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भारतीय संस्कृति में गौ सेवा का महत्व...!
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भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म में 'गौ सेवा" का अपना एक अलग महत्व है। आदिकाल में जब राजाओं के यहां धार्मिक शास्त्रार्थ गायें उपहार में दी जाती थीं और उन गायों के सीगों में सोने के पतरे तक मड़े जाते थे। गीता में श्री कृष्ण भगवान ने स्वयं कहा है कि गायों में कामधेनु मैं ही हूँ। सनातन धर्म में गाय को देवता और माता के समान मानकर उसकी सेवा करने की परम्परा देखी जाती है क्योंकि गाय के शरीर में सभी देवता निवास करते हैं। शास्त्राsं में लिखा है- गावो विश्वस्य मतरः। अर्थात् गाय विश्व की माता है।
अग्नि पुराण में व अन्य पुराणों में
विश्वस्तर के पुराणों में से एक अग्नि पुराण में कहा गया है कि गायें परम पवित्र और मांगलिक हैं। गाय का गोबर और मूत्र दरिद्रता दूर करता है। गोमूत्र, गोबर, गो दुग्ध, गो दधि, गो घृत कुशौदक दनका मिश्रण अर्थात् पंचगव्य सभी अनिष्टों को दूर करता है। गायों को घास खिलाने वाला सद्गति प्राप्त करता है।
अथर्वेद में लिखा गया है-
माता रूद्राणां दुहिता वसूनां।
स्वसा आदित्यानां अमृतस्य नाभिः
अर्थात् गाय रुद्रों की माता है, वसुओं की पुत्री है, सूर्य की बहन है और घृत रूपी अमृत का केन्द्र है।
मार्कण्डेय पुराण में लिखा गया है-
दुनिया की भलाई गायों पर आधारित है। गाय की पी" ऋग्वेद, धड़ यजुर्वेद, मुख- सामवेद, ग्रीवा- इष्टापूर्ति सत्कर्म रोम साधुसूक्त हैं। गोबर और गोमूत्र में शांति और पुष्टि है।
ग्वालियर में गौ सेवा की अभिनव पहल
मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से भी गायों की सुरक्षा सेवा पर काफी कुछ ध्यान दिया जा रहा है। ग्वालियर नगर निगम की गोशाला को देखने का इस लेखक को विगत दिनों मौका मिला जहां 5 हजार से भी ज्यादा गायों को रखे जाने की अच्छी व्यवस्था देखी गयी। उनके लिये 500-700 क्विंटल भूसा व इतना ही हरा चारा, गुड़ आदि खिलाने की उचित व्यवस्था देखी गई, जिसके लिये 94 कर्मचारी व 2 अधिकारी इंजीनियर ए.पी.एस. जादौन की देखरेख में रखे गये हैं। 70 से भी ज्यादा बीघा जमीन पर बड़े-बड़े शेडों में उन्हें रखा जाता है। इस व्यवस्था के संचालन को हरिद्वार के साधु संतों की देखरेख में किया जाने से और भी उचित संचालन देखा गया। इस काम में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र तोमर की व्यक्तिगत रुचि से काफी कुछ अच्छा अनुभव इस लेखक ने स्वयं देखा। नगर निगम ग्वालियर महापौर विवेक शेजवलकर जी की देखरेख में 5 करोड़ रुपया सालाना इस पर खर्चती है। यहां सेवा भाव भी निगम कर्मचारियों में देखा गया है।
विष्णु स्मृति में गायों पर काफी कुछ लिखा गया है- गायें पवित्र व मंगलमय हैं उनमें समस्त लोक का कल्याण है। गायों से यज्ञ सफल होते हैं। उनकी सेवा से पाप नष्ट होते हैं व संपदा बढ़ती है। मुगल शासक बाबर ने भी गायों की रक्षा के मामले में अपने पुत्र युवराज हुमायूं को विशेष संदेश, उपदेश दिया था जिसे बादशाह अकबर ने भी अपने लम्बे 50 साल के शासन में लागू भी कराया। ऐसी मान्यता तमाम इतिहासकारों की है।
कुरान में भी लिखा है-
कुरान शरीफ के 30 पारों में से 2 पारों से भी ज्यादा दी गई है- सूरे-बकर- जिसका मायने है गाय से ही। उसमें साफ-साफ लिखा है इस्लाम के मानने वालों के लिये, आप जिस मुल्क में रहते हैं और वहां की आवाम व कानून गाय की रक्षा व सेवा की अगर बात करें तो आप भी उस पर अमल करें। उस जानवर गाय की रक्षा करें। इस्लाम कहता है देश प्रेम की बात और उस देश के कानून को मानने की बातें भी कुरान में साफ तौर से की गई हैं। ग्वालियर के मौलाना जफर नूस साहेब ने भी इस बात की तस्दीक की है। इतिहासकारों ने भी माना है कि गायों की सेवा व रक्षा की बातें इस्लाम व अन्य दुनिया के खास मजहबों में कही गई है।
0नईम कुरेशी
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