपने में भी यह कल्पना नहीं की होगी कि महज दो ढाई दशकों में स्थितियां ऐसी पलटी मारेंगी कि जिस मेले को सूरजकुंड के पर्यटन को बढ़ावा देने के एक अतिरिक्त आकर्षण के रूप में शुरू किया जा रहा है, वह मेला ही न केवल देश में बल्कि विदेश में भी सूरजकुंड की पहचान बन जायेगा अपितु यह दुनिया के विभिन्न देशों के साथ भारत के रिश्तों के लिए सांस्कृतिक सेतु के रूप में काम करेगा।

जी,हां आज ऐसा ही है। आज न केवल सूरजकुंड को पूरी दुनिया में जाना जाता है बल्कि इसके जरिये बहुत सी जगहों में भारत को जाना जाता है। आज यह हरियाणा की समृद्ध संस्कृति का हिस्सा तो है ही राजधानी दिल्ली की भी इससे पहचान समृद्ध होती है। हर साल फरवरी के पहले पखवाड़े में लगने वाले इस हस्तशिल्प मेले के 34वें संस्करण का गत 1 फरवरी 2020 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उदघाटन किया है जो 16 फरवरी 2020 तक चलेगा। उम्मीद है कि इस दौरान मेले में कोई 12 से 15 लाख देशी-विदेशी पर्यटक आयेंगे और करोड़ों रूपये की हस्तशिल्प कलाएं खरीदेंगे तथा देशी विदेशी व्यंजनों को चखेंगे। हर बार मेले में रहने वाली एक पार्टनर कंट्री के रूप में इस बार का विदेशी पार्टनर देश उज्बेकिस्तान है। जबकि मेले में हिमाचल फ्रदेश बतौर थीम स्टेट के रूप में शामिल है।

पहली बार किसी यूरोपियन देश इंग्लैंड के हस्तशिल्पियों के साथ ही दुनिया के 40 देशों के शिल्पी मेले में भाग ले रहे हैं। पिछली बार यह संख्या 30 थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सूरजकुंड कितनी तेजी से दुनिया की हस्तशिल्प कलाओं का विश्वसनीय फ्रदर्शन स्थल बनते जा रहा है। यूं ही दुनिया के ाढाफ्ट बाजार में सूरजकुंड मेले को इंटरनेशनल ाढा@फ्ट फेयर के नाम से नहीं जाना जाता, इसमें दिनोंदिन बढ़ती विदेशी शिल्पकारों की भागीदारी इसकी ख्याति भी बढ़ा रही है, इसकी विश्वसनीयता भी और साथ ही इसकी कारोबारी हैसियत भी। चूंकि इस बार मेले का थीम राज्य हिमाचल फ्रदेश है इसलिए मेले में हर और हिमाचली छटा बिखरी नजर आ रही है। रंगीन हिमाचली टोपी, शॉल आदि देश-विदेश के पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ खींच रहे हैं।यह मेला देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए 16 फरवरी तक सुबह 10ः30 बजे से रात 8ः30 बजे तक खुला रहेगा। जहां तक मेले की टिकट की बात है तो वीकडेज में 80 रुपए और वीकेंड में 120 रुपए तय की टिकट है। लोगों को टिकट खरीदने में ज्यादा परेशानी न हो, इसके लिए मेले में एक टिकट काउंटर बनाया गया है, जहां से लोग आसानी से टिकट खरीद सकते हैं। मेले की टिकट ऑनलाइन भी बुक की जा सकती है तथा इसे पेटीएम या बुक माय शो वेबसाइट के जरिये ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दिव्यांग, वरिष्" नागरिक, सेवारत सैनिक के लिए टिकट में 50 पतिशत की छूट है। छात्र भी इसका लाभ उ"ा सकते हैं, हालांकि उन्हें अपना आईडी कार्ड दिखाना होगा। इंटरनेशनल सूरजकुंड ाढाफ्ट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि देश के सभी राज्यों के नेशनल अवॉर्ड जीत चुके ाढाफ्ट्स मैन इस मेले में अपने हुनर का फ्रदर्शन करते हैं। यही बात विदेशी ाढाफ्ट्समैन पर भी लागू होती है। ये शिल्पी सिर्फ अपने हुनर का ही फ्रदर्शन नहीं करते बल्कि अपने देश के खान-पान, रहन-सहन, वेषभूषा यानी पूरी संस्कृति को फ्रदर्शित करते हैं। इस बार मेले को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति फ्राप्त ड्रेस डिजाइनर रितु बेरी के मार्गदर्शन में सजाया गया है। यह मेला पूरे भारत के हजारों शिल्पकारों को अपनी कला और उत्पादों को व्यापक दर्शकों को दिखाने में मदद करता है। मेले के जरिए देश की खो चुकी समृद्ध शिल्पकला को भी पुनर्जीवन मिल रहा है। पिछले वर्ष अफ्रीका और एशिया के 30 से अधिक देशों ने इस मेले में हिस्सेदारी करके इस शिल्प के मौजूदा ग्लोब में बहुत महत्वपूर्ण जगह फ्रदान की थी। इस बार इसमें भाग लेने देशों की संख्या बढ़ गयी हैं। इस बार इंग्लैंड के पांच शिल्पियों सहित 40 देशों के शिल्पी भाग ले रहे हैं। इन देशों में फ्रमुख हैं- पार्टनर कंट्री-उज्बेकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान, आर्मेनिया, बांग्लादेश, भूटान, मिस्न, इथियोपिया, घाना, कजाकिस्तान, मलावी, नामीबिया, नेपाल, रूस, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, सूडान, सीरिया, तजाकिस्तान, थाईलैंड, ट्यूनीशिया, तुर्की, युगांडा, ब्रिटेन, वियतनाम और जिम्बाब्वे। मेले की मानद सलाहकार फ्रसिद्ध फैशन डिजाइनर रितु बेरी के सानिध्य में इस बार मेले में तीन फैशन शो भी होंगे।

फैशन शो पहले भी होते रहे हैं लेकिन आमतौर पर पहले एक शो ही होता रहा है। लेकिन इस बार तीन-तीन फैशन शो हो रहे हैं, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मेले का ाढsज कितनी तेजी से बढ़ रहा है। मेले के दौरान पूरे पखवाड़े सांस्कृतिक संध्याओं का शानदार फ्रदर्शन इस मेले की बहुत चुम्बकीय ताकत है। हास्य कवि सम्मेलन, सूफियाना कलाम, कव्वालियों की गूंज, नृत्य फ्रदर्शन, गायन तथा मेले के दौरान कई किस्म की ईनामी फ्रतियोगिताएं भी पर्यटकों को मोहती हैं, तो अगर दिल्ली के आसपास हैं तो जरूर इस देश विदेश में मशहूर हुए मेले की एक झलक देखने आयें।

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