menu-search
Sat Apr 27 2024 10:26:28 GMT+0530 (India Standard Time)
Visitors: 8666
इंसान की हाहाकारी भूख से खाली होता समंदर
Share Post
के.पी.सिंह
इंसान दुनिया का सबसे भयानक, सबसे खतरनाक जीव है। वह भले धरती के तमाम जीवों से डरता हो, लेकिन अपने दिमाग की ताकत की बदौलत वह भयानक से भयानक जीव को मौका मिलने पर मारकर खा जाता है। फिर चाहे वह विशालकाय अजगर हो,ह्वेल मछली हो या जंगली भैंसा अथवा हाथी ही क्यों न हो ? यह इंसान की हाहाकारी भूख ही है कि उसने समंदर के जीव-जंतु खा-खाकर पूरा समंदर ही खाली कर दिया है। स्टेनफोर्ड यूनिवा।सटी के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक शोध के मुताब़िक समुद्र में जीवों का अकाल पड़ना शुरू हो गया है और यह हर गुजरते दिन के साथ ही निरंतर भयावह होता जा रहा है।
इस सबका कारण है सी-फ़ूड के लिए इंसान का दैत्याकारी लालच। धरती पर जिस तरह से कई तरह के जानवरों की प्रजातियां लगभग विलुप्त हो चुकी हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं, ठीक वैसे ही समुद्र में भी जलचरों की तमाम प्रजातियां खत्म हो चुकी हैं या फिर खत्म होने वाली हैं। धरती पर इंसान के लालच का शिकार होते होते जानवरों की यह हालत हो गयी है कि अब वह अपने अस्तित्व को बचाने में नाकाम हो रहे हैं। कुछ इसी तरह समुद्री जीव भी इंसान के लालच और मजे का शिकार हो चुके हैं। दुनिया में जिस तरह सी फूड खाने वालों की संख्या बढ़ रही है उससे तो ऐसा ही लगता है मानो कि कुछ ही सालों के भीतर धरती के इस 70 फीसदी इलाके में जलचरों की संख्या लगभग खत्म हो चुकी होगी।
वैज्ञानिक पूरी दुनिया को पिछले कई दशकों से यह चेतावनी देते चले आ रहे हैं कि सागर के जीवों का शिकार अब बंद किया जाये। अगर ऐसा नहीं किया गया तो न मछलियां रहेंगी और न ही मछुआरों का पेशा। स्टेनफोर्ड यूनिवा।सटी के मरीन बायोलॉजिस्ट स्टीफन पालुम्बी ने कई दशकों तक समुद्र के जीव-जंतुओं का अध्ययन किया है। उनका डेटा तैयार किया है। उन्होंने अपने निष्कर्षों की रिपोर्ट कई सालों तक रह रहकर लिखी है। उनके व्यापक अवलोकन के मुताब़िक दुनिया जैसे जैसे खुशहाल होती जा रही है,धरती के तमाम जीव जंतुओं पर वैसे वैसे संकट गहरा रहा है।
हाल के सालों में सी फूड खरीदकर खाने वालों की ाढयशक्ति में 200ज्ञ् से ज्यादा का उभार आया है यानी पिछले तीन दशकों में सी-फ़ूड का उपभोग 200 ज्ञ् बढ़ा है। स्टीफन ने अपनी रिपोर्ट में दुनियाभर के लोगों से यह अपील की है कि सी फूड का सेवन अगर बंद न भी करें तो कुछ कम ही कर दें। ताकि दुनिया में खूबसूरत जलचर बने रहें। वास्तव में सी फूड उन अमूल्य जलचरों से तैयार किया जाता है जो संख्या में बहुत कम हो चुके हैं। इनकी बची हुई आबादी को बनाये रखने के लिए बेहद जरूरी है कि इन्हें भोजन के रूप में इस्तेमाल करना बंद कर दिया जाये। लेकिन लगता नहीं है कि दुनिया मानेगी।
इसलिए स्टीफन को आशंका है कि इस सदी के मध्य तक यह नौबत आ जायेगी कि मछुआरे कई महीनों तक समुद्र में घूमते रहेंगे और उन्हें मछलियों के नाम पर कुछ भी नहीं मिलेगा। सी फूड के रूप में खायी जाने वाली कॉड और टूना मछलियों की लगभग 90 फीसदी आबादी खत्म हो चुकी है। मात्र 10 फीसदी आबादी कितने समय तक बचेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता। अगर जल्द ही जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, थाईलैंड व इंडोनेशिया जैसे देशों ने सिर्फ स्वाद के नाम पर सी फूड की खपत कम नहीं की तो सागर पूरी तरह जीव विहीन हो जायेगा। स्टीफन ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि समुद्र से 29 किस्म की मछलियों की प्रजातियां पूरी तरह से खत्म हो चुकी हैं।
समुद्री जीवों पर वैसे ही ग्लोबल वार्मिंग व बदलते मौसम की मार पड़ रही है। इसके चलते समुद्री जीव बड़ी संख्या में खत्म होते जा रहे हैं। कुछ जीव जो मौसम से लड़कर खुद को बचा पाने में सक्षम हो रहे हैं वह इंसानों के लालच के चलते अपनी जान गंवा रहे हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि शार्क जैसे खतरनाक समुद्री जीव को लोग इसलिए पकड़ते हैं ताकि उससे शार्क फिन सूप तैयार किया जाये। यह सूप पूरी दुनिया में बेहद पसंद किया जाता है और इसकी मांग दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। चीन और जापान जैसे देशों में तो शार्क फिन सूप बड़े जायके साथ पिया जाता है। इस समय सी फूड की दुनियाभर में 370 किस्में खाई जाती हैं जो कई किस्म के जीवों को मिलाकर तैयार की जाती हैं।
दुनिया के लगभग दो दर्जन देश सी फूड को दीवानगी की हद तक पसंद करते हैं और बड़े चाव से इन्हें खाते हैं। सी फूड के मामले में दुनिया में सबसे ज्यादा खपत चीन में है, चीन में दुनियाभर के सी फूड का 16.3 प्रतिशत हिस्सा खाया जाता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पिछले तीन दशकों में चीन ने सी फूड की खपत में 13 प्रतिशत की बढ़त हासिल की है यानी कि तीन दशक पहले चीन में पूरी दुनिया का महज 3.3 प्रतिशत सी फूड ही खाया जाता था। इसके बाद जापान का नम्बर आता है। जापान में पूरी दुनिया का 12.3 प्रतिशत सी फूड खाया जाता है। इन दो देशों में सी फूड की खपत जिस तेजी से बढ़ रही है उससे ऐसा लगता है कि मानो इन्होंने यह ठान लिया है कि समुद्र में जब तक एक भी जीव जिंदा रहेगा यह उसे खाते रहेंगे।
© 2017 - 2018 Copyright Veer Arjun. All Rights reserved.
Designed by Hocalwire